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शुक्रवार, 12 अक्टूबर 2012

रंग


   पेड़ जो बसन्त और गर्मियों में हरे होते हैं वे शरतकाल में पीले, नारंगी या भूरे क्यों हो जाते हैं? पेड़ों की पत्तियों का हरा रंग उनमें पाए जाने वाले क्लोरोफिल नामक पदर्थ के कारण होता है जो सूर्य की रौशनी से लाल और नीले रंग की किरणें सोख कर उनकी ऊर्जा से हवा की कार्बन-डाई-ऑक्साईड को अपने भोजन के लिए प्रयुक्त करता है और हवा में ऑक्सीजन वापस दे देता है। लाल और नीले रंग की किरणें सोख लेने से बची हुई प्रतिबिंबित हरी किरणें हमें दिखाई देती हैं और इसीलिए हमें पत्ते और पेड़ हरे दिखाई देते हैं। शरत ऋतु में जब दिन छोटे होते हैं तो कम रौशनी के कारण पत्तों में क्लोरोफिल के बनने और कार्य करने में फर्क आता है और उसकी मात्रा भी पत्तों में बदलती जाती है जिससे अलग अलग रंग दिखने लगते हैं।

   हम रंगों को जीवन की बातों से जोड़ कर देखते हैं, जैसे हरे रंग को नवजीवन और सही का सूचक होने, लाल रंग को खतरे का सूचक, सफेद को सादगी, ईमानदारी और पवित्रता का सूचक इत्यादि। हमारे द्वारा पहने हुए वस्त्रों का रंग भी हमारे मन की स्थिति को दर्शाता है और देखने वालों को हमारे बारे में एक मूक सन्देश देता है। यदि कोई किसी बात में लिप्त हो जाता है, तो उसके लिए हम कहते हैं कि यह तो उस रंग में रंग गया है। जैसे रंग बिना शब्दों के बहुत कुछ कह जाते हैं और उन्हें देखकर समझने वाले बहुत कुछ समझ सकते हैं, वैसे ही प्रकृति की अन्य वस्तुएं भी परमेश्वर के अस्तित्व, उसकी सामर्थ और उसकी महिमा के बारे में बहुत कुछ कहती रहती हैं। परमेश्वर के वचन बाइबल में पौलुस प्रेरित ने रोमियों के विश्वासियों को इस संदर्भ में लिखा: "...उसके अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्‍व जगत की सृष्‍टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते हैं..." (रोमियों १:२०)।

   परमेश्वर ने अपने आप को हम पर अनेक रीति से प्रकट किया है। वह हमारे मनों में भी अपनी बातों को डालता है: "इसलिये कि परमेश्वर के विषय में ज्ञान उन के मनों में प्रगट है, क्‍योंकि परमेश्वर ने उन पर प्रगट किया है" (रोमियों १:१९); वह अपनी सृष्टि में होकर भी हमसे बातें करता है; उसने अपना जीवित वचन भी हमारे हाथों में रखा है; और "इन दिनों के अन्‍त में हम से पुत्र के द्वारा बातें की, जिसे उस ने सारी वस्‍तुओं का वारिस ठहराया और उसी के द्वारा उस ने सारी सृष्‍टि रची है" (इब्रानियों १:२)।

   अपने चारों ओर शांत मन से देखिए और विचार कीजिए। परमेश्वर अपने आप को प्रकट कर रहा है और आप से बातें करना चाहता है। जैसे हम सामन्य रीति से अपने जीवन और कार्यों से संबंधित बातों का विशलेषण करते हैं और उन्हें जांचने तथा परखने के बाद उन्हें स्वीकार या अस्वीकार करते हैं, वैसे ही परमेश्वर की सृष्टि की बातों का विशलेषण करके देखिए। सृष्टि का ताना-बाना और उसका अविराल सुचारू रूप से कार्य करते रहना उसके सृष्टिकर्ता की ओर इशारा कर रहा है। अविश्वास के रंग में ना रंगें, परमेश्वर पर विश्वास करें क्योंकि उसके रंग हर ओर विद्यमान हैं।


परमेश्वर की महिमा उसकी सृष्टि से विदित है।

आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है। - भजन १९:१

बाइबल पाठ: भजन १९:१-१४
Psa 19:1  आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है। 
Psa 19:2  दिन से दिन बातें करता है, और रात को रात ज्ञान सिखाती है। 
Psa 19:3  न तो कोई बोली है और न कोई भाषा जहां उनका शब्द सुनाई नहीं देता है। 
Psa 19:4  उनका स्वर सारी पृथ्वी पर गूंज गया है, और उनके वचन जगत की छोर तक पहुंच गए हैं। उन में उस ने सूर्य के लिये एक मण्डप खड़ा किया है, 
Psa 19:5  जो दुल्हे के समान अपने महल से निकलता है। वह शूरवीर की नाईं अपनी दौड़ दौड़ने को हर्षित होता है। 
Psa 19:6  वह आकाश की एक छोर से निकलता है, और वह उसकी दूसरी छोर तक चक्कर मारता है; और उसकी गर्मी सबको पहुंचती है।
Psa 19:7  यहोवा की व्यवस्था खरी है, वह प्राण को बहाल कर देती है; यहोवा के नियम विश्वासयोग्य हैं, साधारण लोगों को बुद्धिमान बना देते हैं; 
Psa 19:8  यहोवा के उपदेश सिद्ध हैं, हृदय को आनन्दित कर देते हैं; यहोवा की आज्ञा निर्मल है, वह आंखों में ज्योति ले आती है; 
Psa 19:9  यहोवा का भय पवित्र है, वह अनन्तकाल तक स्थिर रहता है; यहोवा के नियम सत्य और पूरी रीति से धर्ममय हैं। 
Psa 19:10  वे तो सोने से और बहुत कुन्दन से भी बढ़कर मनोहर हैं; वे मधु से और टपकने वाले छत्ते से भी बढ़कर मधुर हैं। 
Psa 19:11  और उन्हीं से तेरा दास चिताया जाता है; उनके पालन करने से बड़ा ही प्रतिफल मिलता है। 
Psa 19:12  अपनी भूलचूक को कौन समझ सकता है? मेरे गुप्त पापों से तू मुझे पवित्र कर। 
Psa 19:13  तू अपने दास को ढिठाई के पापों से भी बचाए रख; वह मुझ पर प्रभुता करने न पाएं! तब मैं सिद्ध हो जाऊंगा, और बड़े अपराधों से बचा रहूंगा।
Psa 19:14  मेरे मुंह के वचन और मेरे हृदय का ध्यान तेरे सम्मुख ग्रहण योग्य हों, हे यहोवा परमेश्वर, मेरी चट्टान और मेरे उद्धार करनेवाले!

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ३९-४० 
  • कुलुस्सियों ४