हाल ही में मैंने एक सुन्दर, सफेद बालों वाली वृद्ध महिला को देखा, उसकी टी-शर्ट पर लिखा था, "मैं 80 की नहीं, 18 की ही हूँ; साथ में बस 62 का अनुभव है।" समाचार पत्रों के निधन एवं शोक सूचनाओं में छपी तस्वीरें और उनके नीचे लिखे वाक्य भी कभी कभी रोचक होते हैं; वहाँ एक नौजवान फौजी के मुस्कुराते हुए चेहरे की तस्वीर के नीचे लिखा मिलेगा "उम्र 92 वर्ष; देश के लिए दूसरे विश्व युद्ध में भाग लिया"। या किसी चमकती हुई आंखों वाली नवयुवती की तस्वीर के नीचे लिखा होगा, "89 वर्ष की जवान; आर्थिक मन्दी के काल में पली-बड़ी हुई।" इन सभी सन्देशों का अर्थ स्पष्ट है - "हम सदा ही ऐसे नहीं थे; कभी हम भी जवान थे।"
अकसर जो एक लंबा जीवन जी चुके होते हैं वे अपने आप को घर-परिवार तथा समाज में हाशिए पर रखा हुआ अनुभव करते हैं, मानो कि अब उनका समय बीत गया है, उनकी उपयोगिता समाप्त हो गई है और अब बस समय पूरा होने का ही इंतिज़ार है। लेकिन परमेश्वर का वचन बाइबल हमें इससे अलग ही दृष्टिकोण देती है। भजन 92 हमें बताता है कि हम चाहे उम्र में कितने भी वृद्ध हों लेकिन हम फिर भी नए फलों से लदे जीवन व्यतीत कर सकते हैं। परमेश्वर के विश्वासी, सदा उपजाऊ रहने वाली तथा भली भांति सींची हुई भूमि के बगीचे में रोपे गए वृक्ष अर्थात परमेश्वर की संगति में रोपे गए हैं और "वे पुराने होने पर भी फलते रहेंगे, और रस भरे और लहलहाते रहेंगे" (भजन 92:14)। प्रभु यीशु ने अपने अनुयायियों से वायदा किया कि "मैं दाखलता हूं: तुम डालियां हो; जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है..." (यूहन्ना 15:5)।
हाँ, एक अवस्था में आकर माँसपेशियाँ दुखने लगती हैं, जोड़ों में दर्द रहने लगता है, जीवन की गति कुछ शिथिल पड़ जाती है, लेकिन हर मसीही विश्वासी को परमेश्वर का यह आश्वासन है: "इसलिये हम हियाव नहीं छोड़ते; यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्व नाश भी होता जाता है, तौभी हमारा भीतरी मनुष्यत्व दिन प्रतिदिन नया होता जाता है" (2 कुरिन्थियों 4:16)। यदि हम परमेश्वर की संगति में बने रहे हैं तो हमारी शारीरिक अवस्था चाहे कितनी भी क्यों ना हो जाए, हम मन से सदा ’जवानी और उसके साथ कुछ वर्षों के अनुभव वाल’ ही रह सकते हैं; ऐसे अनुभव जो बहुमूल्य हैं, परमेश्वर की संगति से मिले हैं और हर उम्र के व्यक्ति के लिए लाभकारी हैं तथा जिनकी उपयोगिता हमें जवानों के समान ही उपयोगी और फलवन्त बनाए रखती है। - सिंडी हैस कैस्पर
विश्वासयोग्यता परमेश्वर की माँग है; फलवन्त जीवन उसका पुरुस्कार।
वे पुराने होने पर भी फलते रहेंगे, और रस भरे और लहलहाते रहेंगे - भजन 92:14
बाइबल पाठ: भजन 92
Psalms 92:1 यहोवा का धन्यवाद करना भला है, हे परमप्रधान, तेरे नाम का भजन गाना;
Psalms 92:2 प्रात:काल को तेरी करूणा, और प्रति रात तेरी सच्चाई का प्रचार करना,
Psalms 92:3 दस तार वाले बाजे और सारंगी पर, और वीणा पर गम्भीर स्वर से गाना भला है।
Psalms 92:4 क्योंकि, हे यहोवा, तू ने मुझ को अपने काम से आनन्दित किया है; और मैं तेरे हाथों के कामों के कारण जयजयकार करूंगा।
Psalms 92:5 हे यहोवा, तेरे काम क्या ही बड़े हैं! तेरी कल्पनाएं बहुत गम्भीर हैं!
Psalms 92:6 पशु समान मनुष्य इस को नहीं समझता, और मूर्ख इसका विचार नहीं करता:
Psalms 92:7 कि दुष्ट जो घास की नाईं फूलते-फलते हैं, और सब अनर्थकारी जो प्रफुल्लित होते हैं, यह इसलिये होता है, कि वे सर्वदा के लिये नाश हो जाएं,
Psalms 92:8 परन्तु हे यहोवा, तू सदा विराजमान रहेगा।
Psalms 92:9 क्योंकि हे यहोवा, तेरे शत्रु, हां तेरे शत्रु नाश होंगे; सब अनर्थकारी तितर बितर होंगे।
Psalms 92:10 परन्तु मेरा सींग तू ने जंगली सांढ़ का सा ऊंचा किया है; मैं टटके तेल से चुपड़ा गया हूं।
Psalms 92:11 और मैं अपने द्रोहियों पर दृष्टि कर के, और उन कुकर्मियों का हाल मेरे विरुद्ध उठे थे, सुनकर सन्तुष्ट हुआ हूं।
Psalms 92:12 धर्मी लोग खजूर की नाईं फूले फलेंगे, और लबानोन के देवदार की नाईं बढ़ते रहेंगे।
Psalms 92:13 वे यहोवा के भवन में रोपे जा कर, हमारे परमेश्वर के आंगनों में फूले फलेंगे।
Psalms 92:14 वे पुराने होने पर भी फलते रहेंगे, और रस भरे और लहलहाते रहेंगे,
Psalms 92:15 जिस से यह प्रगट हो, कि यहोवा सीधा है; वह मेरी चट्टान है, और उस में कुटिलता कुछ भी नहीं।
एक साल में बाइबल:
- 1 इतिहास 13-15
- यूहन्ना 7:1-27