हाथ में कुछ दाने लिये मैं दबे पांव अपने घर के पिछवाड़े में बने मछलियों के कुण्ड के पास गया, कि चुपके से मछलियों के पास पहुंच सकूं। या तो उन्होंने मेरा प्रतिबिंब पानी में देखा, या फिर मुझे जितना दबे पांव होना चाहिये था उतना नहीं हो सका, जैसे ही मैं कुण्ड के किनारे बनी बाड़ पर पहुंचा, १५ बड़ी मछलियां बड़ी उत्सुक्ता से, कुछ खाने को मिलने की आशा में अपने मुंह जल्दी जल्दी खोलते और बंद करते हुए मेरी ओर बढ़ीं।
मछलियों ने इतनी ज़ोर से फड़फड़ाना क्यों आरंभ किया? क्योंकि मेरी मौजूदगी ने ही उनके मस्तिष्क में प्रतिक्रिया आरंभ कर दी कि आने वाला कुछ खाने की वस्तु लेकर आया होगा, और वे उस खाने खि वस्तु की आशा में तेज़ी से किनारे के निकट पहुंचीं।
काश परमेश्वर की हमें भली वस्तुएं देने की इच्छा के प्रति भी हमारी ऐसे ही आशा की प्रतिक्रिया रहती - प्रतिक्रिया जो उसके साथ हमारे अनुभवओं और उसके स्वभाव के गहरे ज्ञान पर आधारित है।
मिशनरी विलियम केरी ने कहा था "परमेश्वर से महान वरदानों की आशा रखो, और परमेश्वर के लिये महान कार्य करते रहो।" जो कार्य परमेश्वर हमसे लेना चाहता है उसके लिये वह हमारी हर आवश्यक्ता पूरी भी करेगा, और वह हमें निमंत्रण देता है कि हम निर्भीक होकर उसके पास अपनी आवश्यक्ता के समय आएं और उसके अनुग्रह और दया का स्वाद चखें (इब्रानियों ४:१६)।
परमेश्वर की संतान होने पर जब हम विश्वास से जीते हैं तो हमें शान्त मनोभाव से, रोमांचित करने वाली ऐसी आशा भी रखनी चाहिये कि हमारा परमेश्वर पिता हमारे लिये समय और आवश्यक्ता के अनुसार हर वस्तु उपलब्ध कराएगा (मती ७:८-११)। - सिंडी हैस कैस्पर
सो जब तुम बुरे होकर, अपके बच्चों को अच्छी वस्तुएं देना जानते हो, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता अपने मांगने वालों को अच्छी वस्तुएं क्यों न देगा? - मती ७:११
बाइबल पाठ: मती ७:७-११
मांगो, तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूंढ़ो, तो तुम पाओगे; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा।
क्योंकि जो कोई मांगता है, उसे मिलता है; और जो ढूंढ़ता है, वह पाता है और जो खटखटाता है, उसके लिये खोला जाएगा।
तुम में से ऐसा कौन मनुष्य है, कि यदि उसका पुत्र उस से रोटी मांगे, तो वह उसे पत्थर दे?
वा मछली मांगे, तो उसे सांप दे?
सो जब तुम बुरे होकर, अपने बच्चों को अच्छी वस्तुएं देना जानते हो, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता अपने मांगने वालों को अच्छी वस्तुएं क्यों न देगा?
एक साल में बाइबल:
मछलियों ने इतनी ज़ोर से फड़फड़ाना क्यों आरंभ किया? क्योंकि मेरी मौजूदगी ने ही उनके मस्तिष्क में प्रतिक्रिया आरंभ कर दी कि आने वाला कुछ खाने की वस्तु लेकर आया होगा, और वे उस खाने खि वस्तु की आशा में तेज़ी से किनारे के निकट पहुंचीं।
काश परमेश्वर की हमें भली वस्तुएं देने की इच्छा के प्रति भी हमारी ऐसे ही आशा की प्रतिक्रिया रहती - प्रतिक्रिया जो उसके साथ हमारे अनुभवओं और उसके स्वभाव के गहरे ज्ञान पर आधारित है।
मिशनरी विलियम केरी ने कहा था "परमेश्वर से महान वरदानों की आशा रखो, और परमेश्वर के लिये महान कार्य करते रहो।" जो कार्य परमेश्वर हमसे लेना चाहता है उसके लिये वह हमारी हर आवश्यक्ता पूरी भी करेगा, और वह हमें निमंत्रण देता है कि हम निर्भीक होकर उसके पास अपनी आवश्यक्ता के समय आएं और उसके अनुग्रह और दया का स्वाद चखें (इब्रानियों ४:१६)।
परमेश्वर की संतान होने पर जब हम विश्वास से जीते हैं तो हमें शान्त मनोभाव से, रोमांचित करने वाली ऐसी आशा भी रखनी चाहिये कि हमारा परमेश्वर पिता हमारे लिये समय और आवश्यक्ता के अनुसार हर वस्तु उपलब्ध कराएगा (मती ७:८-११)। - सिंडी हैस कैस्पर
आशा रहित प्रार्थना अविश्वास का गुप्त प्रतिरूप है।
सो जब तुम बुरे होकर, अपके बच्चों को अच्छी वस्तुएं देना जानते हो, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता अपने मांगने वालों को अच्छी वस्तुएं क्यों न देगा? - मती ७:११
बाइबल पाठ: मती ७:७-११
मांगो, तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूंढ़ो, तो तुम पाओगे; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा।
क्योंकि जो कोई मांगता है, उसे मिलता है; और जो ढूंढ़ता है, वह पाता है और जो खटखटाता है, उसके लिये खोला जाएगा।
तुम में से ऐसा कौन मनुष्य है, कि यदि उसका पुत्र उस से रोटी मांगे, तो वह उसे पत्थर दे?
वा मछली मांगे, तो उसे सांप दे?
सो जब तुम बुरे होकर, अपने बच्चों को अच्छी वस्तुएं देना जानते हो, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता अपने मांगने वालों को अच्छी वस्तुएं क्यों न देगा?
एक साल में बाइबल:
- यशायाह ११-१३
- इफिसियों ४