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मंगलवार, 17 अगस्त 2021

परमेश्वर का वचन – बाइबल – और विज्ञान – 5


मनुष्य की रचना

               बाइबल में हर प्रकार की जानकारी परमेश्वर ने लिखवाई है। हम सृष्टि,  अंतरिक्ष,  पृथ्वी से संबंधित बातों को देख चुके हैं। बाइबल की प्रथम पुस्तक,  उत्पत्ति का पहला अध्याय, परमेश्वर के द्वारा समस्त सृष्टि की रचना किए जाने का वृतांत है। उत्पत्ति के आरंभिक अध्यायों से हम देखते हैं कि मनुष्य परमेश्वर की सबसे उत्कृष्ट रचना है। अन्य सभी की सृष्टि परमेश्वर ने कहने के द्वारा,  अपने शब्द या वचन की सामर्थ्य से की - परमेश्वर ने कहा और वह वैसा ही हो गया। किन्तु मनुष्य को परमेश्वर ने अपने हाथों से, अपने ही स्वरूप में सृजा; उसमें जीवन डालने के लिए परमेश्वर ने अपनी ही श्वास डाली,  और उसके लिए ही अदन की वाटिका लगाई, जहाँ परमेश्वर उस के साथ संगति करता था,  और फिर अपने ही हाथों से पहले मनुष्य आदम के लिए एक सहायक बनाया (उत्पत्ति 1:26-28; 2:8, 15, 18; 3:8)। परमेश्वर ने पृथक मनुष्य की नर और मादा स्वरूप में सृष्टि की, और उन्हें आशीष देकर कहा कि वे सारी पृथ्वी में फैल जाएं, उसे अपनी अधीनता में ले लें। 

               क्रमिक विकासवाद (Evolution) के पास इसका कोई उत्तर नहीं है कि क्यों और कैसे विभिन्न जीव-जंतुओं और वनस्पतियों आदि में प्रजनन और जाति को बढ़ाने के विभिन्न तरीके आए। जंतुओं और वनस्पतियों की विभिन्न प्रजातियों में ऐसे कितने ही उदाहरण हैं जिनमें नर और मादा का भेद नहीं है; वे अपने एक ही स्वरूप से अपने समान अगली पीढ़ी उत्पन्न करते हैं। कई पौधों की प्रजातियों में एक ही पौधे में नर और मादा फूल अलग-अलग होते हैं - एक ही डाली या एक ही पौधे में दोनों प्रकार के फूल, तथा अन्य प्रजातियों में एक ही फूल में दोनों नर और मादा अंश,  और उनके बीज से फिर एक नया पौधा उत्पन्न हो जाता है। यदि प्रजाति का ज़ारी रहना बिना नर-मादा के भिन्न होने से संभव है, और हो रहा है, तो फिर यह नर और मादा स्वरूप क्यों और कैसे विकसित हुए - क्रमिक विकासवाद के पास इसका कोई उत्तर नहीं है। किन्तु उपरोक्त बाइबल के हवाले स्पष्ट बताते हैं कि परमेश्वर ने आरंभ से ही मनुष्य को नर और मादा की भिन्नता के साथ,  अलग-अलग दायित्वों के निर्वाह के लिए उत्पन्न किया (देखिए उत्पत्ति 2:24; मरकुस 10:6-8) 

               विज्ञान ने मनुष्य के शरीर की रचना और कार्य विधि की जटिलता और उसके अद्भुत होने को अपने नए उपकरणों के द्वारा पहचानना आरंभ किया है; किन्तु परमेश्वर ने अपने भक्त राजा दाऊद, जिसका जन्म 1085 ईस्वी पूर्व में हुआ था, के द्वारा लिखे गए एक भजन में इस तथ्य को आज से लगभग 2800 से भी अधिक वर्ष पूर्व लिखवा दिया था, “मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं” (भजन 139:14 ) 

