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शनिवार, 5 नवंबर 2016

प्रार्थना


   परमेश्वर के वचन बाइबल का एक प्रमुख पात्र, याकूब, अपने बारे में बढ़चढ़कर सोचने वालों में से नहीं था; वह जानता था कि उसका जीवन उसके पाप के कारण बर्बाद था। वह अपने आप को प्रमेश्वर के अनुग्रह के लायक नहीं समझता थ। याकूब ने अपने भाई एसाव का पहिलौठा होने का जन्माधिकार धोखे से ले लिया था, और एसाव उस से इस बात के लिए घृणा करता था (उत्पत्ति 27), इसलिए याकूब को अपनी जान बचा कर भाग जाना पड़ा था। अब कई वर्षों के बाद उसका सामना फिर से एसाव से होने जा रहा था, और याकूब इस बात को लेकर बहुत घबराया हुआ था। अपनी इस विकट परिस्थिति में याकूब ने परमेश्वर से प्रार्थना करी: "...तेरे ऐसे ऐसे कामों में से मैं एक के भी योग्य तो नहीं हूं। मेरी विनती सुन कर मुझे मेरे भाई ऐसाव के हाथ से बचा..." (उत्पत्ति 32:10-11)।

   कैसा असंगत है याकूब द्वारा यहाँ इन दो बातों, "मैं तेरी करुणा के अयोग्य हूँ...", और, "मुझे बचा ले" का एक ही साथ उपयोग करना। लेकिन याकूब परमेश्वर की दया के लिए इस प्रकार प्रार्थना इसलिए कर सका, क्योंकि परमेश्वर से उसकी आशा अपनी किसी योग्यता पर नहीं वरन परमेश्वर के इस वायदे पर आधारित थी कि जो कोई भी पश्चातापी और दीन होकर अपने आप को परमेश्वर के चरणों पर रख देगा परमेश्वर उन्हें कभी निराश नहीं करेगा (भजन 51:17)। नम्रता और पश्चाताप ही परमेश्वर के हृदय तक पहुँचने की कुंजियाँ हैं। किसी ने कहा है कि प्रत्येक सांसारिक सहायता और सहारे से वंचित हो जाना ही परमेश्वर से सच्चे मन की प्रार्थना करवाता है। सच्ची प्रार्थना मन की गहराईयों से निकलती है; उस हृदय से निकलती है जो अपनी भ्रष्टता की गहराईयों को जानता है, जो मानता है कि सिवाय परमेश्वर के किसी और के पास उसकी स्थिति का निवारण नहीं है।

   ऐसी प्रार्थनाएं वे ही कर सकते हैं जो अपने पाप और शर्मनाक हालत के लिए पूरी तरह से कायल हो गए हैं, लेकिन साथ ही वे इस बात के लिए भी निश्चित हैं कि परमेश्वर दयालु और अनुग्रहकारी है, और वह उसके अनुग्रह के सर्वथा अयोग्य पापियों को भी प्रभु यीशु में होकर उन पर अनुग्रह करता है, प्रभु यीशु में उन्हें क्षमा कर देता है। जो प्रार्थना परमेश्वर को सबसे अच्छी लगती है वह है: "...हे परमेश्वर मुझ पापी पर दया कर" (लूका 18:13)। - डेविड रोपर


महान परमेश्वर ही महान पापियों को क्षमा कर सकता है।

टूटा मन परमेश्वर के योग्य बलिदान है; हे परमेश्वर, तू टूटे और पिसे हुए मन को तुच्छ नहीं जानता। - भजन 51:17

बाइबल पाठ: उत्पत्ति 32:3-12
Genesis 32:3 तब याकूब ने सेईर देश में, अर्थात एदोम देश में, अपने भाई ऐसाव के पास अपने आगे दूत भेज दिए। 
Genesis 32:4 और उसने उन्हें यह आज्ञा दी, कि मेरे प्रभु ऐसाव से यों कहना; कि तेरा दास याकूब तुझ से यों कहता है, कि मैं लाबान के यहां परदेशी हो कर अब तक रहा; 
Genesis 32:5 और मेरे पास गाय-बैल, गदहे, भेड़-बकरियां, और दास-दासियां है: सो मैं ने अपने प्रभु के पास इसलिये संदेशा भेजा है, कि तेरी अनुग्रह की दृष्टि मुझ पर हो। 
Genesis 32:6 वे दूत याकूब के पास लौट के कहने लगे, हम तेरे भाई ऐसाव के पास गए थे, और वह भी तुझ से भेंट करने को चार सौ पुरूष संग लिये हुए चला आता है। 
Genesis 32:7 तब याकूब निपट डर गया, और संकट में पड़ा: और यह सोच कर, अपने संग वालों के, और भेड़-बकरियों, और गाय-बैलों, और ऊंटो के भी अलग अलग दो दल कर लिये, 
Genesis 32:8 कि यदि ऐसाव आकर पहिले दल को मारने लगे, तो दूसरा दल भाग कर बच जाएगा। 
Genesis 32:9 फिर याकूब ने कहा, हे यहोवा, हे मेरे दादा इब्राहीम के परमेश्वर, तू ने तो मुझ से कहा, कि अपने देश और जन्म भूमि में लौट जा, और मैं तेरी भलाई करूंगा: 
Genesis 32:10 तू ने जो जो काम अपनी करूणा और सच्चाई से अपने दास के साथ किए हैं, कि मैं जो अपनी छड़ी ही ले कर इस यरदन नदी के पार उतर आया, सो अब मेरे दो दल हो गए हैं, तेरे ऐसे ऐसे कामों में से मैं एक के भी योग्य तो नहीं हूं। 
Genesis 32:11 मेरी विनती सुन कर मुझे मेरे भाई ऐसाव के हाथ से बचा: मैं तो उस से डरता हूं, कहीं ऐसा ने हो कि वह आकर मुझे और मां समेत लड़कों को भी मार डाले। 
Genesis 32:12 तू ने तो कहा है, कि मैं निश्चय तेरी भलाई करूंगा, और तेरे वंश को समुद्र की बालू के किनकों के समान बहुत करूंगा, जो बहुतायत के मारे गिने नहीं जो सकते।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 34-36
  • इब्रानियों 2