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गुरुवार, 16 जून 2016

प्रेम


   सेवकाई के एक भ्रमण के दौरान हाई-स्कूल के कुछ बच्चे अनाथालयों में भी गए, और इससे उनमें से एक किशोर प्रगट रीति से विचलित हो गया। जब उससे पूछा गया कि वह विचलित क्यों है तो उसने बताया कि उसे 10 वर्ष पहले की अपनी स्थिति स्मरण हो आई थी। यह किशोर पहले एक अन्य देश में एक अनाथालय में रहा करता था, और उसे स्मरण हो आया कि जैसे वह इस अनाथालय में आया है, वैसे ही लोग उस अनाथालय में भी आया करते थे जिसमें वह रहा करता था। मिलने वाले आते, उससे और उसके मित्रों से मिलते, और चले जाते। यदा-कदा कोई वापस आकर किसी बच्चे को गोद ले लेता; परन्तु जितनी बार कोई आकर किसी और बच्चे को गोद ले लेता, इस किशोर के मन में प्रश्न उठता, "वह क्यों; मैं क्यों नहीं? मुझमें ऐसी क्या कमी है जो मुझे गोद नहीं लिया गया?"

   उन किशोरों के इस सेवकाई भ्रमण के समय में अनाथालयों में जाने और फिर आगे चले जाने से उसके मन में विचलित कर देने वाली वे पुरानी भावनाएं फिर से जागृत हो उठती थीं। इसलिए उस भ्रमण समूह के लोगों ने मिलकर उसके लिए प्रार्थना करी, और परमेश्वर का धन्यवाद किया कि एक दिन एक महिला ने, जो अब उसकी दत्तक माता है, उसे चुना और अपना पुत्र बना लिया। यह उस महिला द्वारा प्रेम का प्रदर्शन था जिससे एक लड़के को नई आशा मिली।

   संसार भर में अनेकों बच्चे हैं जिन्हें उनके प्रति परमेश्वर के प्रेम को जानना शेष है (मत्ती 18:4-5; मरकुस 10:13-16; याकूब 1:27)। यह तो स्पष्ट है कि हम उन सब बच्चों को ना तो गोद ले सकते हैं और ना ही उन सब से मिलने जा सकते हैं, और ना ही हम से ऐसा करने की अपेक्षा की जाती है। लेकिन हम सब कुछ ऐसा कर सकते हैं जो उन बच्चों के लाभ के लिए है, जैसे कि उनके लिए सहायता प्रदान करें, उन्हें किसी प्रकार प्रोत्साहित करें, उनकी शिक्षा के लिए योगदान करें, उनके लिए प्रार्थना करें, आदि।

   जब हम संसार के बच्चों से प्रेम करते हैं, हम अपने परमेश्वर पिता का आदर करते हैं जिसने अपने अनुग्रह से प्रभु यीशु मसीह में होकर हमारे पाप क्षमा किए और हमें गोद लेकर अपने परिवार का सदस्य बनाया (गलतियों 4:4-7)। - डेव ब्रैनन


प्रभु यीशु मसीह का प्रेम जितना हम में बढ़ेगा, 
उतना ही वह अन्य लोगों के लिए हम में से बहेगा।

क्योंकि तुम सब उस विश्वास करने के द्वारा जो मसीह यीशु पर है, परमेश्वर की सन्तान हो। और तुम में से जितनों ने मसीह में बपतिस्मा लिया है उन्होंने मसीह को पहिन लिया है। अब न कोई यहूदी रहा और न यूनानी; न कोई दास, न स्‍वतंत्र; न कोई नर, न नारी; क्योंकि तुम सब मसीह यीशु में एक हो। - गलतियों 3:26-28

बाइबल पाठ: याकूब 1:19-2:1
James 1:19 हे मेरे प्रिय भाइयो, यह बात तुम जानते हो: इसलिये हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्‍पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो। 
James 1:20 क्योंकि मनुष्य का क्रोध परमेश्वर के धर्म का निर्वाह नहीं कर सकता है। 
James 1:21 इसलिये सारी मलिनता और बैर भाव की बढ़ती को दूर कर के, उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो, जो हृदय में बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है।
James 1:22 परन्तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं। 
James 1:23 क्योंकि जो कोई वचन का सुनने वाला हो, और उस पर चलने वाला न हो, तो वह उस मनुष्य के समान है जो अपना स्‍वाभाविक मुंह दर्पण में देखता है। 
James 1:24 इसलिये कि वह अपने आप को देख कर चला जाता, और तुरन्त भूल जाता है कि मैं कैसा था। 
James 1:25 पर जो व्यक्ति स्‍वतंत्रता की सिद्ध व्यवस्था पर ध्यान करता रहता है, वह अपने काम में इसलिये आशीष पाएगा कि सुनकर नहीं, पर वैसा ही काम करता है। 
James 1:26 यदि कोई अपने आप को भक्त समझे, और अपनी जीभ पर लगाम न दे, पर अपने हृदय को धोखा दे, तो उस की भक्ति व्यर्थ है। 
James 1:27 हमारे परमेश्वर और पिता के निकट शुद्ध और निर्मल भक्ति यह है, कि अनाथों और विधवाओं के क्‍लेश में उन की सुधि लें, और अपने आप को संसार से निष्‍कलंक रखें।
James 2:1 हे मेरे भाइयों, हमारे महिमायुक्त प्रभु यीशु मसीह का विश्वास तुम में पक्षपात के साथ न हो।

एक साल में बाइबल: 
  • नहेम्याह 4-6
  • प्रेरितों 2:22-47