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बुधवार, 10 अगस्त 2016

उद्देश्य


   कहते हैं कि जब आप आनन्द में हों तो समय बड़ी जलदी गुज़र जाता है। इस कथन का कोई तर्कपूर्ण आधार तो नहीं है, परन्तु अनुभव यही दिखाता है कि यह कथन सही है। जब जीवन सुखद होता है, तब समय बड़ी जल्दी बीतता हुआ लगता है। यदि हमारे पास कोई ऐसा कार्य हो जिसे करना हमें अच्छा लगता है, या हम किसी ऐसे जन के साथ हैं जिसकी संगति में हमें आनन्द मिलता है, तो समय कब और कैसे बीत गया पता ही नहीं चल पाता।

   समय के बीतने से संबंधित इस धारणा के अनुभव ने मुझे परमेश्वर के वचन बाइबल के प्रकाशितवाक्य 4 अध्याय में वर्णित दृश्य की एक नई समझ प्रदान करी है। पहले जब मैं उस खण्ड को पढ़ता था, जहाँ परमेश्वर के सिंहासन के चारों ओर बैठे चारों प्राणी बारंबार वही शब्द, "पवित्र, पवित्र, पवित्र",  दोहराते हुए दिखाए गए हैं, तब मैं सोचती थी कि इनका अस्तित्व कितना उबाऊ होगा।

   लेकिन अब मैं ऐसा नहीं सोचती। अब मैं साथ में यह भी सोचती हूँ कि उन प्राणियों ने अपनी अनेक आंखों से कैसे कैसे अलौकिक दृश्य देखे होंगे (पद 8); परमेश्वर के सिंहासन के समीप से उन्हें सृष्टि और उसमें हो रहे कार्यों का कैसा विहंगम दृश्य देखने को मिलता रहता है (पद 6) और परमेश्वर की बुद्धिमता तथा पृथ्वी के निवासियों के प्रति उसके असीम प्रेम के कैसे कैसे उदाहरण उनके समक्ष आए होंगे। यह सब देखते, जानते और समझते हुए वे प्राणी इससे बेहतर क्या प्रत्युत्तर दे सकते हैं, कि बस परमेश्वर की पवित्रता और महानता के लिए उसकी आराधना करें, उसे पवित्र, पवित्र, पवित्र कहते रहें।

   क्या एक समान शब्द कहते रहना उबाऊ हो सकता है? यदि आप उसके साथ हैं जिससे आप प्रेम करते हैं, तो नहीं; और ना ही तब उबाऊ होगा जब आप वह उद्देश्य पूरा कर रहे हों जिसके लिए आप को रचा गया है। उन चार प्राणियों के समान ही, हमें भी परमेश्वर की महिमा के लिए रचा गया है। उस प्रेमी परमेश्वर पिता की लगातार हमारे साथ बनी रहने वाली उपस्थिति का ध्यान करके यदि हम अपने जीवनों को उसकी महिमा करने के उद्देश्य को पूरा करने के लिए संचालित करें तो हमारे जीवन कभी भी उबाऊ नहीं रहेंगे। - जूली ऐकैरमैन लिंक


यदि हमारे मन परमेश्वर के साथ लयबद्ध हैं, 
तो उसकी आराधना करने से रुक नहीं सकते।

हर एक को जो मेरा कहलाता है, जिस को मैं ने अपनी महिमा के लिये सृजा, जिस को मैं ने रचा और बनाया है। - यशायाह 43:7 

बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य 4
Revelation 4:1 इन बातों के बाद जो मैं ने दृष्टि की, तो क्या देखता हूं कि स्वर्ग में एक द्वार खुला हुआ है; और जिस को मैं ने पहिले तुरही के से शब्द से अपने साथ बातें करते सुना था, वही कहता है, कि यहां ऊपर आ जा: और मैं वे बातें तुझे दिखाऊंगा, जिन का इन बातों के बाद पूरा होना अवश्य है। 
Revelation 4:2 और तुरन्त मैं आत्मा में आ गया; और क्या देखता हूं, कि एक सिंहासन स्वर्ग में धरा है, और उस सिंहासन पर कोई बैठा है। 
Revelation 4:3 और जो उस पर बैठा है, वह यशब और मानिक सा दिखाई पड़ता है, और उस सिंहासन के चारों ओर मरकत सा एक मेघधनुष दिखाई देता है। 
Revelation 4:4 और उस सिंहासन के चारों ओर चौबीस सिंहासन है; और इन सिंहासनों पर चौबीस प्राचीन श्वेत वस्‍त्र पहिने हुए बैठें हैं, और उन के सिरों पर सोने के मुकुट हैं। 
Revelation 4:5 और उस सिंहासन में से बिजलियां और गर्जन निकलते हैं और सिंहासन के साम्हने आग के सात दीपक जल रहे हैं, ये परमेश्वर की सात आत्माएं हैं। 
Revelation 4:6 और उस सिंहासन के साम्हने मानो बिल्लौर के समान कांच का सा समुद्र है, और सिंहासन के बीच में और सिंहासन के चारों ओर चार प्राणी हैं, जिन के आगे पीछे आंखे ही आंखे हैं। 
Revelation 4:7 पहिला प्राणी सिंह के समान है, और दूसरा प्राणी का मुंह बछड़े के समान है, तीसरे प्राणी का मुंह मनुष्य का सा है, और चौथा प्राणी उड़ते हुए उकाब के समान है। 
Revelation 4:8 और चारों प्राणियों के छ: छ: पंख हैं, और चारों ओर, और भीतर आंखे ही आंखे हैं; और वे रात दिन बिना विश्राम लिये यह कहते रहते हैं, कि पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु परमेश्वर, सर्वशक्तिमान, जो था, और जो है, और जो आने वाला है। 
Revelation 4:9 और जब वे प्राणी उस की जो सिंहासन पर बैठा है, और जो युगानुयुग जीवता है, महिमा और आदर और धन्यवाद करेंगे। 
Revelation 4:10 तब चौबीसों प्राचीन सिंहासन पर बैठने वाले के साम्हने गिर पड़ेंगे, और उसे जो युगानुयुग जीवता है प्रणाम करेंगे; और अपने अपने मुकुट सिंहासन के साम्हने यह कहते हुए डाल देंगे। 
Revelation 4:11 कि हे हमारे प्रभु, और परमेश्वर, तू ही महिमा, और आदर, और सामर्थ के योग्य है; क्योंकि तू ही ने सब वस्तुएं सृजीं और वे तेरी ही इच्छा से थीं, और सृजी गईं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 79-80
  • रोमियों 11:1-18