पाप के दुषपरिणामों को देर-सवेर किसी ना किसी रूप में हम सब अनुभव करते ही हैं। कभी यह हमारे अपने पापों के कारण हो सकता है, जिनकी शर्म और जीवन में आई असफलता हमें दबाव में ला सकती है; या फिर यह कड़ुवा अनुभव और आत्मा पर दबाव किसी अन्य जन के पापों के कारण हो सकता है - किसी ऐसे जन के कारण जिससे हमें झूठ, या विश्वासघात, या परित्याग, या उपहास, या बेईमानी मिली हो, या जिसने अपने स्वार्थ के लिए हमारा मूर्ख बनाया हो।
उस समय के बारे में सोचिए जब अपने या किसी दूसरे के पाप के इस दुषपरिणाम का बोझ आप पर इतना था कि आप अपने बिस्तर या कुर्सी से उठ कर बाहर निकल पाना असंभव महसूस कर रहे थे, शरीर निढाल और आत्मा कुंठित थी। अब उन दुःखद परिणामों के बोझ के बारे में विचार करें जो आपके परिवार, आपकी मण्डली, आपके पड़ौस के सम्मिलित पापों के कारण होगा। इस पर ऐसे ही दुःखद परिणामों का वह बोझ भी जोड़ दें जो आपके शहर, प्रांत, देश और संसार के पापों के कारण आया। और अब ज़रा अन्दाज़ा लगाने का प्रयास करें उस बोझ के बारे में जो सृष्टि के आरंभ से अब तक समस्त संसार के लोगों के पापों के कारण बना और फिर इसमें वह बोझ भी जोड़ दें जो अब से लेकर सृष्टि के अन्त और न्याय समय तक के लोगों के पापों के कारण होगा। यदि आप में इस बोझ का अनुमान लगा पाने की क्षमता है, तो आप उस बोझ को और उसकी भयानकता को कुछ हद तक समझ सकते हैं जो प्रभु यीशु ने अपने ऊपर लेकर संसार के पापों के लिए जिसकी कीमत चुकाई।
इस बोझ के कारण यदि वह क्रूस पर चढ़ाए जाने की पूर्व-सन्ध्या में अपने प्राण पर एक असहनीय दबाव अनुभव कर रहा था (मत्ती 26:36-44), तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। वह यह भी जानता था कि कुछ समय बाद और फिर अगले दिन उसका यह बोझ और भी बढ़ने वाला है - अब से सारी रात की घोर यातना के बाद अगले दिन वह जीवित ही कीलों से काठ में ठोक दिया जाएगा और वहाँ क्रूस पर संसार के पाप का बोझ अपने ऊपर लेकर लटके हुए, जहाँ एक एक सांस का लेना भी उस वर्णन और सहने से बाहर वेदना को बढ़ाता था, उसे अपने परमेश्वर पिता का उससे मुँह मोड़ लेना भी सहना पड़ेगा। उस पाप के बोझ और उसके दुषपरिणामों की वेदना की कलपना मात्र भी, जो प्रभु यीशु ने हम सबके लिए सही, हम मनुष्यों की बुद्धि की क्षमता से बाहर है।
पाप ने प्रभु यीशु को परीक्षा की चरम सीमा तक परखा। सृष्टि के इतिहास और लेखों को जाँच कर देख लीजिए, कोई परीक्षा, कोई दुःख, कोई वेदना उस शारीरिक और आत्मिक तकलीफ के निकट भी नहीं आ सकती जो प्रभु यीशु ने संसार के बदले सह ली। संसार के सभी लोगों के लिए उसके प्रेम ने सब सह लिया, उस प्रेम ने उसे उस बोझ को उठा लेने की सामर्थ दी और वह उस परीक्षा से जयवन्त होकर निकला। प्रभु यीशु के क्रूस पर दिए गए बलिदान और पुनरुत्थान के कारण आज हम जानते हैं कि पाप अब हार गया है, प्रभु यीशु में होकर पाप पर विजयी जीवन संभव है, प्रभु यीशु द्वारा परमेश्वर के साथ हमारे मेल-मिलाप का मार्ग खुल गया है।
क्या आप अभी भी अपने पाप का बोझ स्वयं ही उठाए रखना चाहते हैं जबकि प्रभु यीशु ने उस बोझ की कीमत पहले से ही आपके लिए चुका दी है और उसका निवारण कर दिया है? साधारण विश्वास के साथ यह बोझ और अपना जीवन उसे सौंप दें और बदले में उससे परमेश्वर की धार्मिकता ले लें - इससे सरल, सहज और लाभदायक आदान-प्रदान भला और क्या हो सकता है? - जूली ऐकैरमैन लिंक
प्रभु यीशु की खाली कब्र पाप और मृत्यु पर हमारी विजय का निश्चय है।
क्योंकि उसने अपना प्राण मृत्यु के लिये उण्डेल दिया, वह अपराधियों के संग गिना गया; तौभी उसने बहुतों के पाप का बोझ उठ लिया, और, अपराधियों के लिये बिनती करता है। - याशायाह 53:12
बाइबल पाठ: इब्रानीयों 2:9-18
Hebrews 2:9 पर हम यीशु को जो स्वर्गदूतों से कुछ ही कम किया गया था, मृत्यु का दुख उठाने के कारण महिमा और आदर का मुकुट पहिने हुए देखते हैं; ताकि परमेश्वर के अनुग्रह से हर एक मनुष्य के लिये मृत्यु का स्वाद चखे।
Hebrews 2:10 क्योंकि जिस के लिये सब कुछ है, और जिस के द्वारा सब कुछ है, उसे यही अच्छा लगा कि जब वह बहुत से पुत्रों को महिमा में पहुंचाए, तो उन के उद्धार के कर्ता को दुख उठाने के द्वारा सिद्ध करे।
Hebrews 2:11 क्योंकि पवित्र करने वाला और जो पवित्र किए जाते हैं, सब एक ही मूल से हैं: इसी कारण वह उन्हें भाई कहने से नहीं लजाता।
Hebrews 2:12 पर कहता है, कि मैं तेरा नाम अपने भाइयों को सुनाऊंगा, सभा के बीच में मैं तेरा भजन गाऊंगा।
Hebrews 2:13 और फिर यह, कि मैं उस पर भरोसा रखूंगा; और फिर यह कि देख, मैं उन लड़कों सहित जिसे परमेश्वर ने मुझे दिए।
Hebrews 2:14 इसलिये जब कि लड़के मांस और लोहू के भागी हैं, तो वह आप भी उन के समान उन का सहभागी हो गया; ताकि मृत्यु के द्वारा उसे जिसे मृत्यु पर शक्ति मिली थी, अर्थात शैतान को निकम्मा कर दे।
Hebrews 2:15 और जितने मृत्यु के भय के मारे जीवन भर दासत्व में फंसे थे, उन्हें छुड़ा ले।
Hebrews 2:16 क्योंकि वह तो स्वर्गदूतों को नहीं वरन इब्राहीम के वंश को संभालता है।
Hebrews 2:17 इस कारण उसको चाहिए था, कि सब बातों में अपने भाइयों के समान बने; जिस से वह उन बातों में जो परमेश्वर से सम्बन्ध रखती हैं, एक दयालु और विश्वास योग्य महायाजक बने ताकि लोगों के पापों के लिये प्रायश्चित्त करे।
Hebrews 2:18 क्योंकि जब उसने परीक्षा की दशा में दुख उठाया, तो वह उन की भी सहायता कर सकता है, जिन की परीक्षा होती है।
एक साल में बाइबल:
- न्यायीयों 7-8
- लूका 5:1-16