ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शुक्रवार, 24 जनवरी 2014

वास्तविकता


   कार से यात्रा करते हुए मेरा ध्यान मार्ग के किनारे लगे एक संकेत पर गया - वह बेदाग़ सफेद था और बड़े सुन्दर लाल अक्षरों में उस पर लिखा था: "नालियाँ और खिड़कियाँ - उत्कृष्ट कार्य की गरण्टी।" वह संकेत तो बहुत अच्छा था परन्तु मुझे उस पर लिखी बात पर कोई विश्वास नहीं हुआ, क्योंकि जिस घर पर वह लगा था वह घर बड़ी जीर्ण हालत में था और लगता था कभी भी ढह जाएगा, उस घर पर लगा रंग उतर रहा था, वहाँ की खिड़कियाँ टूटी हुई थीं और मुझे कोई नाली वहाँ दिखाई नहीं दी। जिस बात का दावा और विज्ञापन किया जा रहा था वही उस घर में विद्यमान नहीं थी।

   बहुत से ’मसीही’ जीवन भी ऐसे ही होते हैं - मसीह यीशु का विज्ञापन तो बहुत करते हैं परन्तु उनके आत्मिक घर टूटे हुए होते हैं; वे मसीहियत की भाषा तो बोलते हैं, नियमित रीति से चर्च जाते हैं, लोगों से मिलते जुलते भी हैं लेकिन उनमें मसीह यीशु के गुण दिखाई नहीं देते। जब हमारा चाल-चलन हमारे मसीही प्रचार के अनुरूप नहीं होता तो हमारा अच्छा व्यवहार केवल धर्मपरायणता का दिखावा मात्र है। प्रभु यीशु ने फरीसियों अर्थात अपने समय के धर्म के अगुवों को आईना दिखाते हुए कहा: "इसी रीति से तुम भी ऊपर से मनुष्यों को धर्मी दिखाई देते हो, परन्तु भीतर कपट और अधर्म से भरे हुए हो" (मत्ती 23:28)। प्रभु यीशु का यह दो टूक संबोधन केवल फरीसियों के लिए ही नहीं था; उन्होंने अपने चेलों से भी ऐसे ही दो टूक शब्दों में कहा: "सावधान रहो! तुम मनुष्यों को दिखाने के लिये अपने धर्म के काम न करो, नहीं तो अपने स्‍वर्गीय पिता से कुछ भी फल न पाओगे" (मत्ती 6:1)।

   परमेश्वर का वचन बाइबल हमें स्पष्ट शब्दों में कहती है: "आज्ञा का सारांश यह है, कि शुद्ध मन और अच्‍छे विवेक, और कपट रहित विश्वास से प्रेम उत्पन्न हो" (1 तिमुथियुस 1:5)। मसीही जीवन के ये सदगुण हमारी कथनी और करनी दोनो से ही संसार के सामने प्रकट होने चाहिएं (लूका 6:45)। आज अपने आत्मिक जीवन को जाँच के देखें; यदि लोग आपके बाहर के सुन्दर प्रदर्शन से आगे आपके अन्दर के वास्तविक जीवन को देखें तो उन्हें देखने को क्या मिलेगा?

   क्या आपके मसीही जीवन की वास्तविकता मसीह यीशु को स्वीकार योग्य है? - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


परमेश्वर चाहता है कि हमारे कार्य हमारे शुद्ध जीवनों का प्रतिबिंब हों।

भला मनुष्य अपने मन के भले भण्‍डार से भली बातें निकालता है; और बुरा मनुष्य अपने मन के बुरे भण्‍डार से बुरी बातें निकालता है; क्योंकि जो मन में भरा है वही उसके मुंह पर आता है। - लूका 6:45

बाइबल पाठ: मत्ती 23:23-31
Matthew 23:23 हे कपटी शास्‍त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाय; तुम पोदीने और सौंफ और जीरे का दसवां अंश देते हो, परन्तु तुम ने व्यवस्था की गम्भीर बातों को अर्थात न्याय, और दया, और विश्वास को छोड़ दिया है; चाहिये था कि इन्हें भी करते रहते, और उन्हें भी न छोड़ते। 
Matthew 23:24 हे अन्धे अगुवों, तुम मच्छर को तो छान डालते हो, परन्तु ऊंट को निगल जाते हो। 
Matthew 23:25 हे कपटी शास्‍त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाय, तुम कटोरे और थाली को ऊपर ऊपर से तो मांजते हो परन्तु वे भीतर अन्‍धेर असंयम से भरे हुए हैं। 
Matthew 23:26 हे अन्धे फरीसी, पहिले कटोरे और थाली को भीतर से मांज कि वे बाहर से भी स्‍वच्‍छ हों।
Matthew 23:27 हे कपटी शास्‍त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाय; तुम चूना फिरी हुई कब्रों के समान हो जो ऊपर से तो सुन्‍दर दिखाई देती हैं, परन्तु भीतर मुर्दों की हड्डियों और सब प्रकार की मलिनता से भरी हैं। 
Matthew 23:28 इसी रीति से तुम भी ऊपर से मनुष्यों को धर्मी दिखाई देते हो, परन्तु भीतर कपट और अधर्म से भरे हुए हो।
Matthew 23:29 हे कपटी शास्‍त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाय; तुम भविष्यद्वक्ताओं की कब्रें संवारते और धर्मियों की कब्रें बनाते हो। 
Matthew 23:30 और कहते हो, कि यदि हम अपने बाप-दादों के दिनों में होते तो भविष्यद्वक्ताओं की हत्या में उन के साझी न होते। 
Matthew 23:31 इस से तो तुम अपने पर आप ही गवाही देते हो, कि तुम भविष्यद्वक्ताओं के घातकों की सन्तान हो।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 28-31