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सोमवार, 20 जुलाई 2015

बाइबल


   कुछ गाने और धुनें ऐसी होती हैं कि वे आपके मस्तिषक में बैठ जाती हैं, और आप उन्हें अपने ध्यान तथा विचारों से निकाल नहीं पाते; वे हर समय आपके मस्तिषक के अन्दर बजती रहती हैं, आपको विचलित रखती हैं। उनको मन-मस्तिषक से हटाने का एक ही कारगर उपाय बताया जाता है - उन्हें किसी अन्य गाने या धुन से बदल लें; वह नया गाना या धुन उस पुराने को निकालकर उसका स्थान ले लेती है।

   यही प्रक्रिया हम अपने विचारों को स्वच्छ रखने के लिए भी प्रयोग कर सकते हैं। जब भी अनुचित, वासनात्मक, प्रतिशोधात्मक विचार हमारे अन्दर समा जाएं और हमें विचलित करने लगें, परमेश्वर के वचन बाइबल को पढ़ने और उस पर मनन करने से हम उन गलत विचारों को स्वच्छ और भली बातों से बदल सकते हैं।

   परमेश्वर से प्रेम रखने के संबंध में प्रभु यीशु ने सिखाया है "...तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख" (मत्ती 22:37) तथा बाइबल हम मसीही विश्वासियों को यह भी सिखाती है: "और इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो" (रोमियों 12:2)। हमें किन बातों पर विचार करते रहना है यह भी परमेश्वर ने हमारे लिए बाइबल में दिया है: "निदान, हे भाइयों, जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, निदान, जो जो सदगुण और प्रशंसा की बातें हैं, उन्‍हीं पर ध्यान लगाया करो" (फिलिप्पियों 4:8)।

   जब भी हमारे मन तथा विचार किसी गलत, अनुचित या पापमय बात की ओर भटकने लगें, परमेश्वर के वचन बाइबल की बुद्धिमता और शुद्धता से अपने मन-मस्तिषक को भर लें, अपने बुरे विचारों को उसके स्वच्छ विचारों से बदल लें, क्योंकि परमेश्वर ने बाइबल हमें स्वच्छ और सिद्ध होने का मार्ग दिखाने के लिए दी है। - सिंडी हैस कैस्पर


हमारा चरित्र हमारे विचारों, वचनों और कार्यों का योग है।

हर एक पवित्रशास्‍त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है। ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्‍पर हो जाए। - 2 तिमुथियुस 3:16-17

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 4:4-9
Philippians 4:4 प्रभु में सदा आनन्‍दित रहो; मैं फिर कहता हूं, आनन्‍दित रहो। 
Philippians 4:5 तुम्हारी कोमलता सब मनुष्यों पर प्रगट हो: प्रभु निकट है। 
Philippians 4:6 किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं। 
Philippians 4:7 तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी।
Philippians 4:8 निदान, हे भाइयों, जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, निदान, जो जो सदगुण और प्रशंसा की बातें हैं, उन्‍हीं पर ध्यान लगाया करो। 
Philippians 4:9 जो बातें तुम ने मुझ से सीखीं, और ग्रहण की, और सुनी, और मुझ में देखीं, उन्‍हीं का पालन किया करो, तब परमेश्वर जो शान्‍ति का सोता है तुम्हारे साथ रहेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 26-28
  • प्रेरितों 22