जिस विश्वविद्यालय में मैं पढ़ाता हूँ, वहाँ छात्रों को, उनके अध्ययन में सुविधा के लिए, लैपटॉप कंप्यूटर उपलब्ध कराए जाते हैं। यद्यपि यह सुविधा उनके अध्ययन के लिए निसंदेह सहायक है, किंतु मैंने पाया है कि कक्षा में यह उनके अध्ययन में बाधा भी बन जाती है।
क्योंकि विद्यार्थी अपने लैपटॉप्स पर ही लेक्चर के नोट्स बनाते हैं, इसलिए कक्षा में लेक्चर के समय वे सब अपने लैपटॉप खोल कर बैठते हैं। किंतु समस्या यह है कि लेक्चर के नोट्स बनाने के स्थान पर उनमें से कई अपने मित्रों के साथ संपर्क करना, फेसबुक पर देखना और लिखना या इंटरनैट पर अन्य किसी बात के लिए सर्फ करना आदि में लगे रहते हैं। ऐसे में, स्वाभाविक है कि उनका ध्यान मेरे लेक्चर की ओर नहीं वरन इन ध्यान भंग करने वाली बातों में रहेगा। चाहे अपने आप में वे बातें उचित हों, सकारात्मक हों, भली हों, ज्ञानवर्धक हों किंतु ऐसे में लैपटॉप की यह भली सुविधा उनके अध्ययन में सहायक नहीं नुकसानदेह बन जाती है।
कई भली बातें ऐसे ही हमारे जीवनों में मुख्य उद्देश्य से ध्यान हटा कर, हमारे लिए नुकसानदेह हो जाती हैं, क्योंकि जिस प्राथमिकता पर हमें अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए, वे उससे हमारा ध्यान हटा देती हैं। यही प्रभु यीशु से प्रेम करने वाले एक परिवार में घटित हुआ; उस परिवार ने प्रभु को अपने घर आमंत्रित किया और प्रभु की सेवा टहल के लिए एक बहन मार्था तो दौड़-धूप में लग गई, किंतु दूसरी बहन मरियम प्रभु के चरणों पर बैठकर उस की सुनने लगी। थोड़ी देर में "पर मार्था सेवा करते करते घबरा गई..." और प्रभु ही को उलाहना देने लगी "...और उसके पास आकर कहने लगी; हे प्रभु, क्या तुझे कुछ भी सोच नहीं कि मेरी बहिन ने मुझे सेवा करने के लिये अकेली ही छोड़ दिया है सो उस से कह, कि मेरी सहायता करे" (लूका १०:४०)।
क्या आपके जीवन में भी कोई ऐसी आदत या गतिविधि या कोई शौक है जो अपने आप में तो ज़रा भी बुरा नहीं है, लेकिन वह आपके परिवार की ज़िम्मेदारियां निभाने में और प्रभु के साथ उचित समय बिताने में बाधा बनता है? क्या कुछ ’भली बातें’ आपका ध्यान आपकी प्राथमिकताओं से भंग कर रहीं हैं? यदि हाँ, तो यह समय है कि आप इस बात की ओर ध्यान दें, और अपने जीवन में आवश्यक परिवर्तन लाएं।
जैसे प्रभु यीशु ने मार्था को समझाया, भले की नहीं उत्तम की सोचें और उससे अपना ध्यान भंग ना होने दें; अपने सर्वोत्तम उद्देश्य को पूरा करें। - डेव ब्रैनन
हम परमेश्वर की महिमा के लिए सृजे गए हैं; यही हमारे जीवन का सर्वोत्तम उद्देश्य है।
बाइबल पाठ: लूका १०:३८-४२
Luk 10:38 फिर जब वे जा रहे थे, तो वह एक गांव में गया, और मार्था नाम एक स्त्री ने उसे अपने घर में उतारा।
Luk 10:39 और मरियम नाम उस की एक बहिन थी; वह प्रभु के पांवों के पास बैठकर उसका वचन सुनती थी।
Luk 10:40 पर मार्था सेवा करते करते घबरा गई और उसके पास आकर कहने लगी; हे प्रभु, क्या तुझे कुछ भी सोच नहीं कि मेरी बहिन ने मुझे सेवा करने के लिये अकेली ही छोड़ दिया है सो उस से कह, कि मेरी सहायता करे।
Luk 10:41 प्रभु ने उसे उत्तर दिया, मार्था, हे मार्था; तू बहुत बातों के लिये चिन्ता करती और घबराती है।
Luk 10:42 परन्तु एक बात अवश्य है, और उस उत्तम भाग को मरियम ने चुन लिया है: जो उस से छीना न जाएगा।
एक साल में बाइबल:
- लैव्यवस्था १-३
- मत्ती २४:१-२८