प्राचीन इस्त्राएल का समाज गिलगाल में एकत्रित हुआ कि अपने प्रथम राजा, शाउल, का राज्याभिषेक करे (१ शमूएल ११:१५)। परमेश्वर ने इस्त्राएल से वायदा किया था कि वह ही उनकी देखभाल करेगा और उनकी सुरक्षा होगा, और परमेश्वर ऐसा करता भी आया था। किंतु अपने आस-पास की अन्य जातियों और उनके व्यवहार को देख कर इस्त्राएल ने परमेश्वर से मांग करी कि उन्हें भी अन्य जातियों के समान एक राजा चाहिए। परमेश्वर इस बात से प्रसन्न तो नहीं हुआ लेकिन फिर भी उसने अपने नबी शमूएल से कहा कि शाउल को राजा नियुक्त कर दे, और साथ ही अपनी प्रजा को आश्वासन दिलवाया, "यहोवा तो अपने बड़े नाम के कारण अपनी प्रजा को न तजेगा, क्योंकि यहोवा ने तुम्हें अपनी ही इच्छा से अपनी प्रजा बनाया है" (१ शमूएल १२:२२)। यह परमेश्वर के प्रेम और विश्वासयोग्यता का प्रमाण है कि जिसे वह अपना लेता है, उसे फिर कभी नहीं तजता; किसी परिस्थिति में नहीं, किसी भी कारण से नहीं।
परमेश्वर का वचन बाइबल प्रत्येक मसीही विश्वासी को आज भी यही आश्वासन देती है। हम विश्वासी उसकी निज प्रजा हैं (१ पतरस २:९), और वह हमें कभी नहीं तजेगा, यद्यपि वह जानता है कि हम कमज़ोर पड़कर उसे छोड़ देंगे; वह यह भी जानता है कि हम कमज़ोर, टूट जाने वाले और पाप में पड़ जाने में भी सक्षम हैं। परन्तु उसके लिए यह कोई नई बात नहीं है, वह हमारे विषय में यह बातें पहले से ही जानता है, फिर भी उसने हमें अपने निकट बुलाया है और हमें यह अधिकार दिया कि हम उसे "हे अब्बा, हे पिता" कह कर संबोधित कर सकें (रोमियों ८:१५)। हम मसीही विश्वासियों के उद्धार की निश्चितता हमारे अपने किसी प्रयास, किसी योग्यता अथवा किसी कार्य पर निर्भर नहीं है, वरन परमेश्वर के चरित्र पर आधारित है (१ यूहन्ना ५:२०)।
यह निश्चितता और परमेश्वर का यह आश्वासन हमें पाप करते रहने या पाप में बने रहने के लिए कदापि कोई बहाना या अवसर नहीं प्रदान करता है। प्रेरित पौलुस ने लिखा, "सो हम क्या कहें? क्या हम पाप करते रहें, कि अनुग्रह बहुत हो? कदापि नहीं, हम जब पाप के लिए मर गए तो फिर आगे को उस में क्योंकर जीवन बिताएं?" (रोमियों ६:१, २)। हमारा व्यवहार और दिन-प्रतिदिन के कार्यों में हमारे चुनाव परमेश्वर के नाम और प्रतिष्ठा, संसार के समक्ष मसीही गवाही और परमेश्वर के साथ हमारी सहभागिता की ओर संसार के लोगों का ध्यान लेकर जाते हैं। इसलिए अपनी जीवन शैली और व्यवहार में हमें संपूर्ण प्रयास के साथ परमेश्वर और उसके नाम के प्रति वफादार रहना है कि हम में होकर उसपर कोई आंच नहीं आए। किंतु साथ ही हमें यह आश्वासन भी है कि यदि हम कहीं कमज़ोर भी पड़ गए, और हमसे कोई गलती या पाप भी हो गया, तौ भी परमेश्वर हमें, जो मसीह यीशु में होकर वास्तव में उसके हो चुके हैं, कभी नहीं छोड़ेगा, कभी नहीं त्यागेगा ( इब्रानियों १३:५)।
हम निश्चिंत रह सकते हैं कि जिसे प्रभु परमेश्वर अपने अनुग्रह में होकर उद्धार देता है, अपने बड़े नाम के कारण उसकी रक्षा भी करता है - सदैव और सर्वदा। - डेविड रोपर
परमेश्वर के कभी न बदलने वाले अनुग्रह में रोप कर स्थापित किए हुए जीवन वहां से कभी उखाड़े नहीं जा सकते।
तुम्हारा स्वभाव लोभरिहत हो, और जो तुम्हारे पास है, उसी पर संतोष किया करो? क्योंकि उस ने आप ही कहा है, कि मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा। - इब्रानियों १३:५
बाइबल पाठ: रोमियों ८:२८-३९
Rom 8:28 और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिए सब बातें मिल कर भलाई ही को उत्पन्न करती है? अर्थात उन्हीं के लिए जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं।
Rom 8:29 क्योंकि जिन्हें उस ने पहिले से जान लिया है उन्हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे।
Rom 8:30 फिर जिन्हें उस ने पहिले से ठहराया, उन्हें बुलाया भी, और जिन्हें बुलाया, उन्हें धर्मी भी ठहराया है, और जिन्हें धर्मी ठहराया, उन्हें महिमा भी दी है।
Rom 8:31 सो हम इन बातों के विषय में क्या कहें यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?
Rom 8:32 जिस ने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिए दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्योंकर न देगा?
Rom 8:33 परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर वह है जो उनको धर्मी ठहराने वाला है।
Rom 8:34 फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा? मसीह वह है जो मर गया वरन मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिए निवेदन भी करता है।
Rom 8:35 कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार?
Rom 8:36 जैसा लिखा है, कि तेरे लिए हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध होने वाली भेंडों की नाईं गिने गए हैं।
Rom 8:37 परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिस ने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़ कर हैं।
Rom 8:38 क्योंकि मैं निश्चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई,
Rom 8:39 न गहिराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।
Rom 8:28 और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिए सब बातें मिल कर भलाई ही को उत्पन्न करती है? अर्थात उन्हीं के लिए जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं।
Rom 8:29 क्योंकि जिन्हें उस ने पहिले से जान लिया है उन्हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे।
Rom 8:30 फिर जिन्हें उस ने पहिले से ठहराया, उन्हें बुलाया भी, और जिन्हें बुलाया, उन्हें धर्मी भी ठहराया है, और जिन्हें धर्मी ठहराया, उन्हें महिमा भी दी है।
Rom 8:31 सो हम इन बातों के विषय में क्या कहें यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?
Rom 8:32 जिस ने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिए दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्योंकर न देगा?
Rom 8:33 परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर वह है जो उनको धर्मी ठहराने वाला है।
Rom 8:34 फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा? मसीह वह है जो मर गया वरन मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिए निवेदन भी करता है।
Rom 8:35 कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार?
Rom 8:36 जैसा लिखा है, कि तेरे लिए हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध होने वाली भेंडों की नाईं गिने गए हैं।
Rom 8:37 परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिस ने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़ कर हैं।
Rom 8:38 क्योंकि मैं निश्चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई,
Rom 8:39 न गहिराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।
एक साल में बाइबल:
- १ राजा १, २
- लूका १९:२८-४८