नवंबर २००८ में अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय में भाषा और शब्दों के अभद्र प्रयोग की वैधानिक सीमाओं पर एक बहस हुई। एक पक्ष ने एक राष्ट्रीय प्रसारण करने वाली कंपनी का उदाहरण दिया जिसने अपने एक राष्ट्रीय प्रसारण में, दो कार्यक्रम प्रस्तुतकर्ताओं को सामान्य रूप से समाज में प्रयोग करे जाने वाली दो अश्लील शब्दों का प्रयोग करने दिया। इस प्रसारण कंपनी का तर्क था कि ऐसे शब्द जो बात के प्रवाह में प्रयुक्त हों और बिना किसी कामुक या कामोत्तेजक भावना से प्रयोग करे जाएं, उनके प्रयोग के लिए आपत्ति करना उचित नहीं है। दूसरे पक्ष का कहना था कि अपने बच्चों को ऐसी भाषा से बचा कर रखना हमारा कर्तव्य है।
परमेश्वर के वचन बाइबल में, इफसुस की मण्डली को लिखी अपनी पत्री में प्रेरित पौलुस ने इस संबंध में कुछ निर्देष दिए। पौलुस के लिए अभद्र भाषा और अश्लील शब्दों का प्रयोग और उनकी सीमाएं किसी बहस का मुद्दा नहीं थे। पौलुस ने उन विश्वासियों से दो टूक कहा कि प्रभु यीशु मसीह में मिले उद्धार और आशीषों के प्रति अपने कर्तव्य स्वरूप उन्हें अपनी भाषा के प्रयोग पर ध्यान देना और नियंत्रण रखना ही है (इफसियों ४:२९)।
पौलुस नहीं चाहता था कि कि वे लोग उद्धार से पूर्व के अपने पुरानी जीवन शैली में बने रहें; वह जीवन शैली जिसमें अभद्र भाषा, अश्लील शब्दों का प्रयोग, निन्दा, द्वेषपूर्ण भाषा, दूसरों को बदनाम करना, दूसरों को नुकसान पहुँचाने वाली भाषा या आपस में फूट पैदा करने वाली बात-चीत इत्यादि सामन्य रूप से पाए जाते थे। ऐसी भाषा के स्थान पर पौलुस चाहता था कि अब मसीह यीशु से उद्धार पाने और परमेश्वर की सन्तान बन जाने के बाद विश्वासियों की भाषा ऐसी हो जो दूसरों तक अनुग्रह पहुँचाए, उन्हें प्रोत्साहित करे और सुनने वालों की उन्नति का कारण बने।
प्रभु यीशु के अनुयायी होने के कारण हमें यह ध्यान रखना है कि जो शब्द हमारे मुँह से प्रवाहित होते हैं वे सुनने वालों के लिए जीवनदायक धारा के समान हों। जो भी हमारे शब्दों को सुने वह किसी प्रकार की कटुता नहीं वरन केवल मधुरता ही अनुभव करे। - मार्विन विलियम्स
हमारे शब्द परमेश्वर के वचन द्वारा प्रेरित होने चाहिएं।
कोई गन्दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो। - इफीसियों ४:२९
बाइबल पाठ: इफीसियों ४:२४-३२
Eph 4:24 और नये मनुष्यत्व को पहिन लो, जो परमेश्वर के अनुसार सत्य की धामिर्कता, और पवित्रता में सृजा गया है।
Eph 4:25 इस कारण झूठ बोलना छोड़कर हर एक अपने पड़ोसी से सच बोले, क्योंकि हम आपस में एक दूसरे के अंग हैं।
Eph 4:26 क्रोध तो करो, पर पाप मत करो: सूर्य अस्त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे।
Eph 4:27 और न शैतान को अवसर दो।
Eph 4:28 चोरी करने वाला फिर चोरी न करे; वरन भले काम करने में अपने हाथों से परिश्रम करे; इसलिये कि जिसे प्रयोजन हो, उसे देने को उसके पास कुछ हो।
Eph 4:29 कोई गन्दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो।
Eph 4:30 और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है।
Eph 4:31 सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए।
Eph 4:32 और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो।
एक साल में बाइबल:
- नीतिवचन ३-५
- २ कुरिन्थियों १