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मंगलवार, 10 जुलाई 2018

‘ज़बान’



      मेरी दादी मिशनरी बनकर मेक्सिको गईं थीं और उन्हें स्थानीय स्पैनिश भाषा सीखने में बहुत कठिनाई हुई। एक दिन वे बाज़ार खरीददारी करने गईं, उनके साथ सहायता के लिए एक छोटी लड़की भी थी। उन्होंने उस लड़की को खरीदने वाले सामान की सूची दिखाते हुए कहा कि वह दो ‘ज़बानों’ (lenguas) में है, जबकि वे कहना चाहती थीं कि वह दो ‘भाषाओं’ (idiomas) में है। कसाई ने उन दोनों की बातें सुनीं तो उसे लगा कि उन्हें पशु की दो ‘ज़बान’ अर्थात ‘जीभें’ चाहिएं, और उसने वही उन्हें बांधकर दे दीं। दादी को यह बात घर पहुँचने का बाद ही मालूम पड़ी; उन्होंने इससे पहले कभी ‘जीभ’ भोजन के लिए नहीं पकाई थी!

      जब हम कोई दूसरी भाषा सीख रहे होते हैं तो गलतियाँ होना स्वाभाविक है। यही परमेश्वर की प्रेम की भाषा सीखते हुए भी होता है। कभी-कभी हमारा बोलना विरोधाभास वाला होता है, क्योंकि हम प्रभु परमेश्वर की स्तुति भी करते हैं और फिर लोगों के लिए बुरा-भला भी बोलते हैं। हमारा पुराना पापी मनुष्यत्व मसीह यीशु में हमारे नए जीवन का विरोध करता है। हमारे मुँह से जो निकालता है, वह दिखाता है कि अपने शब्दों के विषय हमें परमेश्वर की सहायता की कितनी आवश्यकता है।

      मसीही जीवन अपना लेने के पश्चात हमारी पुरानी ‘ज़बान’ को जाना ही होगा। परमेश्वर के प्रेम की नई भाषा सीखने का एकमात्र तरीका है प्रभु यीशु को अपनी ‘ज़बान’ का भी प्रभु बना लेना। जब परमेश्वर का पवित्र-आत्मा हम में काम करता है तो वह हमें आत्म-संयम भी प्रदान करता है कि हम परमेश्वर पिता को भावते हुए शब्दों का प्रयोग करें। होने दें कि हम हमारे मुँह से निकलने वाले प्रत्येक शब्द को प्रभु को समर्पित रखें; और भजनकार के समान हमारी भी प्रार्थना हो, “हे यहोवा, मेरे मुख का पहरा बैठा, मेरे हाठों के द्वार पर रखवाली कर!” (भजन 141:3)।


होने दें कि जो शब्द आप बोलें वे लोगों को प्रभु यीशु की ओर आकर्षित करें।


अपनी जीभ को बुराई से रोक रख, और अपने मुंह की चौकसी कर कि उस से छल की बात न निकले। - भजन 34:13

बाइबल पाठ: याकूब 3:1-12
James 3:1 हे मेरे भाइयों, तुम में से बहुत उपदेशक न बनें, क्योंकि जानते हो, कि हम उपदेशक और भी दोषी ठहरेंगे।
James 3:2 इसलिये कि हम सब बहुत बार चूक जाते हैं: जो कोई वचन में नहीं चूकता, वही तो सिद्ध मनुष्य है; और सारी देह पर भी लगाम लगा सकता है।
James 3:3 जब हम अपने वश में करने के लिये घोड़ों के मुंह में लगाम लगाते हैं, तो हम उन की सारी देह को भी फेर सकते हैं।
James 3:4 देखो, जहाज भी, यद्यपि ऐसे बड़े होते हैं, और प्रचण्‍ड वायु से चलाए जाते हैं, तौभी एक छोटी सी पतवार के द्वारा मांझी की इच्छा के अनुसार घुमाए जाते हैं।
James 3:5 वैसे ही जीभ भी एक छोटा सा अंग है और बड़ी बड़ी डींगे मारती है: देखो, थोड़ी सी आग से कितने बड़े वन में आग लग जाती है।
James 3:6 जीभ भी एक आग है: जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है।
James 3:7 क्योंकि हर प्रकार के बन-पशु, पक्षी, और रेंगने वाले जन्‍तु और जलचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं।
James 3:8 पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं; वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है।
James 3:9 इसी से हम प्रभु और पिता की स्‍तुति करते हैं; और इसी से मनुष्यों को जो परमेश्वर के स्‍वरूप में उत्पन्न हुए हैं श्राप देते हैं।
James 3:10 एक ही मुंह से धन्यवाद और श्राप दोनों निकलते हैं।
James 3:11 हे मेरे भाइयों, ऐसा नहीं होना चाहिए।
James 3:12 क्या सोते के एक ही मुंह से मीठा और खारा जल दोनों निकलते हैं? हे मेरे भाइयों, क्या अंजीर के पेड़ में जैतून, या दाख की लता में अंजीर लग सकते हैं? वैसे ही खारे सोते से मीठा पानी नहीं निकल सकता।
                                                 

एक साल में बाइबल: 
  • अय्यूब 41-42
  • प्रेरितों 16:22-40