ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

गुरुवार, 6 अगस्त 2015

तुलना


   जब एक स्थानीय पुस्तक भण्डार ने अपनी पुस्तकों को पुनःव्यवस्थित किया, तो मुझे आभास हुआ कि वहाँ जादू-टोने आदि से संबंधित पुस्तकों की संख्या काफी अधिक है। उन पुस्तकों की संख्या इतनी अधिक थी कि उनके धार्मिक पुस्तकों के संकलन वाला भाग अन्धकार और ज्योति में मुकाबले के समान प्रतीत हो रहा था - उस खण्ड के एक किनारे पर मसीही पुस्तकें थीं जबकि दूसरे किनारे पर जादू-टोने आदि से संबंधित लगभग उतनी ही पुस्तकें रखी हुई थीं जिससे मसीही विश्वास और जादू-टोने आदि के लगभग एक समान सा होने का आभास हो रहा था।

   कभी कभी हम परमेश्वर और शैतान को तुलनात्मक रीति से वैसा ही समझ लेते हैं जैसा उस पुस्तक भण्डार की पुस्तकें आभास दिला रही थीं। हमें लगता है कि शैतान और परमेश्वर एक दूसरे के विरोधी परन्तु एक दूसरे के समान असीमित शक्ति वाली दो ताकतें हैं। किंतु परमेश्वर तो परमेश्वर ही है और शैतान उसके सामने कुछ भी नहीं है। परमेश्वर तो शैतान और अन्धकार की किसी भी शक्ति से कहीं अधिक सामर्थी है। परमेश्वर जो चाहे वह कर सकता है (भजन 135:5-6) जबकि शैतान ऐसा नहीं कर सकता, उसे परमेश्वर द्वारा निर्धारित सीमा के अन्दर ही रहना पड़ता है। शैतान ने चाहा कि दयनीय स्थिति में ला कर वह परमेश्वर के भक्त अय्युब से परमेश्वर को बुरा-भला कहलवाए और अय्युब परमेश्वर को कोसे; परन्तु, "यहोवा ने शैतान से कहा, सुन, जो कुछ उसका है, वह सब तेरे हाथ में है; केवल उसके शरीर पर हाथ न लगाना। तब शैतान यहोवा के साम्हने से चला गया" (अय्युब 1:12), और शैतान को परमेश्वर द्वारा निर्धारित सीमा का पालन करना पड़ा।

   क्योंकि इस सृष्टि की हर बात, उन सब बातों का समस्त संचालन, उनसे संबंधित प्रत्येक परिस्थिति परमेश्वर के नियंत्रण में है इसलिए हम मसीही विश्वासियों को अपने जीवन में शैतान की सामर्थ को लेकर कोई भय या संकोच नहीं रखना चाहिए। परमेश्वर का वचन बाइबल हमें बताती है कि शैतान अवश्य हमें प्रलोभनों में डाल कर गिराने, हमारे जीवनों को विभिन्न बातों द्वारा प्रभावित करने के प्रयास करेगा, लेकिन बाइबल साथ ही यह भी आश्वासन देती है कि "हे बालको, तुम परमेश्वर के हो: और तुम ने उन पर जय पाई है; क्योंकि जो तुम में है, वह उस से जो संसार में है, बड़ा है" (1 यूहन्ना 4:4)।

   बाइबल हमें परमेश्वर और शैतान दोनों की हकीकत तथा सामर्थ के बारे में बताती है, हमें दोनों की तुलना करने और सच्चाई को जानने-समझने का माध्यम देती है। बाइबल को पढ़ें, दोनों की तुलना करें, सच्चाई को समझें, तथा सत्य का अनुसरण करें। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


प्रत्येक मसीही विश्वासी के आस-पास उपस्थित शैतान की ताकतें उसके अन्दर उपस्थित मसीह यीशु की सामर्थ का सामना कदापि नहीं कर सकतीं।

मैं तो जानता हूं कि हमारा प्रभु यहोवा सब देवताओं से महान है। जो कुछ यहोवा ने चाहा उसे उसने आकाश और पृथ्वी और समुद्र और सब गहिरे स्थानों में किया है। - भजन 135:5-6

बाइबल पाठ: 1 यूहन्ना 4:1-6
1 John 4:1 हे प्रियों, हर एक आत्मा की प्रतीति न करो: वरन आत्माओं को परखो, कि वे परमेश्वर की ओर से हैं कि नहीं; क्योंकि बहुत से झूठे भविष्यद्वक्ता जगत में निकल खड़े हुए हैं। 
1 John 4:2 परमेश्वर का आत्मा तुम इसी रीति से पहचान सकते हो, कि जो कोई आत्मा मान लेती है, कि यीशु मसीह शरीर में हो कर आया है वह परमेश्वर की ओर से है। 
1 John 4:3 और जो कोई आत्मा यीशु को नहीं मानती, वह परमेश्वर की ओर से नहीं; और वही तो मसीह के विरोधी की आत्मा है; जिस की चर्चा तुम सुन चुके हो, कि वह आने वाला है: और अब भी जगत में है। 
1 John 4:4 हे बालको, तुम परमेश्वर के हो: और तुम ने उन पर जय पाई है; क्योंकि जो तुम में है, वह उस से जो संसार में है, बड़ा है। 
1 John 4:5 वे संसार के हैं, इस कारण वे संसार की बातें बोलते हैं, और संसार उन की सुनता है। 
1 John 4:6 हम परमेश्वर के हैं: जो परमेश्वर को जानता है, वह हमारी सुनता है; जो परमेश्वर को नहीं जानता वह हमारी नहीं सुनता; इसी प्रकार हम सत्य की आत्मा और भ्रम की आत्मा को पहचान लेते हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 70-71
  • रोमियों 8:22-39