प्रति वर्ष हमारे समुदाय के लोग "भले बनो" आन्दोलन में भाग लेते हैं जो लोगों को एक दूसरे के प्रति प्रेम और सदभाव के साथ रहने और व्यवहार करने को प्रेरित करता है। इस आन्दोलन के दौरान एक स्कूल प्राध्यापक ने कहा, "हम चाहते हैं कि स्कूल में आने वाले विद्यार्थी अपने अन्य सहपाठियों के साथ बिना भय, बेचैनी और ध्यान भंग हुए रहें और पढ़ें। हम भरपूर प्रयास कर रहे हैं कि विद्यार्थी एक दूसरे को उभारने वाले बनें ना कि एक दूसरे की आलोचना करने और एक दूसरे को गिराने वाले हों।"
प्रेरित पौलुस ने भी चाहा कि रोम के मसीही विश्वासी प्रेम का एक उत्कृष्ठ उदाहरण प्रस्तुत करें। वे लोग, चाहे वे अपने मसीही विश्वास में दृढ़ थे या कमज़ोर, एक दूसरे के प्रति आलोचना और अपमान का रवैया अपनाए हुए थे (रोमियों 14:1-12)। उनमें भोजन वस्तुओं को लेकर तकरार था, वे किस दिन को अधिक या कम महत्व देना चाहिए को लेकर विभाजित थे; पौलुस ने उन्हें समझाया, "इसलिये हम उन बातों का प्रयत्न करें जिनसे मेल मिलाप और एक दूसरे का सुधार हो" (रोमियों 14:19)। पौलुस ने उन्हें स्मरण करवाया कि "हम में से हर एक अपने पड़ोसी को उस की भलाई के लिये सुधारने के निमित प्रसन्न करे। क्योंकि मसीह ने अपने आप को प्रसन्न नहीं किया..." (रोमियों 15:2-3); जैसे मसीह यीशु ने सप्रेम सेवा का उदाहरण हमें दिया है, वैसा ही हमें भी संसार के सामने रखना है (फिलिप्पियों 2:4-5)।
मसीह यीशु द्वारा दिखाए गए प्रेम के इस आन्दोलन में भाग लीजिए और परमेश्वर की महिमा का कारण बनिये। - ऐनी सेटास
कोमलता के साथ प्रवाहित होने वाला सहज प्रेम ही करुणा है।
हर एक अपनी ही हित की नहीं, वरन दूसरों की हित की भी चिन्ता करे। जैसा मसीह यीशु का स्वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्वभाव हो। - फिलिप्पियों 2:4-5
बाइबल पाठ: रोमियों14:1-7
Romans 14:1 जो विश्वास में निर्बल है, उसे अपनी संगति में ले लो; परन्तु उसी शंकाओं पर विवाद करने के लिये नहीं।
Romans 14:2 क्योंकि एक को विश्वास है, कि सब कुछ खाना उचित है, परन्तु जो विश्वास में निर्बल है, वह साग पात ही खाता है।
Romans 14:3 और खानेवाला न-खाने वाले को तुच्छ न जाने, और न-खानेवाला खाने वाले पर दोष न लगाए; क्योंकि परमेश्वर ने उसे ग्रहण किया है।
Romans 14:4 तू कौन है जो दूसरे के सेवक पर दोष लगाता है? उसका स्थिर रहना या गिर जाना उसके स्वामी ही से सम्बन्ध रखता है, वरन वह स्थिर ही कर दिया जाएगा; क्योंकि प्रभु उसे स्थिर रख सकता है।
Romans 14:5 कोई तो एक दिन को दूसरे से बढ़कर जानता है, और कोई सब दिन एक सा जानता है: हर एक अपने ही मन में निश्चय कर ले।
Romans 14:6 जो किसी दिन को मानता है, वह प्रभु के लिये मानता है: जो खाता है, वह प्रभु के लिये खाता है, क्योंकि वह परमेश्वर का धन्यवाद करता है, और जा नहीं खाता, वह प्रभु के लिये नहीं खाता और परमेश्वर का धन्यवाद करता है।
Romans 14:7 क्योंकि हम में से न तो कोई अपने लिये जीता है, और न कोई अपने लिये मरता है।
एक साल में बाइबल:
- यशायाह 65-66
- 1 तिमुथियुस 2