छोटे बच्चों के लिए अपने बड़ों की उपलब्धियों का कोई विशेष महत्व नहीं होता, क्योंकि वे उनकी समझ और संसार से बाहर कि बातें हैं। उनसे मिलने और उन्हें प्रभावित करने के लिए उनके स्तर पर आना उनके समान उनके संसार में रहना, उनके साथ समय बिताना आवश्यक है; जैसे उनके साथ लूडो या सांप-सीढ़ी खेलना, या मैदान में गेंद के साथ कुछ खेलना इत्यादि। जब हम अपने आप को उनके स्तर पर लाते हैं तब ही वे हमारे साथ सामंजस्य बनाने पाते हैं, हमारे साथ संबंध प्रगाढ़ करने पाते हैं, अपनी बात हमें बताने और समझाने के लिए खुलने पाते हैं। संसार में हमारा स्तर, ज्ञान, प्रतिभा और सामर्थ उन्हें प्रभावित नहीं करता; हमारा उनके समान हो कर उनकी बातों को समझना ही उन्हें प्रभावित करता है, उन्हें भाता है, और हमारे और उनके बीच की दूरी को पाटने पाता है।
यही परमेश्वर ने हमारे साथ और हमारे लिए किया; परमेश्वरत्व के सारी महिमा और सामर्थ छोड़कर वह एक साधारण मनुष्य बनकर स्वर्ग से इस पृथ्वी पर एक साधारण मनुष्य के समान रहने आ गया। परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रभु यीशु के चेले यूहन्ना प्रेरित ने लिखा, "और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उस की ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा" (यूहन्ना १:१४)। हमारे स्तर पर आने के द्वारा उसने अपने और हमारे बीच की सारी दूरी हमेशा के लिए पाट दी और मनुष्य के संसार से स्वर्ग तक जाने का मार्ग तैयार कर के दे दिया।
जब हम उसके द्वारा करी गई इस बात की गंभीरता और गहराई का, स्वर्ग के वैभव, महिमा और सामर्थ को छोड़कर एक साधारण मनुष्य के समान जीवन जीने में किए गए त्याग का, और हमारे पापों के लिए अपने आप को बलिदान करने के द्वारा चुकाई गई उस कीमत का अंदाज़ा लगाने पाते हैं जो प्रभु यीशु ने हमारे लिए चुकाई, तब ही हम समझने पाते हैं कि क्यों केवल वह ही हमारी आरधना और उपासना के योग्य है। - जो स्टोवैल
प्रभु यीशु ने अनन्त और असीम प्रमेश्वर तथा नाश्वान एवं सीमित मनुष्य के बीच की दूरी पाट दी।
और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उस की ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा। - यूहन्ना १:१४
बाइबल पाठ: फिलिप्पियों २:१-११
Php 2:1 सो यदि मसीह में कुछ शान्ति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करूणा और दया है।
Php 2:2 तो मेरा यह आनन्द पूरा करो कि एक मन रहो और एक ही प्रेम, एक ही चित्त, और एक ही मनसा रखो।
Php 2:3 विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो।
Php 2:4 हर एक अपनी ही हित की नहीं, बरन दूसरों की हित की भी चिन्ता करे।
Php 2:5 जैसा मसीह यीशु का स्वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्वभाव हो।
Php 2:6 जिस ने परमेश्वर के स्वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा।
Php 2:7 वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया।
Php 2:8 और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली।
Php 2:9 इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है।
Php 2:10 कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे हैं, वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें।
Php 2:11 और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।
एक साल में बाइबल:
- भजन २९-३०
- प्रेरितों २३:१-१५