अमेरिका में आए एक विदेशी पर्यटक को टेलिफोन करने की आवश्यक्ता पड़ी और वह टेलिफोन बूथ में गया; वह बूथ उसके अपने देश के टेलिफोन बूथ से भिन्न था। शाम होने के कारण बूथ के अन्दर रौशनी कम थी और वह टेलिफोन डायरेक्टरी में से नंबर पढ़ पाने में कठिनाई अनुभव कर रहा था। उसने रौशनी के लिए इधर-उधर देखा, उसे बूथ की छत पर बल्ब तो दिखाई दिया, लेकिन उसे जलाने के लिए कोई बटन नज़र नहीं आया; अब उसे समझ नहीं आ रहा था कि कैसे बल्ब जलाए और डायरेक्टरी से नंबर पढ़े। उसके असमंजस को देख, राह चलते एक व्यक्ति ने उसे सलाह दी, "यदि आप को रौशनी चाहिए तो दरवाज़ा बन्द करना होगा।" उसने सलाह मानकर जैसे ही बूथ का दरवाज़ा बन्द किया, बल्ब स्वतः ही जल गया और बूथ रौशन हो गया।
परमेश्वर के साथ संगति और प्रार्थना के लिए भी यही चाहिए - परमेश्वर सम्मुख आने पर मन के दरवाज़े संसार की बातों और व्यस्तता पर बन्द कर दीजिए, और स्वतः ही उसकी उपस्थिति का प्रकाश हमारे अन्धेरे मन को रौशन करके हमें हमारी परेशानियों और कठिनाईयों में मार्ग दिखाएगा। हम परमेश्वर से संगति करने पाएंगे और अपने जीवन के लिए उसके मार्गदर्शन और संसाधनों का लाभ उठाने पाएंगे।
हमारा प्रभु यीशु भी अकसर अपने स्वर्गीय पिता के साथ समय बिताने के लिए एकांत स्थानों में जाया करता था; वह ऐसा कभी प्रचार और चंगाई के व्यस्त दिन की समाप्ति पर करता था, जैसा हम लूका ५ में वर्णन पाते हैं, तो कभी तड़के सुबह मुँह अन्धेरे ही उठकर (मरकुस १:१५), अथवा किसी बड़े निर्ण्य को लेने से पहले (लूका ६:१२)।
हम मसीही विश्वासी जो प्रभु यीशु के चेले हैं, आश्वस्त रह सकते हैं कि "यदि हम उस की इच्छा के अनुसार कुछ मांगते हैं, तो वह हमारी सुनता है" (१ युहन्ना ५:१४): इसलिए उसकी इच्छा जानना हमारे लिए अति आवश्यक है। यह तब ही संभव है जब हम शांत और स्थिर मन के साथ उसके साथ संगति में समय बिताएं, और इसके लिए हमें संसार की बातों और अपनी व्यस्तता पर अपने मन के दरवाज़े बन्द करने होंगे, तब ही उसका प्रकाश हमारे मन और मार्ग को रौशन करेगा। - रिचर्ड डी हॉन
प्रबल और सफल प्रार्थना का भेद है एकांत में प्रार्थना करना।
परन्तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा; और द्वार बन्द कर के अपने पिता से जो गुप्त में है प्रार्थना कर; और तब तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा। - मत्ती ६:६
बाइबल पाठ: लूका ५:१२-१६
Luk 5:12 जब वह किसी नगर में था, तो देखो, वहां कोढ़ से भरा हुआ एक मनुष्य था, और वह यीशु को देख कर मुंह के बल गिरा, और बिनती की, कि हे प्रभु यदि तू चाहे हो मुझे शुद्ध कर सकता है।
Luk 5:13 उस ने हाथ बढ़ा कर उसे छूआ और कहा मैं चाहता हूं तू शुद्ध हो जा: और उसका कोढ़ तुरन्त जाता रहा।
Luk 5:14 तब उस ने उसे चिताया, कि किसी से न कह, परन्तु जाके अपने आप को याजक को दिखा, और अपने शुद्ध होने के विषय में जो कुछ मूसा ने चढ़ावा ठहराया है उसे चढ़ा; कि उन पर गवाही हो।
Luk 5:15 परन्तु उस की चर्चा और भी फैलती गई, और भीड़ की भीड़ उस की सुनने के लिये और अपनी बिमारियों से चंगे होने के लिये इकट्ठी हुई।
Luk 5:16 परन्तु वह जंगलों में अलग जा कर प्रार्थना किया करता था।
एक साल में बाइबल:
- श्रेष्ठगीत ६-८
- गलतियों ४