जेन अपने बरामदे में बैठी एक चिंतित करने वाले प्रश्न पर विचार कर रही थी: क्या उसे पुस्तक लिखनी चाहिए? उसने ब्लॉग लिखने और सार्वजनिक स्थानों में बोलने का आनन्द तो लिया था, परन्तु अब उसे ऐसा लग रहा था कि परमेश्वर उससे कुछ और अधिक करवाना चाहता है। उसने परमेश्वर से पूछा कि "क्या आप चाहते हैं कि मैं ऐसा करूँ?" उसने इस बारे में परमेश्वर से बातचीत की और उससे मार्गदर्शन माँगा। उसने सोचना आरंभ किया कि क्या परमेश्वर चाहता था कि वह अपने पति की अशलीलता को देखने-पढ़ने की लत, और कैसे परमेश्वर उसके जीवन में तथा उनके वैवाहिक जीवन में कार्य कर रहा है के बारे में लिखे। परन्तु फिर उसने सोचा कि ऐसा करने से उसके पति की सार्वजनिक रीति से बदनामी हो जाएगी। इसलिए उसने प्रार्थना की क्या वे दोनों मिलकर उस पुस्तक को लिखें? फिर उसने अपने पति से इसके बारे में पूछा और वह यह करने के लिए सहमत हो गए।
परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि राजा दाऊद ने यद्यपि यह तो नहीं लिखा कि उसने क्या पाप किया था, परन्तु वह अपने संघर्ष को लेकर एक सार्वजनिक संवाद में भागीदार हुआ। उसने अपने इस अनुभव को एक भजन के रूप में भी प्रस्तुत किया, और लिखा: "जब मैं चुप रहा तब दिन भर कराहते कराहते मेरी हडि्डयां पिघल गईं" (भजन 32:3)। फिर आगे लिखा कि, "जब मैं ने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, और कहा, मैं यहोवा के साम्हने अपने अपराधों को मान लूंगा; तब तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया" (भजन 32:5)। हर किसी को अपने प्रत्येक व्यक्तिगत संघर्ष को सार्वजनिक नहीं करना चाहिए। परन्तु जब दाऊद ने परमेश्वर के सामने अपने पाप का अंगीकार किया तो उसे शांति और चँगाई मिली जिससे प्रोत्साहित होकर उसने परमेश्वर की स्तुति का यह भजन लिखा।
जेन और उसके पति का कहना है कि अपनी गहरी व्यक्तिगत कहानी को मिलकर लिखने से उनकी एक दूसरे के प्रति निकटता और बढ़ी है। यह परमेश्वर के कितना समान है, जो जब हम अपने पापों का अंगीकार करते हैं तो हमारे दोष, लज्जा और अलग किए जाने को ले लेता है, और उन सब के स्थान पर हमें अपनी क्षमा, साहस और संगति प्रदान कर देता है। - टिम गस्टाफसन
जो अपने पाप अंगीकार कर लेते हैं उन्हें पापों से क्षमा भी मिल जाती है।
जो अपने अपराध छिपा रखता है, उसका कार्य सफल नहीं होता, परन्तु जो उन को मान लेता और छोड़ भी देता है, उस पर दया की जायेगी। - नीतिवचन 28:13
बाइबल पाठ: भजन 32:1-11
Psalms 32:1 क्या ही धन्य है वह जिसका अपराध क्षमा किया गया, और जिसका पाप ढ़ाँपा गया हो।
Psalms 32:2 क्या ही धन्य है वह मनुष्य जिसके अधर्म का यहोवा लेखा न ले, और जिसकी आत्मा में कपट न हो।
Psalms 32:3 जब मैं चुप रहा तब दिन भर कराहते कराहते मेरी हडि्डयां पिघल गईं।
Psalms 32:4 क्योंकि रात दिन मैं तेरे हाथ के नीचे दबा रहा; और मेरी तरावट धूप काल की सी झुर्राहट बनती गई।
Psalms 32:5 जब मैं ने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, और कहा, मैं यहोवा के साम्हने अपने अपराधों को मान लूंगा; तब तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया।
Psalms 32:6 इस कारण हर एक भक्त तुझ से ऐसे समय में प्रार्थना करे जब कि तू मिल सकता है। निश्चय जब जल की बड़ी बाढ़ आए तौभी उस भक्त के पास न पहुंचेगी।
Psalms 32:7 तू मेरे छिपने का स्थान है; तू संकट से मेरी रक्षा करेगा; तू मुझे चारों ओर से छुटकारे के गीतों से घेर लेगा।
Psalms 32:8 मैं तुझे बुद्धि दूंगा, और जिस मार्ग में तुझे चलना होगा उस में तेरी अगुवाई करूंगा; मैं तुझ पर कृपा दृष्टि रखूंगा और सम्मत्ति दिया करूंगा।
Psalms 32:9 तुम घोड़े और खच्चर के समान न बनो जो समझ नहीं रखते, उनकी उमंग लगाम और बाग से रोकनी पड़ती है, नहीं तो वे तेरे वश में नहीं आने के।
Psalms 32:10 दुष्ट को तो बहुत पीड़ा होगी; परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह करूणा से घिरा रहेगा।
Psalms 32:11 हे धर्मियों यहोवा के कारण आनन्दित और मगन हो, और हे सब सीधे मन वालों आनन्द से जयजयकार करो!
एक साल में बाइबल:
- भजन 31-32
- प्रेरितों 23:16-35