प्रतिदिन अपने दफ्तर जाने के लिए मैं एक ही राजमार्ग से होकर निकलता हूँ, और प्रतिदिन मैं अपने मार्ग में अनेकों वाहन चालकों को देखता हूँ, जिनका ध्यान मार्ग से बँटा हुआ होता है; उनकी संख्या घबारा देने वाली है। मुख्यतः यह बँटा हुआ ध्यान फोन पर बात करने या सन्देश पढ़ने अथवा भेजने के कारण होता है, परन्तु मैंने ऐसे चालकों को 70 मील प्रति घंटा या अधिक की रफतार से गाड़ी चलाने के साथ साथ अखबार पढ़ते हुए, मेकअप करते हुए, और नाशता करते हुए भी देखा है! कुछ परिस्थितियों में ध्यान बँटना क्षणिक और हानि रहित होता है; परन्तु ऐसे चलती हुई गाड़ी में, यह अत्यंत हानिकारक एवं जानलेवा भी हो सकता है - अपने लिए भी और अन्य लोगों के लिए भी।
परमेश्वर के साथ हमारे संबंधों में भी ध्यान बँटना परस्पर संपर्क तथा संबंध के लिए हानिकारक होता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में लूका 10 अध्याय के अन्त में जो वृतान्त दिया है, उसमें हम देखते हैं कि मार्था के साथ प्रभु यीशु मसीह की समस्या यही थी; प्रभु यीशु के स्वागत तथा मेहमानवाज़ी में वह इतनी व्यस्त थी कि उसके पास प्रभु ही के लिए समय नहीं था। अपनी इस व्यस्तता से स्वयं मार्था भी इतनी घबरा गई कि अपनी बहन मरियम के बारे में प्रभु से ही शिकायत करने लगी, क्योंकि मरियम काम में उसका हाथ बंटाने की बजाए प्रभु के चरणों पर बैठकर उससे सीख रही थी। प्रभु यीशु ने मार्था को समझाया, "मार्था, हे मार्था; तू बहुत बातों के लिये चिन्ता करती और घबराती है। परन्तु एक बात अवश्य है, और उस उत्तम भाग को मरियम ने चुन लिया है: जो उस से छीना न जाएगा" (लूका 10:41-42)।
प्रभु यीशु की संगति में बैठने तथा उसकी शिक्षाओं को सुनने से मार्था का ध्यान भंग करने वाली बातें ना तो गलत थी और ना ही प्रभु के लिए मार्था उद्देश्य गलत था। लेकिन उन बातों के कारण वह शान्त मन से प्रभु के साथ बैठकर उसकी संगति का आनन्द तथा उसकी शिक्षाओं को सुन नहीं पा रही थी। प्रभु की उपस्थिति में होते हुए भी, प्रभु की उत्तम पहुनाई की इच्छा और प्रयास रखते हुए भी, वह प्रभु से दूर थी, उसके संपर्क में नहीं थी; और उसके ये प्रयास ही उसकी अशान्ति के कारण बन गए थे।
प्रभु हमारी गहरी भक्ति और पूरे ध्यान के योग्य है; और वही हमें हर उस ध्यान बँटाने वाली बात पर जय पाने का मार्गदर्शन एवं सामर्थ दे सकता है जो उसके साथ हमारे गहरे और अर्थपूर्ण तथा आनन्दपूर्ण संपर्क में बाधा बनती है। - बिल क्राउडर
यदि आप कुंठित होना चाहते हैं तो अपने अन्दर देखते रहिए;
यदि अशान्त और परेशान तो अपने आस-पास देखिए;
यदि आनन्दित एवं शान्त तो प्रभु यीशु की ओर देखिए।
मैं तुम से सच सच कहता हूं, जो मेरा वचन सुनकर मेरे भेजने वाले की प्रतीति करता है, अनन्त जीवन उसका है, और उस पर दंड की आज्ञा नहीं होती परन्तु वह मृत्यु से पार हो कर जीवन में प्रवेश कर चुका है। - यूहन्ना 5:24
बाइबल पाठ: लूका 10:38-42
Luke 10:38 फिर जब वे जा रहे थे, तो वह एक गांव में गया, और मार्था नाम एक स्त्री ने उसे अपने घर में उतारा।
Luke 10:39 और मरियम नाम उस की एक बहिन थी; वह प्रभु के पांवों के पास बैठकर उसका वचन सुनती थी।
Luke 10:40 पर मार्था सेवा करते करते घबरा गई और उसके पास आकर कहने लगी; हे प्रभु, क्या तुझे कुछ भी सोच नहीं कि मेरी बहिन ने मुझे सेवा करने के लिये अकेली ही छोड़ दिया है? सो उस से कह, कि मेरी सहायता करे।
Luke 10:41 प्रभु ने उसे उत्तर दिया, मार्था, हे मार्था; तू बहुत बातों के लिये चिन्ता करती और घबराती है।
Luke 10:42 परन्तु एक बात अवश्य है, और उस उत्तम भाग को मरियम ने चुन लिया है: जो उस से छीना न जाएगा।
एक साल में बाइबल:
- लैव्यवस्था 25
- मरकुस 1:23-45