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बुधवार, 6 जनवरी 2010

एक बालक का विश्वास

बाइबल पाठ: मत्ती १८:१ - ५

यदि तुम ना फिरो और बालकों के समान न बनो तो स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने न पाओगे। - मत्ती १८:३

एक रविवार मैं ने माईक को अपने दोनो पिताओं के बारे में बोलते सुना - एक वह जिसने उसे पाला-पोसा और दूसरा स्वर्ग में परमेश्वर पिता।

पहले उसने पृथ्वी पर के अपने पिता के प्रति बचपन से अपने भरोसे के बारे में वर्णन किया, कि वह कैसा सरल और सीधा भरोसा है। वह उम्मीद रखता था कि उसके पिता बिगड़ी हुई वस्तुओं को सुधार देंगे और उसे सलाह भी देंगे। लेकिन फिर भी वह अक्सर उन्हें नराज़ करने से डरता था क्योंकि वह भूल जाता था कि उसके पिता का प्रेम और क्षमा हमेशा उप्लब्ध हैं।

माईक ने आगे कहा,"कुछ साल पहले मैं ने कई गलतियाँ कीं और बहुत से लोगों का दिल दुखाया। अपने गलती के बोझ के कारण मेरा अपने स्वर्गीय पिता के साथ सुखद और सरल संबंध टूट गया। मैं भूल गया कि मैं उससे निवेदन कर सकता था कि वह बिगड़े हुए को सुधार दे और मुझे सही सलाह दे"।

कई वर्ष बीत गये, आखिरकर माईक परमेश्वर से टूटे संबंध के कारण बहुत बेचैन हो गया लेकिन वह समझ नहीं पा रहा था कि संबंध ठीक करने के लिये वह क्या करे। उसके पादरी ने उससे कहा कि जैसा सामान्य व्यव्हार है, सच्चे दिल से परमेश्वर के सामने अपनी गलती मान लो और उससे माफी माँग लो।

लेकिन माईक उल्झे हुए सवाल करने लगा, जैसे: "यह कैसे संभव होगा?", "अगर परमेश्वर.... ?" इत्यादि। आखिर उसके पादरी ने परमेश्वर से प्रार्थना करी, "हे परमेश्वर कृप्या माईक को एक बच्चे का सा साधारण विश्वास दीजिये!" बाद में माईक ने आनन्द के साथ इस बात की गवाही दी कि परमेश्वर ने ऐसा ही किया।

माईक को परमेश्वर पिता के साथ निकटता फिर प्राप्त हो गई। इस निकटता कि पुनः प्राप्ती का राज़, माइक के लिये भी और हमारे लिये भी, बच्चे का सा सरल और साधारण विश्वास रखना है। - Joanie Yoder

Have you noticed that the child like faith
Of a little girl or boy
Has so often shown to older folks
About knowing Salvation's joy - Branon
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विश्वास एक बच्चे जैसे हृदय में सबसे अधिक चमकता है।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति १६ - १७
  • मत्ती ५:२७ - २८