विलियम ज़िनसर ने अपनी पुस्तक On Writing Well में लिखा है कि बहुत से लेखक अपने लेखन के अन्तिम परिणाम की चिंता से घिरे रहते हैं। वे अपने लेखन को बेच पाने की चिंता से इतने अभिभूत रहते हैं कि वे लिखते समय ध्यान से सोचने, योजना बनाने और प्रबंधन करने की प्रक्रिया को सीखने की उपेक्षा कर बैठते हैं। परिणाम होता है एक अस्त-व्यस्त पाण्डुलिपि, क्योंकि लेखक ने समाप्ति रेखा पर अपनी नज़र तो लगाए रखी किंतु उस रेखा तक की दौड़ को ध्यान देकर नहीं दौड़ा।
मसीही विश्वासी एवं प्रचारक तथा लेखक ए. डबल्यु, टोज़र ने अपनी पुस्तक The Root of the Righteous में इसी सिद्धांत को हमारे आत्मिक जीवनों में लागू करने की बात कही है। टोज़र ने बताया है कि कैसे हम केवल फल लाने पर ध्यान देने की चिंता में उस जड़ के बारे में सोचना छोड़ देते हैं जिसके कारण वृक्ष और फल हैं।
परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पतरस ने प्रथम शताबदी के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी दूसरी पत्री में चिताया कि मसीह के समान जीवन जी पाने और परमेश्वर के लिए प्रभावी सेवकाई तक पहुँच पाने के लिए एक प्रक्रिया से होकर निकलना पड़ता है। पतरस ने आत्मिक जीवन में बढोतरी के लिए एक के ऊपर दूसरे आधारित रहने वाले आठ क्षेत्रों को बताया: विश्वास, सदगुण, समझ, संयम, धीरज, भक्ति, भाईचारे की प्रीति और प्रेम (2 पतरस 1:5-7)। फिर निष्कर्ष में पतरस ने बताया कि यदि मसीही विश्वासी इन सदगुणों में बढ़ते रहेंगे "...तो तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह के पहचानने में निकम्मे और निष्फल न होने देंगी" (2 पतरस 1:8)।
परमेश्वर ने हम मसीही विश्वासियों को अपनी निकटता में बढ़ने और उसे और भली-भाँति जानने की अद्भुत प्रक्रिया में सम्मिलित होने के लिए बुलाया है; साथ ही परमेश्वर ने हमें यह आश्वासन भी दिया है कि यदि हम इस प्रक्रिया के भागी होंगे तो हम उसके नाम के लिए आदर का, तथा उसकी प्रभावी सेवकाई करने वाले ठहरेंगे। - डेविड मैक्कैसलैंड
मसीही जीवन एक प्रक्रिया है जिसमें विश्वासी जीवन की हर बात में
परमेश्वर पर पूर्ण निर्भरता रखना सीखते हैं।
सो हे मेरे प्रिय भाइयो, दृढ़ और अटल रहो, और प्रभु के काम में सर्वदा बढ़ते जाओ, क्योंकि यह जानते हो, कि तुम्हारा परिश्रम प्रभु में व्यर्थ नहीं है। - 1 कुरिन्थियों 15:58
बाइबल पाठ: 2 Peter 1:2-11
2 Peter 1:2 परमेश्वर के और हमारे प्रभु यीशु की पहचान के द्वारा अनुग्रह और शान्ति तुम में बहुतायत से बढ़ती जाए।
2 Peter 1:3 क्योंकि उसके ईश्वरीय सामर्थ ने सब कुछ जो जीवन और भक्ति से सम्बन्ध रखता है, हमें उसी की पहचान के द्वारा दिया है, जिसने हमें अपनी ही महिमा और सद्गुण के अनुसार बुलाया है।
2 Peter 1:4 जिन के द्वारा उसने हमें बहुमूल्य और बहुत ही बड़ी प्रतिज्ञाएं दी हैं: ताकि इन के द्वारा तुम उस सड़ाहट से छूट कर जो संसार में बुरी अभिलाषाओं से होती है, ईश्वरीय स्वभाव के समभागी हो जाओ।
2 Peter 1:5 और इसी कारण तुम सब प्रकार का यत्न कर के, अपने विश्वास पर सद्गुण, और सद्गुण पर समझ।
2 Peter 1:6 और समझ पर संयम, और संयम पर धीरज, और धीरज पर भक्ति।
2 Peter 1:7 और भक्ति पर भाईचारे की प्रीति, और भाईचारे की प्रीति पर प्रेम बढ़ाते जाओ।
2 Peter 1:8 क्योंकि यदि ये बातें तुम में वर्तमान रहें, और बढ़ती जाएं, तो तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह के पहचानने में निकम्मे और निष्फल न होने देंगी।
2 Peter 1:9 और जिस में ये बातें नहीं, वह अन्धा है, और धुन्धला देखता है, और अपने पूर्वकाली पापों से धुल कर शुद्ध होने को भूल बैठा है।
2 Peter 1:10 इस कारण हे भाइयों, अपने बुलाए जाने, और चुन लिये जाने को सिद्ध करने का भली भांति यत्न करते जाओ, क्योंकि यदि ऐसा करोगे, तो कभी भी ठोकर न खाओगे।
2 Peter 1:11 वरन इस रीति से तुम हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अनन्त राज्य में बड़े आदर के साथ प्रवेश करने पाओगे।
एक साल में बाइबल:
- अय्यूब 14-16
- प्रेरितों 9:22-43