ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

सोमवार, 2 अगस्त 2010

सच्चे मित्र

जब मैंने इन्टरनैट की एक लोकप्रीय सामजिक नेटवर्क साईट पर अपना पंजीकरण किया तो मुझे जो पहला सन्देश मिला वह था कि "आपके कोई मित्र नहीं हैं।" यद्यपि मैं जानती थी कि यह सत्य नहीं है, फिर भी कुछ पल के लिये मैं उदास हुई। यह विचार भी कि कोई मुझे मित्र रहित कह के संबोधित करे, फिर चाहे वह एक अवैक्तिक इन्टरनैट वैबसाईट ही क्यों न हो, मेरे लिये परेशान करने वाला था। हमारे भावनात्मक, शारीरिक और आत्मिक भलाई के लिये मित्रों का होना आवश्यक है।

मित्र हमारे दिल के दुखड़ों को, बिना हमें दोषी ठहराये, सुनते हैं। जब हम पर हमला होता है तो वह हमें बचाते हैं। हमारी उपलब्धियों में वे हमारे साथ खुश होते हैं और हमारे दुखों मे हमारे साथ दुखी। मित्र हमें गलत कदम उठाने से बचाते हैं, सही सलाह देते हैं और हमें सही मार्ग पर रखने के लिये हमारा उनसे क्रोधित होने का जोखिम भी उठाते हैं। मेरे मित्रों ने मेरे लिये यह सब कुछ और इससे अधिक भी किया है।

बाइबल में शायद सबसे प्रसिद्ध मित्रता दाऊद और योनातान की है। योनातान अपने पिता राजा शाऊल के राज्य का उत्तराधिकारी था। किंतु उसने जाना कि परमेश्वर ने उसे नहीं वरन दाऊद को उत्तराधिकारी होने के लिये चुना है, इसलिये दाऊद की जान बचाने के लिये उसने अपनी जान जोखिम में डाल दी (१ शैमुएल २०)।

बाइबल सिखाती है कि हमें अपने मित्र सावधानी पूर्वक चुनने चाहियें। सच्चे मित्र वे ही होते हैं जो परमेश्वर के भी मित्र होते हैं और जो परमेश्वर के साथ हमारे संबंधों को भी मज़बूत बनाते हैं (१ शैमुएल २३:१६)। - जूली ऐकैरमैन लिंक


सच्चे मित्र हीरों कि तरह होते हैं - बहुमूल्य और दुर्लभ।

बाइबल पाठ: १ शैमुएल २०:३०-४२

तब शाऊल का कोप योनातन पर भड़क उठा, और उस ने उस से कहा, हे कुटिला राजद्रोही के पुत्र, क्या मैं नहीं जानता कि तेरा मन तो यिशै के पुत्र पर लगा है? इसी से तेरी आशा का टूटना और तेरी माता का अनादर ही होगा।
क्योंकि जब तक यिशै का पुत्र भूमि पर जीवित रहेगा, तब तक न तो तू और न तेरा राज्य स्थिर रहेगा। इसलिये अभी भेज कर उसे मेरे पास ला, क्योंकि निश्चय वह मार डाला जाएगा।
योनातन ने अपने पिता शाऊल को उत्तर देकर उस से कहा, वह क्यों मारा जाए? उस ने क्या किया है?
तब शाऊल ने उस को मारने के लिये उस पर भाला चलाया; इससे योनातन ने जान लिया, कि मेरे पिता ने दाऊद को मार डालना ठान लिया है।
तब योनातन क्रोध से जलता हुआ मेज पर से उठ गया, और महीने के दूसरे दिन को भोजन न किया, क्योंकि वह बहुत खेदित था, इसलिये कि उसके पिता ने दाऊद का अनादर किया था।
बिहान को योनातन एक छोटा लड़का संग लिए हुए मैदान में दाऊद के साथ ठहराए हुए स्थान को गया।
तब उस ने अपने छोकरे से कहा, दौड़कर जो जो तीर मैं चलाऊं उन्हें ढूंढ़ कर ले आ। छोकरा दौड़ा ही था, कि उस ने एक और तीर उसके परे चलाया।
जब छोकरा योनातन के चलाए तीर के स्थान पर पहुंचा, तब योनातन ने उसके पीछे से पुकार के कहा, तीर तो तेरी परली ओर है।
फिर योनातन ने छोकरे के पीछे से पुकार के कहा, बड़ी फुर्ती कर, ठहर मत! और योनातन का छोकरा तीरों को बटोर के अपने स्वामी के पास ले आया।
इसका भेद छोकरा तो कुछ न जानता था, केवल योनातन और दाऊद इस बात को जानते थे।
और योनातन ने अपने हथियार अपने छोकरे को देकर कहा, जा, इन्हें नगर को पहुंचा।
ज्योंही छोकरा चला गया, त्यों ही दाऊद दक्खिन दिशा की अलंग से निकला, और भूमि पर औंधे मुंह गिर के तीन बार दण्डवत की, तब उन्होंने एक दूसरे को चूमा, और एक दूसरे के साथ रोए, परन्तु दाऊद का रोना अधिक था।
तब योनातन ने दाऊद से कहा, कुशल से चला जा, क्योंकि हम दोनों ने एक दूसरे से यह कह के यहोवा के नाम की शपथ खाई है, कि यहोवा मेरे और तेरे मध्य, और मेरे और तेरे वंश के मध्य में सदा रहे। तब वह उठकर चला गया और योनातन नगर में गया।

एक साल में बाइबल:
  • भजन ६०-६२
  • रोमियों ५