प्रशंसा एवं चापलूसी की बातों में केवल उद्देश्य का ही अन्तर होता है। प्रशंसा किसी दूसरे व्यक्ति में विद्यमान किसी गुण या उसके द्वारा करे गए किसी कार्य के वास्तविक सम्मान के लिए होती है; जबकि चापलूसी किसी दूसरे व्यक्ति की कृपादृष्टि प्राप्त करके अपनी स्वार्थसिद्धी करने के लिए होती है। प्रशंसा दूसरों को उत्साहित करने, उन्हें आगे बढ़ाने के लिए होती है; चापलूसी दूसरों को अपने लिए प्रयोग करने के लिए होती है।
परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन 12 में दाऊद अपने समय के समाज को लेकर विलाप करता है, जहाँ भक्त तथा विश्वासयोग्य लोग जाते रहे थे और उनके स्थान पर छल-कपट करने वाले खड़े हो गए थे; दाऊद ने उनके बारे में लिखा: "उन में से प्रत्येक अपने पड़ोसी से झूठी बातें कहता है; वे चापलूसी के ओठों से दो रंगी बातें करते हैं" (भजन 12:2) क्योंकि "वे कहते हैं कि हम अपनी जीभ ही से जीतेंगे, हमारे ओंठ हमारे ही वश में हैं; हमारा प्रभु कौन है?" (भजन 12:4)
जब हम मसीही विश्वासी अपनी स्वार्थसिद्धी के लिए किसी की झूठी प्रशंसा करने की इच्छा में पड़ें तो एक प्रश्न है जो हमें अपने-आप से अवश्य ही पूछ लेना चाहिए - "मेरे होंठों का स्वामी कौन है?" यदि मेरे होंठ मेरे अपने हैं, तो फिर मैं उनसे जो चाहूँ वह कह सकता हूँ; लेकिन यदि प्रभु यीशु मेरे होंठों का स्वामी है, तो फिर मेरे होंठों से निकलने वाले शब्द उसके चरित्र के अनुसार हों; ऐसे शब्द जिनके विषय में दाऊद ने लिखा "परमेश्वर का वचन पवित्र है, उस चान्दी के समान जो भट्टी में मिट्टी पर ताई गई, और सात बार निर्मल की गई हो" (भजन 12:6)।
इस बात को निर्धारित रखने के लिए कि कौन मेरे होंठों का स्वामी है, एक अच्छा तरीका होगा दाऊद द्वारा लिखे गए एक अन्य भजन के एक पद के साथ अपने दिन को आरंभ करना तथा उस पद पर मनन करते रहना - "मेरे मुंह के वचन और मेरे हृदय का ध्यान तेरे सम्मुख ग्रहण योग्य हों, हे यहोवा परमेश्वर, मेरी चट्टान और मेरे उद्धार करने वाले!" (भजन 19:14)। - डेविड मैक्कैसलैंड
जो अपने मुंह की चौकसी करता है, वह अपने प्राण की रक्षा करता है, परन्तु जो गाल बजाता है उसका विनाश जो जाता है। - नीतिवचन 13:3
बाइबल पाठ: भजन 12
Psalms 12:1 हे परमेश्वर बचा ले, क्योंकि एक भी भक्त नहीं रहा; मनुष्यों में से विश्वास योग्य लोग मर मिटे हैं।
Psalms 12:2 उन में से प्रत्येक अपने पड़ोसी से झूठी बातें कहता है; वे चापलूसी के ओठों से दो रंगी बातें करते हैं।
Psalms 12:3 प्रभु सब चापलूस ओठों को और उस जीभ को जिस से बड़ा बोल निकलता है काट डालेगा।
Psalms 12:4 वे कहते हैं कि हम अपनी जीभ ही से जीतेंगे, हमारे ओंठ हमारे ही वश में हैं; हमारा प्रभु कौन है?
Psalms 12:5 दीन लोगों के लुट जाने, और दरिद्रों के कराहने के कारण, परमेश्वर कहता है, अब मैं उठूंगा, जिस पर वे फुंकारते हैं उसे मैं चैन विश्राम दूंगा।
Psalms 12:6 परमेश्वर का वचन पवित्र है, उस चान्दी के समान जो भट्टी में मिट्टी पर ताई गई, और सात बार निर्मल की गई हो।
Psalms 12:7 तू ही हे परमेश्वर उनकी रक्षा करेगा, उन को इस काल के लोगों से सर्वदा के लिये बचाए रखेगा।
Psalms 12:8 जब मनुष्यों में नीचपन का आदर होता है, तब दुष्ट लोग चारों ओर अकड़ते फिरते हैं।
एक साल में बाइबल:
- व्यवस्थाविवरण 30-31
- मरकुस 15:1-25