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सोमवार, 26 जनवरी 2015

कथावाचक



   बचपन में जब मेरी माँ मुझे किताब से कहानी पढ़कर सुनाती थीं तो मुझे बहुत अच्छा लगता था; मैं उनकी गोद में बैठकर उनके प्रत्येक शब्द को बड़े ध्यान से सुनता था। वो पढ़कर सुनाती थीं और मैं किताब के हर एक पृष्ठ पर बने चित्रों को बारीकी से देखता रहता था, और बड़ी उत्सुकता से अगले पृष्ठ पर जो था उसकी प्रतीक्षा करता था।

   क्या आपने कभी इस बात के बारे में सोचा है कि आप का जीवन भी एक कहानी सुनाता है? प्रत्येक परिस्थिति में - अच्छी, बुरी या सामान्य - हमारे चारों ओर के लोग हमें देख रहे हैं और जो कहानी हम अपने जीवनों से कह रहे हैं उसे सुन रहे हैं। हमारी यह कहानी ना केवल हमारे शब्दों से वरन हमारे रवैये और जीवन की परिस्थितियों के प्रति हमारी प्रतिक्रीया के द्वारा भी लोगों के सामने बयान होती है। हमारे बच्चे और नाती-पोते, हमारे जीवन साथी, हमारे पड़ौसी, हमारे सहकर्मी या सहपाठी, सभी हमारे द्वारा दिखाई जाने वाली कहानी को देखते हैं और हमारे बारे में अपनी अपनी राय बनाते हैं।

   प्रेरित पौलुस हमें स्मरण दिलाता है कि मसीही विश्वासी होने के नाते, हमारे जीवन पत्रियों के समान हैं जिन्हें लोग पढ़ते हैं, "हमारी पत्री तुम ही हो, जो हमारे हृदयों पर लिखी हुई है, और उसे सब मनुष्य पहिचानते और पढ़ते है। यह प्रगट है, कि तुम मसीह की पत्री हो, जिस को हम ने सेवकों की नाईं लिखा; और जो सियाही से नहीं, परन्तु जीवते परमेश्वर के आत्मा से पत्थर की पटियों पर नहीं, परन्तु हृदय की मांस रूपी पटियों पर लिखी है" (2 कुरिन्थियों 3:2-3)।

   हमारे चारों ओर के लोग हमारे जीवनों से कैसी कहानियाँ पढ़ रहे हैं? क्षमा की? करुणा की? उदारता की? धैर्य की? प्रेम की? या फिर कहीं कोई ऐसी कहानी भी है जो हमारे मसीही विश्वास में होने के दावे से मेल नहीं खाती?

   यदि आपने प्रभु यीशु में मिलने वाली पापों की क्षमा तथा उद्धार को और उसके अनुग्रह को पाया है; यदि परमेश्वर का पवित्र-आत्मा आपके अन्दर निवास करता है; यदि आप परमेश्वर की सेवकाई किसी प्रतिफल के लिए नहीं वरन उसके प्रति प्रेम से वशिभूत होकर करते हैं, तो आप एक ऐसे कथावाचक हैं जिसकी पाप के कारण नाश की ओर बढ़ते इस संसार को बहुत आवश्यकता है। प्रभु यीशु में लाए गए विश्वास द्वारा आपको सेंत-मेंत में मिले उद्धार और पाप क्षमा की अपनी कथा को अपने आस-पास के लोगों को सुनाते रहिए, अपने वचन, चरित्र और व्यवहार से दिखाते रहिए। - जो स्टोवैल


अपने जीवन से मसीह यीशु के अनुग्रह और प्रेम की कहानी सुनाते रहिए।

क्योंकि तुम्हारे यहां से न केवल मकिदुनिया और अखया में प्रभु का वचन सुनाया गया, पर तुम्हारे विश्वास की जो परमेश्वर पर है, हर जगह ऐसी चर्चा फैल गई है, कि हमें कहने की आवश्यकता ही नहीं। - 1 थिस्सुलुनीकियों 1:8

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 3:1-11
2 Corinthians 3:1 क्या हम फिर अपनी बड़ाई करने लगे? या हमें कितनों कि नाईं सिफारिश की पत्रियां तुम्हारे पास लानी या तुम से लेनी हैं? 
2 Corinthians 3:2 हमारी पत्री तुम ही हो, जो हमारे हृदयों पर लिखी हुई है, और उसे सब मनुष्य पहिचानते और पढ़ते है। 
2 Corinthians 3:3 यह प्रगट है, कि तुम मसीह की पत्री हो, जिस को हम ने सेवकों की नाईं लिखा; और जो सियाही से नहीं, परन्तु जीवते परमेश्वर के आत्मा से पत्थर की पटियों पर नहीं, परन्तु हृदय की मांस रूपी पटियों पर लिखी है। 
2 Corinthians 3:4 हम मसीह के द्वारा परमेश्वर पर ऐसा ही भरोसा रखते हैं। 
2 Corinthians 3:5 यह नहीं, कि हम अपने आप से इस योग्य हैं, कि अपनी ओर से किसी बात का विचार कर सकें; पर हमारी योग्यता परमेश्वर की ओर से है। 
2 Corinthians 3:6 जिसने हमें नई वाचा के सेवक होने के योग्य भी किया, शब्द के सेवक नहीं वरन आत्मा के; क्योंकि शब्द मारता है, पर आत्मा जिलाता है। 
2 Corinthians 3:7 और यदि मृत्यु की यह वाचा जिस के अक्षर पत्थरों पर खोदे गए थे, यहां तक तेजोमय हुई, कि मूसा के मुंह पर के तेज के कराण जो घटता भी जाता था, इस्त्राएल उसके मुंह पर दृष्टि नहीं कर सकते थे। 
2 Corinthians 3:8 तो आत्मा की वाचा और भी तेजोमय क्यों न होगी? 
2 Corinthians 3:9 क्योंकि जब दोषी ठहराने वाली वाचा तेजोमय थी, तो धर्मी ठहराने वाली वाचा और भी तेजोमय क्यों न होगी? 
2 Corinthians 3:10 और जो तेजोमय था, वह भी उस तेज के कारण जो उस से बढ़कर तेजामय था, कुछ तेजोमय न ठहरा। 
2 Corinthians 3:11 क्योंकि जब वह जो घटता जाता था तेजोमय था, तो वह जो स्थिर रहेगा, और भी तेजोमय क्यों न होगा?

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 14-15
  • मत्ती 17