अधिकांश लोग इस बात से सहमत होंगे कि जीवन भले और बुरे का दुखदायी मिश्रण है। यह तथ्य विवाह, मित्रता, परिवार, कार्य और चर्च आदि सभी संबंधों तथा स्थानों पर देखा जाता है। परन्तु फिर भी जब स्वार्थ और अपने आप को ऊँचा उठाने की प्रवृति उन में देखने को मिलती है जो मसीह यीशु की सेवा और आराधना करते हैं तो यह निराश तथा चकित करने वाला होता है।
जब प्रेरित यूहन्ना ने अपने मित्र गयूस को पत्र लिखा तो उसने उस चर्च की प्रशंसा करी जिस के साथ गयूस जुड़ा हुआ था। यूहन्ना ने उस मसीही मण्डली की प्रशंसा उनके सच्चे जीवन और उदार पहुनाई की भावना के लिए करी (3 यूहन्ना 1:3-8)। परन्तु उसी मण्डली में एक अन्य स्वभाव का व्यक्ति था - दियुत्रिफेस, जो अपने आप को बड़ा ठहराना चाहता था (पद 9), और अपने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उसने वहाँ परस्पर बैर का वातावरण बना रखा था।
यूहन्ना ने उन्हें आश्वासन दिय कि जब वह अगली बार उनसे मिलने आएगा तब दियुत्रिफेस से स्वयं निपटेगा। परन्तु तब तक के लिए उस मण्डली को यूहन्ना का निर्देष था: "हे प्रिय, बुराई के नहीं, पर भलाई के अनुयायी हो, जो भलाई करता है, वह परमेश्वर की ओर से है; पर जो बुराई करता है, उसने परमेश्वर को नहीं देखा" (3 यूहन्ना 1:11)। कुछ ऐसी ही शिक्षा प्रेरित पौलुस ने रोम की मसीही मण्डली को भी दी थी: "बुराई से न हारो परन्तु भलाई से बुराई का जीत लो" (रोमियों 12:21)।
किसी उत्तेजना पूर्ण विवाद के समय हमें "जैसे को तैसा" वाला सिद्धांत अपनाने का प्रलोभन आ सकता है, परन्तु परमेश्वर का वचन बाइबल हमें सिखाती है कि हम बुराई से मूँह मोड़ कर भलाई का अनुसरण करें। यही वह मार्ग है जो जगत के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह ने हमें सिखाया है, और उसे जी कर के भी दिखाया है। - डेविड मैक्कैसलैंड
जैसे उजियाला अन्धकार पर विजयी रहता है, भलाई भी बुराई पर जयवंत रहती है।
परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सताने वालों के लिये प्रार्थना करो। जिस से तुम अपने स्वर्गीय पिता की सन्तान ठहरोगे क्योंकि वह भलों और बुरों दोनों पर अपना सूर्य उदय करता है, और धर्मियों और अधर्मियों दोनों पर मेंह बरसाता है। - मत्ती 5:44-45
बाइबल पाठ: 3 यूहन्ना 1:1-14
3 John 1:1 मुझ प्राचीन की ओर से उस प्रिय गयुस के नाम, जिस से मैं सच्चा प्रेम रखता हूं।
3 John 1:2 हे प्रिय, मेरी यह प्रार्थना है; कि जैसे तू आत्मिक उन्नति कर रहा है, वैसे ही तू सब बातों मे उन्नति करे, और भला चंगा रहे।
3 John 1:3 क्योंकि जब भाइयों ने आकर, तेरे उस सत्य की गवाही दी, जिस पर तू सचमुच चलता है, तो मैं बहुत ही आनन्दित हुआ।
3 John 1:4 मुझे इस से बढ़कर और कोई आनन्द नहीं, कि मैं सुनूं, कि मेरे लड़के-बाले सत्य पर चलते हैं।
3 John 1:5 हे प्रिय, जो कुछ तू उन भाइयों के साथ करता है, जो परदेशी भी हैं, उसे विश्वासी की नाईं करता है।
3 John 1:6 उन्होंने मण्डली के साम्हने तेरे प्रेम की गवाही दी थी: यदि तू उन्हें उस प्रकार विदा करेगा जिस प्रकार परमेश्वर के लोगों के लिये उचित है तो अच्छा करेगा।
3 John 1:7 क्योंकि वे उस नाम के लिये निकले हैं, और अन्यजातियों से कुछ नहीं लेते।
3 John 1:8 इसलिये ऐसों का स्वागत करना चाहिए, जिस से हम भी सत्य के पक्ष में उन के सहकर्मी हों।
3 John 1:9 मैं ने मण्डली को कुछ लिखा था; पर दियुत्रिफेस जो उन में बड़ा बनना चाहता है, हमें ग्रहण नहीं करता।
3 John 1:10 सो जब मैं आऊंगा, तो उसके कामों की जो वह कर रहा है सुधि दिलाऊंगा, कि वह हमारे विषय में बुरी बुरी बातें बकता है; और इस पर भी सन्तोष न कर के आप ही भाइयों को ग्रहण नहीं करता, और उन्हें जो ग्रहण करना चाहते हैं, मना करता है: और मण्डली से निकाल देता है।
3 John 1:11 हे प्रिय, बुराई के नहीं, पर भलाई के अनुयायी हो, जो भलाई करता है, वह परमेश्वर की ओर से है; पर जो बुराई करता है, उसने परमेश्वर को नहीं देखा।
3 John 1:12 देमेत्रियुस के विषय में सब ने वरन सत्य ने भी आप ही गवाही दी: और हम भी गवाही देते हैं, और तू जानता है, कि हमारी गवाही सच्ची है।
3 John 1:13 मुझे तुझ को बहुत कुछ लिखना तो था; पर सियाही और कलम से लिखना नहीं चाहता।
3 John 1:14 पर मुझे आशा है कि तुझ से शीघ्र भेंट करूंगा: तब हम आमने सामने बातचीत करेंगे: तुझे शान्ति मिलती रहे। यहां के मित्र तुझे नमस्कार करते हैं: वहां के मित्रों से नाम ले ले कर नमस्कार कह देना।
एक साल में बाइबल:
- यहेजकेल 25-27