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शनिवार, 15 अगस्त 2015

लंगर


   मैं अपने दो मित्रों के साथ एक झील में मछली पकड़ने के लिए गया हुआ था। हम तीनों एक छोटी नाव में थे, और जहाँ लाकर हमने नाव को झील में रखा था वहाँ मछलियाँ चारा लेने के लिए बहुतायत से आ रही थीं, और हम काँटे पर चारा लगाने और मछली फंसाने में व्यस्त हो गए। कुछ देर में हमने देखा कि चारे पर आने वाली मछलियाँ धीरे धीरे कम होती जा रही हैं; चारों ओर ध्यान से देखने पर हमें कारण पता चल गया - नाव वहाँ नहीं थी जहाँ लाकर हमने उसे रखा था। हुआ यह था कि तेज़ हवा ने नाव को धकेल कर पानी में और आगे कर दिया था, जो लंगर हमने नाव को एक स्थान पर स्थिर करने के लिए डाला था वह नीचे झील के तले में पकड़ नहीं ले पाया था और नाव के साथ खिसक गया था। हमने लंगर को ऊपर उठाया और पुनः उस स्थान पर आ गए जहाँ मछलियाँ बहुतायत से थीं; लेकिन थोड़ी देर में फिर वही हुआ जो पहले हुआ था। हमने एक और बार वापस लौट कर लंगर डाला, लेकिन लंगर नीचे कोई पकड ले नहीं पा रहा था, इसलिए हम वापस किनारे पर लौट आए।

   जब बात हमारे उद्धार की आती है, तो हम मसीही विश्वासियों की आशा परमेश्वर की प्रतिज्ञा तथा प्रभु यीशु मसीह के अटल कार्य पर स्थिर है। शैतान द्वारा हम पर भेजे गए सन्देह, निराशा, आत्मिक आक्रमण आदि के तेज़ झोंके हमारे अन्दर यह विचार उत्पन्न कर सकते हैं कि हमारा जीवन असुरक्षित इधर-उधर हिचकोले ले रहा है, हमारा उद्धार निश्चित नहीं है। लेकिन ऐसा कदापि नहीं है! परमेश्वर ने हमें प्रतिज्ञा दी है कि हमारा उद्धार सुरक्षित है (इब्रानियों 6:18-19) और परमेश्वर कभी झूठ नहीं बोल सकता। हमारी आशा प्रभु यीशु के साथ दृढ़ता से जुड़ी हुई है; उस प्रभु के साथ जिसने अपने बलिदान, क्रूस की मृत्यु, पुनरुत्थान और स्वर्गारोहण के द्वारा एक ही बार सदा-सर्वदा के लिए पाप और पाप के दण्ड से हमारा छुटकारा कर दिया।

   हमारे जीवन और अनन्तकाल का लंगर एक अटल चट्टान - प्रभु यीशु है। उसका असीम प्रेम हमें स्थिर और दृढ़ रीति से थामे रहता है; शैतान का कोई दाँव हमें उसकी निकटता से हिला नहीं सकता। - डेविड एग्नर


हमारा स्थिर लंगर चट्टान प्रभु यीशु है।

क्या ही धन्य वह है, जिसका सहायक याकूब का ईश्वर है, और जिसका भरोसा अपने परमेश्वर यहोवा पर है। वह आकाश और पृथ्वी और समुद्र और उन में जो कुछ है, सब का कर्ता है; और वह अपना वचन सदा के लिये पूरा करता रहेगा। - भजन 146:5-6

बाइबल पाठ: इब्रानियों 6:13-20
Hebrews 6:13 और परमेश्वर ने इब्राहीम को प्रतिज्ञा देते समय जब कि शपथ खाने के लिये किसी को अपने से बड़ा न पाया, तो अपनी ही शपथ खाकर कहा। 
Hebrews 6:14 कि मैं सचमुच तुझे बहुत आशीष दूंगा, और तेरी सन्तान को बढ़ाता जाऊंगा। 
Hebrews 6:15 और इस रीति से उसने धीरज धर कर प्रतिज्ञा की हुई बात प्राप्त की। 
Hebrews 6:16 मनुष्य तो अपने से किसी बड़े की शपथ खाया करते हैं और उन के हर एक विवाद का फैसला शपथ से पक्का होता है। 
Hebrews 6:17 इसलिये जब परमेश्वर ने प्रतिज्ञा के वारिसों पर और भी साफ रीति से प्रगट करना चाहा, कि उसकी मनसा बदल नहीं सकती तो शपथ को बीच में लाया। 
Hebrews 6:18 ताकि दो बे-बदल बातों के द्वारा जिन के विषय में परमेश्वर का झूठा ठहरना अन्‍होना है, हमारा दृढ़ता से ढाढ़स बन्ध जाए, जो शरण लेने को इसलिये दौड़े है, कि उस आशा को जो साम्हने रखी हुई है प्राप्त करें। 
Hebrews 6:19 वह आशा हमारे प्राण के लिये ऐसा लंगर है जो स्थिर और दृढ़ है, और परदे के भीतर तक पहुंचता है। 
Hebrews 6:20 जहां यीशु मलिकिसिदक की रीति पर सदा काल का महायाजक बन कर, हमारे लिये अगुआ की रीति पर प्रवेश हुआ है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 91-93
  • रोमियों 15:1-13