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गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012

सहभागिता

   सामान्य रीति से परमेश्वर अपनी सृष्टि में होकर और सृष्टि के द्वारा कार्य करता है; इसी कारण प्रार्थनाओं के उत्तर प्रमाणित कर पाना कठिन हो जाता है। सी.एस. ल्यूइस ने लिखा है, "केवल विश्वास ही इस संबंध की पुष्टि कर सकता है; इसके लिए कोई प्रयोगसिद्ध प्रमाण नहीं दिया जा सकता।" हमारा यह मानना कि हमारी प्रार्थना का उत्तर मिला है किसी वैज्ञानिक कसौटी पर प्रमाणित हो सकने वाली किसी बात पर आधारित नहीं है, वरन हमारे विश्वास पर आधारित है।

   परमेश्वर को अनुभव करने के जो माध्यम और विधियां हमें उपलब्ध हैं - प्रकृति, बाइबल, प्रभु भोज, चर्च, अन्य लोग आदि, वे भौतिक हैं, स्पर्श किए जा सकते हैं या अनुभव किए जा सकते हैं। किंतु परमेश्वर की स्थिति भौतिक नहीं है, वह आत्मिक है। प्रार्थना इसी अंतर को प्रतिबिंबित करती है।

   चाहे हम परमेश्वर से किसी समस्या में सीधे सीधे हस्तक्षेप करने के लिए प्रार्थना करते हैं, किंतु हमें इस बात से कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि वह हमारे स्वभाव और विकल्पों में होकर परोक्ष रूप से ही उस प्रार्थना का कोई उत्तर दे दे। एक नशे की आदत से ग्रसित व्यक्ति प्रार्थना कर सकता है कि, "प्रभु मुझे आज नशे से बचा कर रखना।" उसकी इस प्रार्थना का उत्तर किसी अप्रत्याशित रीति से शराब की बोतलों या नशे की किसी अन्य वस्तु का उसकी अलमारी ग़ायब हो जाना नहीं होगा, वरन उसके अन्दर ही नशे के विरुद्ध उसके निर्णय की दृढ़ता द्वारा अथवा किसी अनपेक्षित किंतु वफादार मित्र से सहायता के रूप में या ऐसे ही किसी तरह से आ जाएगा।

   चाहे परमेश्वर किसी आलौकिक रीति से हमारी स्मस्या सुलझाए, या अपनी आज्ञाकारिता के लिए हमें सामर्थ दे, हम परमेश्वर के स्वभाव पर भरोसा रख सकते हैं कि वह हमारी प्रार्थना सुनता है और उत्तर देता है; क्योंकि अपने प्रत्येक विश्वासी और और उस पर किए गए विश्वास द्वारा बनी अपनी प्रत्येक सन्तान से उसकी घनिष्ठ और आत्मीय सहभागिता है। - फिलिप यैन्सी


प्रार्थना का एक महत्वपूर्ण भाग है उस प्रार्थना के उत्तर का एक भाग बनने को तैयार रहना।

किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्‍तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं। - फिलिप्पियों ४:६

बाइबल पाठ: इब्रानियों ११:१-१०
Heb 11:1  अब विश्वास आशा की हुई वस्‍तुओं का निश्‍चय, और अन देखी वस्‍तुओं का प्रमाण है।
Heb 11:2  क्‍योंकि इसी के विषय में प्राचीनों की अच्‍छी गवाही दी गई।
Heb 11:3  विश्वास ही से हम जान जाते हैं, कि सारी सृष्‍टि की रचना परमेश्वर के वचन के द्वारा हुई है। यह नहीं, कि जो कुछ देखने में आता है, वह देखी हुई वस्‍तुओं से बना हो।
Heb 11:4  विश्वास की से हाबिल ने कैन से उत्तम बलिदान परमेश्वर के लिये चढ़ाया और उसी के द्वारा उसके धर्मी होने की गवाही भी दी गई: क्‍योंकि परमेश्वर ने उस की भेंटों के विषय में गवाही दी; और उसी के द्वारा वह मरने पर भी अब तक बातें करता है।
Heb 11:5  विश्वास ही से हनोक उठा लिया गया, कि मृत्यु को न देखे, और उसका पता नहीं मिला, क्‍योंकि परमेश्वर ने उसे उठा लिया था, और उसके उठाए जाने से पहिले उस की यह गवाही दी गई थी, कि उस ने परमेश्वर को प्रसन्न किया है।
Heb 11:6  और विश्वास बिना उसे प्रसन्न करना अनहोना है, क्‍योंकि परमेश्वर के पास आने वाले को विश्वास करना चाहिए, कि वह है; और अपने खोजने वालों को प्रतिफल देता है।
Heb 11:7  विश्वास ही से नूह ने उन बातों के विषय में जो उस समय दिखाई न पड़ती थीं, चितौनी पाकर भक्ति के साथ अपने घराने के बचाव के लिये जहाज बनाया, और उसके द्वारा उस ने संसार को दोषी ठहराया; और उस धर्म का वारिस हुआ, जो विश्वास से होता है।
Heb 11:8  विश्वास ही से इब्राहीम जब बुलाया गया तो आज्ञा मानकर ऐसी जगह निकल गया जिसे मीरास में लेने वाला था, और यह न जानता था, कि मैं किधर जाता हूं, तौभी निकल गया।
Heb 11:9  विश्वास ही से उस ने प्रतिज्ञा किए हुए देश में जैसे पराए देश में परदेशी रहकर इसहाक और याकूब समेत जो उसके साथ उसी प्रतिज्ञा के वारिस थे, तम्बूओं में वास किया।
Heb 11:10 क्‍योंकि वह उस स्थिर नेव वाले नगर की बाट जोहता था, जिस का रचने वाला और बनाने वाला परमेश्वर है।
 
एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था ६-७ 
  • मत्ती २५:१-३०