               इसी प्रकार मनुष्य के जीवन और स्वास्थ्य के बारे में भी बहुत सी बातें हैं, जिन्हें विज्ञान ने अब पहचाना और माना है, किन्तु परमेश्वर ने अपने वचन बाइबल की पुस्तकों में उन्हें हजारों वर्षों से लिखवा रखा है। 

 

मनुष्य और मनुष्य के जीवन से संबंधित तथ्यों के कुछ उदाहरण देखते हैं:

               आज से लगभग 2000 वर्ष पूर्व, पौलुस प्रेरित ने अपने एक सुसमाचार प्रचार में कहा था, “उसने एक ही मूल से मनुष्यों की सब जातियां सारी पृथ्वी पर रहने के लिये बनाईं हैं; और उन के ठहराए हुए समय, और निवास के सिवानों को इसलिये बान्धा है” (प्रेरितों 17:26); और उत्पत्ति की पुस्तक जो आज से लगभग 3400 वर्ष पूर्व लिखी गई,  उसके 5 अध्याय में आदम और हव्वा से उत्पन्न होने वाली संतानों के नाम और उनकी संक्षिप्त वंशावली दी गई है - अर्थात सारी मानवजाति उस एक ही मूल, आदि पुरुष, आदम की संतान हैं। वैज्ञानिकों ने जब मनुष्य के डीएनए के अध्ययन किए,  तो उन्हें मनुष्य की रचना और इतिहास के बारे में कई अद्भुत बातें पता चलीं। 1995 में 38 विभिन्न जातियों के वंशों के डीएनए के अध्ययन के द्वारा यह सामने आया कि चाहे वे आज विभिन्न और पृथक जातियाँ हैं,  किन्तु मूल में वे सभी एक ही मूल पुरुष से निकलकर आए हैं! यह बात बाइबल में हजारों वर्ष पहले लिखी गई बात के पूर्णतः अनुरूप है।

               वैज्ञानिकों में असमंजस है कि गर्भ-धारण होने से कितने समय बाद भ्रूण को जीवित कहा जा सकता है। किन्तु बाइबल बताती है कि भ्रूण के गर्भ में आने के समय,  उसके आरंभ से ही वह एक जीवित प्राणी है, जिसके विषय परमेश्वर ने योजना बना रखी है, उद्देश्य निर्धारित किया हुआ हैगर्भ में रचने से पहिले ही मैं ने तुझ पर चित्त लगाया, और उत्पन्न होने से पहिले ही मैं ने तुझे अभिषेक किया; मैं ने तुझे जातियों का भविष्यद्वक्ता ठहराया” (यिर्मयाह 1:5); अर्थात परमेश्वर की दृष्टि में वह आरंभ से ही एक जीवित व्यक्ति है, जो कुछ समय के बाद मनुष्य के स्वरूप में दिखने लगेगा, जन्म लेगा, और फिर बड़ा होकर परमेश्वर के उद्देश्यों को पूरा करेगा। आज विज्ञान भी यह जानता और मानता है कि उस भ्रूण के गर्भ में स्थापित होने के समय, जब वह एक ही कोशिका (cell) दिखाई देता है, तब भी उस एक कोशिका में वही जीवन होता है जो उसके गर्भ से बाहर जन्म लेने के समय होता है, और उस एक कोशिका में विद्यमान डीएनए में वह संपूर्ण जानकारी विद्यमान होती है जिसके द्वारा वह भ्रूण एक कोशिका से बढ़कर मनुष्य रूप में जन्म लेता, और बढ़ता है, कार्य करता है। 

              

