कुछ समय पहले किसी ने मुझ से एक बहुत कठिन प्रश्न पूछा: "बगैर पाप किए आप अधिक से अधिक कितनी देर तक रहने पाई हैं? एक सप्ताह, एक दिन, एक घण्टा?" ऐसे प्रश्न का हम क्या उत्तर दे सकते हैं? यदि हम सच्चे हों तो संभवतः हम कहेंगे, "बिना पाप किए कोई एक दिन भी रह पाया हो, ऐसा संभव नहीं है।" यदि हम अपने जीवन के पिछले सप्ताह का अवलोकन करें तो हो सकता है कि हमने पूरे सप्ताह परमेश्वर से किसी भी पाप के लिए अंगीकार ना किया हो, क्षमा ना माँगी हो; लेकिन यदि इससे हम यह मान बैठें के हमने अपने मन, या ध्यान या विचारों में पूरे सप्ताह कभी एक भी पाप नहीं किया है तो हम अपने आप को धोखा ही देंगे।
परमेश्वर हमारे मनों को जानता है, और यह भी कि हम परमेश्वर के पवित्र आत्मा द्वारा पापों के लिए कायल किए जाने के प्रति संवेदनशील रहते हैं या नहीं। यदि हम वास्तव में अपने आप को जानते हैं और अपने पाप तथा परमेश्वर के पवित्र आत्मा के निर्देशों के प्रति संवेदनशील हैं तो हमें परमेश्वर के वचन बाइबल के कथन: "यदि हम कहें, कि हम में कुछ भी पाप नहीं, तो अपने आप को धोखा देते हैं: और हम में सत्य नहीं" (1 यूहन्ना 1:8) को स्वीकार कर लेने में कोई संकोच नहीं होगा; और ना ही हम इससे आगे के पद में कही बात, "यदि कहें कि हम ने पाप नहीं किया, तो उसे झूठा ठहराते हैं, और उसका वचन हम में नहीं है" (1 यूहन्ना 1:10) के दोषी होना चाहेंगे।
मुझसे जो प्रश्न मुझसे पूछा गया था, उसकी बजाए उससे बेहतर और उत्साहजनक प्रश्न होगा, "जब हम अपने पाप को मान लेते हैं और उसके लिए परमेश्वर से क्षमा माँगते हैं तो परमेश्वर का प्रत्युत्तर क्या होता है?" उत्तर है उपरोक्त दोनों पदों के बीच का पद, "यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है" (1 यूहन्ना 1:9)। प्रभु यीशु ने हमारे पाप और उसके सारे दोष को अपने ऊपर लेकर उसका सारा दण्ड भी हमारे लिए सह लिया; वह हमारे पापों के लिए ही क्रूस पर बलिदान हुआ और फिर मृतकों में से जी उठा। इसीलिए वह हमारे अन्दर एक शुद्ध मन उत्पन्न करने और हमें एक नया जीवन, जो परमेश्वर के प्रति समर्पित और संवेद्नशील है, देने में सक्षम है (भजन 51:10)। जो कोई स्वेच्छा और पूरे समर्पण के साथ उसके पास पाप क्षमा के लिए आता है वह नए जीवन को प्राप्त करता है।
मेरा युवा मित्र जेडन बिलकुल सही कहता है, प्रभु यीशु हमारे पापों का विजेता, हमारा नायक है। - ऐनी सेटास
प्रभु यीशु से मिलने वाली क्षमा नए जीवन का आरंभ है।
हे परमेश्वर, मेरे अन्दर शुद्ध मन उत्पन्न कर, और मेरे भीतर स्थिर आत्मा नये सिरे से उत्पन्न कर। - भजन 51:10
बाइबल पाठ: 1 यूहन्ना 1
1 John 1:1 उस जीवन के वचन के विषय में जो आदि से था, जिसे हम ने सुना, और जिसे अपनी आंखों से देखा, वरन जिसे हम ने ध्यान से देखा; और हाथों से छूआ।
1 John 1:2 (यह जीवन प्रगट हुआ, और हम ने उसे देखा, और उस की गवाही देते हैं, और तुम्हें उस अनन्त जीवन का समाचार देते हैं, जो पिता के साथ था, और हम पर प्रगट हुआ)।
1 John 1:3 जो कुछ हम ने देखा और सुना है उसका समाचार तुम्हें भी देते हैं, इसलिये कि तुम भी हमारे साथ सहभागी हो; और हमारी यह सहभागिता पिता के साथ, और उसके पुत्र यीशु मसीह के साथ है।
1 John 1:4 और ये बातें हम इसलिये लिखते हैं, कि हमारा आनन्द पूरा हो जाए।
1 John 1:5 जो समाचार हम ने उस से सुना, और तुम्हें सुनाते हैं, वह यह है; कि परमेश्वर ज्योति है: और उस में कुछ भी अन्धकार नहीं।
1 John 1:6 यदि हम कहें, कि उसके साथ हमारी सहभागिता है, और फिर अन्धकार में चलें, तो हम झूठे हैं: और सत्य पर नहीं चलते।
1 John 1:7 पर यदि जैसा वह ज्योति में है, वैसे ही हम भी ज्योति में चलें, तो एक दूसरे से सहभागिता रखते हैं; और उसके पुत्र यीशु का लोहू हमें सब पापों से शुद्ध करता है।
1 John 1:8 यदि हम कहें, कि हम में कुछ भी पाप नहीं, तो अपने आप को धोखा देते हैं: और हम में सत्य नहीं।
1 John 1:9 यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है।
1 John 1:10 यदि कहें कि हम ने पाप नहीं किया, तो उसे झूठा ठहराते हैं, और उसका वचन हम में नहीं है।
एक साल में बाइबल:
- यहेजकेल 5-7
- इब्रानियों 12