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रविवार, 5 नवंबर 2017

क्रोध


   शायद उस दिन मेरे पड़ौसियों को समझ नहीं आ रहा होगा कि शरद ऋतु की उस प्रातः मुझे देखकर वे मेरे बारे में क्या सोचें। मैं हाथ में बेलचा पकड़े हुए घर के अन्दर आने के रास्ते के किनारे, नाले के कोने के नीचे जमी हुई बर्फ को तोड़ने का प्रयास कर रही थी, और बेलचे के हर प्रहार के साथ क्रोधावेश के साथ प्रार्थनाएं करती जा रही थी, जो एक ही बात को लेकर थीं: "बस बहुत हो गया; मुझमें अब और करने की शक्ति नहीं है।" मुझे घर की देखभाल करनी होती है और मेरे पास करने के लिए कार्यों की लंबी सूचि रहती है, और अब यह जमी हुई बर्फ भी मेरे कार्यों की सूचि को बढ़ा रही थी, मेरे सीमित समय में दख़ल दे रही थी। मेरा वह क्रोधावेश झूठ के एक पुल्लिन्दे पर आधारित था - "मेरे साथ इससे बेहतर व्यवहार होना चाहिए; आखिरकर, केवल परमेश्वर पर निर्भर रहना अपर्याप्त है; किसी को मेरी परवाह नहीं है।"

   जब हम अपने क्रोध के साथ चिपके रहने का निर्णय लेते हैं, तब हम कड़ुवाहट के फन्दे में फंस जाते हैं, और फिर आगे नहीं बढ़ पाते हैं। क्रोध का एकमात्र उपाय है सत्य; सत्य को स्मरण करना और उसके आगे समर्पित रहना। सत्य यह है कि परमेश्वर हमें वह नहीं देता है जो वास्तव में हमें मिलना चाहिए; वरन वह हमपर अनुग्रह करता है, हमें अपनी दया का पात्र बनाता है, "क्योंकि हे प्रभु, तू भला और क्षमा करने वाला है, और जितने तुझे पुकारते हैं उन सभों के लिये तू अति करूणामय है" (भजन 86:5)। सत्य यह है कि उसकी सामर्थ्य हमारी प्रत्येक आवश्यकता की पूर्ति के लिए पर्यापत है; हमें चाहे जैसा भी प्रतीत हो, परमेश्वर हमारे लिए पर्याप्त से भी बढ़कर है।

   परन्तु इससे पहले कि हम इस आश्वासन को थामने पाएं, हमें थोड़ा पीछे हटकर, अपने प्रयासों के बेलचे को नीचे रखकर, हमारी ओर दया और अनुग्रह में बढ़े हुए प्रभु यीशु के हाथ को थामना होगा। हमारा प्रभु परमेश्वर हमारे क्रोधावेश को सुनने और सहने, और अपने समय तथा योजनानुसार हमें आगे ले चलने के लिए महान और विश्वासयोग्य है। - शैली बीच


अनुग्रह: परमेश्वर से वह पाना हम जिसके कदापि योग्य नहीं है; 
दया: वह नहीं पाना हम जिसके सर्वथा योग्य हैं।

मूर्ख अपने सारे मन की बात खोल देता है, परन्तु बुद्धिमान अपने मन को रोकता, और शान्त कर देता है। - नीतिवचन 29:11

बाइबल पाठ: भजन 86:1-13
Psalms 86:1 हे यहोवा कान लगा कर मेरी सुन ले, क्योंकि मैं दीन और दरिद्र हूं। 
Psalms 86:2 मेरे प्राण की रक्षा कर, क्योंकि मैं भक्त हूं; तू मेरा परमेश्वर है, इसलिये अपने दास का, जिसका भरोसा तुझ पर है, उद्धार कर। 
Psalms 86:3 हे प्रभु मुझ पर अनुग्रह कर, क्योंकि मैं तुझी को लगातार पुकारता रहता हूं। 
Psalms 86:4 अपने दास के मन को आनन्दित कर, क्योंकि हे प्रभु, मैं अपना मन तेरी ही ओर लगाता हूं। 
Psalms 86:5 क्योंकि हे प्रभु, तू भला और क्षमा करने वाला है, और जितने तुझे पुकारते हैं उन सभों के लिये तू अति करूणामय है। 
Psalms 86:6 हे यहोवा मेरी प्रार्थना की ओर कान लगा, और मेरे गिड़गिड़ाने को ध्यान से सुन। 
Psalms 86:7 संकट के दिन मैं तुझ को पुकारूंगा, क्योंकि तू मेरी सुन लेगा।
Psalms 86:8 हे प्रभु देवताओं में से कोई भी तेरे तुल्य नहीं, और न किसी के काम तेरे कामों के बराबर हैं। 
Psalms 86:9 हे प्रभु जितनी जातियों को तू ने बनाया है, सब आकर तेरे साम्हने दण्डवत करेंगी, और तेरे नाम की महिमा करेंगी। 
Psalms 86:10 क्योंकि तू महान और आश्चर्य कर्म करने वाला है, केवल तू ही परमेश्वर है। 
Psalms 86:11 हे यहोवा अपना मार्ग मुझे दिखा, तब मैं तेरे सत्य मार्ग पर चलूंगा, मुझ को एक चित्त कर कि मैं तेरे नाम का भय मानूं। 
Psalms 86:12 हे प्रभु हे मेरे परमेश्वर मैं अपने सम्पूर्ण मन से तेरा धन्यवाद करूंगा, और तेरे नाम की महिमा सदा करता रहूंगा। 
Psalms 86:13 क्योंकि तेरी करूणा मेरे ऊपर बड़ी है; और तू ने मुझ को अधोलोक की तह में जाने से बचा लिया है।

एक साल में बाइबल: 

  • यिर्मयाह 34-36
  • इब्रानियों 2