एक इतवार प्रातः जब मैं चर्च में प्रवेश कर रहा था तो मुझे देखकर एक छोटे बच्चे ने अपनी माँ से पूछा "माँ, क्या यही यीशु है?" यह कहने की आवश्यक्ता नहीं है कि मैं उस माँ के उत्तर को सुनने को उत्सुक्त था। माँ ने कहा, "नहीं, यह तो हमारे पास्टर हैं।" मैं जानता था कि वो ऐसा ही कुछ कहेगी, लेकिन मन में चाह थी कि वह इसके साथ कुछ इस तात्पर्य की पंक्तियां भी जोड़ दे कि " ...लेकिन उन्हें देखकर हमें यीशु स्मरण आता है।"
प्रभु यीशु के अनुरूप होना उनके जीवन का उद्देश्य है जो उसका अनुसरण करने को बुलाए गए हैं। वास्तव में, जैसा प्रचारक जौन स्टौट का कहना है, यह अनुरूपता हमारे जीवन के अतीत, वर्तमान और भविष्य का एकमात्र लक्ष्य है। रोमियों ८:२९ बताता है कि अतीत में "क्योंकि जिन्हें उस ने पहिले से जान लिया है उन्हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों", वर्तमान में "...हम उसी तेजस्वी रूप में अंश अंश कर के बदलते जाते हैं" (२ कुरिन्थियों ३:१८) और भविष्य में "इतना जानते हैं, कि जब वह प्रगट होगा तो हम भी उसके समान होंगे, क्योंकि उस को वैसा ही देखेंगे जैसा वह है" (१ यूहन्ना ३:२)।
यीशु के अनुरूप होने का तात्पर्य कुछ नियमों का पालन करना, चर्च जाना, दशमांश देना आदि नहीं है। इसका तात्पर्य है उसकी क्षमा के एहसास को अपने जीवन में बनाए रखना, और दूसरों के प्रति सदा दयालुता और अनुग्रह का व्यवहार बनाए रखना। इसका तात्पर्य है ऐसा जीवन जीना जो यीशु के समान, हर एक जन को बहुमूल्य जानता हो और वैसे ही उनकी कद्र भी करता हो। इसका तात्पर्य है परमेश्वर पिता की आज्ञाकारिता को पूर्णरूप से समर्पित जीवन जीना। उद्धार पाए प्रत्येक जन के लिये यह अनुरूपता अनिवार्य है।
यीशु के समान बनिये, आप को मिले उद्धार का यही उद्देश्य है। - जो स्टोवैल
क्योंकि जिन्हें उस ने पहिले से जान लिया है उन्हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे। - रोमियों ८:२९
बाइबल पाठ: रोमियों ८:२६-२९
इसी रीति से आत्मा भी हमारी र्दुबलता में सहायता करता है, क्योंकि हम नहीं जानते, कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए, परन्तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर जो बयान से बाहर है, हमारे लिये बिनती करता है।
और मनों का जांचने वाला जानता है, कि आत्मा की मनसा क्या है क्योंकि वह पवित्र लोगों के लिये परमेश्वर की इच्छा के अनुसार बिनती करता है।
और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिल कर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं।
क्योंकि जिन्हें उस ने पहिले से जान लिया है उन्हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे।
एक साल में बाइबल:
प्रभु यीशु के अनुरूप होना उनके जीवन का उद्देश्य है जो उसका अनुसरण करने को बुलाए गए हैं। वास्तव में, जैसा प्रचारक जौन स्टौट का कहना है, यह अनुरूपता हमारे जीवन के अतीत, वर्तमान और भविष्य का एकमात्र लक्ष्य है। रोमियों ८:२९ बताता है कि अतीत में "क्योंकि जिन्हें उस ने पहिले से जान लिया है उन्हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों", वर्तमान में "...हम उसी तेजस्वी रूप में अंश अंश कर के बदलते जाते हैं" (२ कुरिन्थियों ३:१८) और भविष्य में "इतना जानते हैं, कि जब वह प्रगट होगा तो हम भी उसके समान होंगे, क्योंकि उस को वैसा ही देखेंगे जैसा वह है" (१ यूहन्ना ३:२)।
यीशु के अनुरूप होने का तात्पर्य कुछ नियमों का पालन करना, चर्च जाना, दशमांश देना आदि नहीं है। इसका तात्पर्य है उसकी क्षमा के एहसास को अपने जीवन में बनाए रखना, और दूसरों के प्रति सदा दयालुता और अनुग्रह का व्यवहार बनाए रखना। इसका तात्पर्य है ऐसा जीवन जीना जो यीशु के समान, हर एक जन को बहुमूल्य जानता हो और वैसे ही उनकी कद्र भी करता हो। इसका तात्पर्य है परमेश्वर पिता की आज्ञाकारिता को पूर्णरूप से समर्पित जीवन जीना। उद्धार पाए प्रत्येक जन के लिये यह अनुरूपता अनिवार्य है।
यीशु के समान बनिये, आप को मिले उद्धार का यही उद्देश्य है। - जो स्टोवैल
ऐसे जीओ कि लोग आप में यीशु को देख सकें।
क्योंकि जिन्हें उस ने पहिले से जान लिया है उन्हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे। - रोमियों ८:२९
बाइबल पाठ: रोमियों ८:२६-२९
इसी रीति से आत्मा भी हमारी र्दुबलता में सहायता करता है, क्योंकि हम नहीं जानते, कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए, परन्तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर जो बयान से बाहर है, हमारे लिये बिनती करता है।
और मनों का जांचने वाला जानता है, कि आत्मा की मनसा क्या है क्योंकि वह पवित्र लोगों के लिये परमेश्वर की इच्छा के अनुसार बिनती करता है।
और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिल कर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं।
क्योंकि जिन्हें उस ने पहिले से जान लिया है उन्हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे।
एक साल में बाइबल:
- यर्मियाह ९-११
- १ तिमुथियुस ६