               जिस परमेश्वर ने आपको और मुझे अपने स्वरूप में, अद्भुत रीति से रचा है, अपनी श्वास से हमें जीवन दिया है, जो आज दिन तक हमारी देखभाल करता आ रहा है, और हमें अपनी पृथ्वी और प्रकृति के संसाधनों का प्रयोग खुले दिल से करने दे रहा है, वह हम में से प्रत्येक को, हमारे मनों की भावनाओं और विचारों को, हमारी भीतरी-बाहरी वास्तविक दशा को, हमारे मन, विचार, शरीर में किए गए हर पाप को जानता है। चाहे हम उसे स्वीकार करें या न करें; उसके आज्ञाकारी बनें अथवा न बनें; वह हम से बहुत प्रेम भी रखता है, हमारी चिंता भी करता है। वह चाहता है कि उसका रचा हुआ प्रत्येक जन, जिस भी दशा में वह है, वैसा ही उसके पास आ जाए, उस से मेल-मिलाप कर ले, जिससे परमेश्वर उसे पापों से स्वच्छ और शुद्ध करे, तथा शैतान द्वारा बहकाए जाकर अनन्त-विनाश में डाल देने से बचा सके। उसने इस मेल-मिलाप का मार्ग प्रभु यीशु मसीह में होकर तैयार किया और उपलब्ध करवाया है। वह अपेक्षा रखता है कि हम उसकी सृष्टि और अपनी रचना द्वारा उसके अस्तित्व को पहचानें और स्वेच्छा से समय रहते उसके पास आ जाएं, उसे समर्पित और उसकी आज्ञाकारिता का जीवन व्यतीत करें, और उसकी आशीषों की भरपूरी का आनन्द प्राप्त करें। सच्चे मन और स्वेच्छा से की गई आपकी एक छोटी सी प्रार्थना, “हे प्रभु यीशु मैं स्वीकार करता हूँ कि मैं पापी हूँ, और आपने मेरे पापों के लिए क्रूस पर अपना बलिदान दिया है। कृपया मेरे पाप क्षमा करें, मुझे स्वीकार करें, अपनी शरण में लेकर मुझे अपना आज्ञाकारी जन बनाएंआपको अनन्त विनाश से अनन्त जीवन और स्वर्गीय आशीषों में लाकर खड़ा कर देगी। क्या आप आज, अभी यह निर्णय लेंगे? आपको अद्भुत रीति से रचने वाला आपका सृष्टिकर्ता परमेश्वर उसके पक्ष में किए गए आपके निर्णय की लालसा रखे हुए प्रतीक्षा कर रहा है! 

 

बाइबल पाठ: भजन 139:1-4, 13-18, 23-24 

भजन 139:1 हे यहोवा, तू ने मुझे जांच कर जान लिया है।

भजन 139:2 तू मेरा उठना बैठना जानता है; और मेरे विचारों को दूर ही से समझ लेता है।

भजन 139:3 मेरे चलने और लेटने की तू भली भांति छानबीन करता है, और मेरी पूरी चालचलन का भेद जानता है।

भजन 139:4 हे यहोवा, मेरे मुंह में ऐसी कोई बात नहीं जिसे तू पूरी रीति से न जानता हो।

भजन 139:13 मेरे मन का स्वामी तो तू है; तू ने मुझे माता के गर्भ में रचा।

भजन 139:14 मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं।

भजन 139:15 जब मैं गुप्त में बनाया जाता, और पृथ्वी के नीचे स्थानों में रचा जाता था, तब मेरी हड्डियां तुझ से छिपी न थीं।

भजन 139:16 तेरी आंखों ने मेरे बेडौल तत्व को देखा; और मेरे सब अंग जो दिन दिन बनते जाते थे वे रचे जाने से पहिले तेरी पुस्तक में लिखे हुए थे।

भजन 139:17 और मेरे लिये तो हे ईश्वर, तेरे विचार क्या ही बहुमूल्य हैं! उनकी संख्या का जोड़ कैसा बड़ा है।

भजन 139:18 यदि मैं उन को गिनता तो वे बालू के किनकों से भी अधिक ठहरते। जब मैं जाग उठता हूं, तब भी तेरे संग रहता हूं।

भजन 139:23 हे ईश्वर, मुझे जांच कर जान ले! मुझे परख कर मेरी चिन्ताओं को जान ले!

भजन 139:24 और देख कि मुझ में कोई बुरी चाल है कि नहीं, और अनन्त के मार्ग में मेरी अगुवाई कर!

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 97-99
  • रोमियों 16