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शुक्रवार, 11 सितंबर 2015

प्रेम


   एक चर्च के सामने मैंने एक वाक्य लिखा देखा, जो संबंधों के विष्य में प्रेर्णा देने के लिए मुझे एक उत्तम आदर्श वाक्य लगा: "प्रेम स्वीकार करो; प्रेम बाँट दो; इसे पुनः दोहराओ।"

   वह सर्वोत्तम प्रेम जो हम ग्रहण कर सकते हैं परमेश्वर का प्रेम है। परमेश्वर ने हमसे इतना प्रेम किया कि अपने पुत्र प्रभु यीशु मसीह को हमारे लिए जीने, मरने और हमारा छुटकारा करने के लिए दे दिया (1 यूहन्ना 4:9)। प्रभु यीशु पर लाए गए विश्वास द्वारा हम परमेश्वर की सन्तान होने का गौरव प्राप्त करते हैं: "परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं" (यूहन्ना 1:12), अर्थात जब हम परमेश्वर के पुत्र प्रभु यीशु मसीह को अपना उद्धारकर्ता स्वीकार करते हैं, हम परमेश्वर के प्रेम को भी स्वीकार करते हैं; इसी प्रकार जब हम प्रभु यीशु में उपलब्ध पापों की क्षमा और उद्धार के सुसमाचार को बाँटते हैं तो हम परमेश्वर के प्रेम को भी बाँटते हैं।

   हमारे प्रति दिखाया गया परमेश्वर का प्रेम हमें औरों से प्रेम करने की प्रेर्णा देता है। उसी प्रेम के अन्तर्गत हम दूसरों की सहायता करते हैं, उन्हें सिखाते हैं, उन्हें प्रोत्साहित करते हैं, उन्हें डाँटते भी हैं, उनके साथ आनन्दित भी होते हैं और उनके दुखों में दुखी भी होते हैं। हमारे प्रभु यीशु ने हमें अपने शत्रुओं से भी प्रेम करना सिखाया है, "परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सताने वालों के लिये प्रार्थना करो। जिस से तुम अपने स्‍वर्गीय पिता की सन्तान ठहरोगे क्योंकि वह भलों और बुरों दोनों पर अपना सूर्य उदय करता है, और धर्मियों और अधर्मियों दोनों पर मेंह बरसाता है" (मत्ती 5:44-45)। कुछ परिस्थितियों में प्रेम बाँटना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन जो प्रेम हम ने परमेश्वर से पाया है, उसकी सामर्थ से तथा हमारे प्रभु यीशु मसीह के उदाहरण से हम ऐसा कर सकते हैं।

   हमारे आज के जीवन के लिए एक अच्छी योजना है: प्रेम स्वीकार करो; प्रेम बाँट दो; इसे पुनः दोहराओ। - ऐनी सेटास


प्रेम स्वीकार करो; प्रेम बाँट दो; इसे पुनः दोहराओ।

क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए। - यूहन्ना 3:16

बाइबल पाठ: 1 यूहन्ना 4:7-19
1 John 4:7 हे प्रियों, हम आपस में प्रेम रखें; क्योंकि प्रेम परमेश्वर से है: और जो कोई प्रेम करता है, वह परमेश्वर से जन्मा है; और परमेश्वर को जानता है।
1 John 4:8 जो प्रेम नहीं रखता, वह परमेश्वर को नहीं जानता है, क्योंकि परमेश्वर प्रेम है।
1 John 4:9 जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, वह इस से प्रगट हुआ, कि परमेश्वर ने अपने एकलौते पुत्र को जगत में भेजा है, कि हम उसके द्वारा जीवन पाएं।
1 John 4:10 प्रेम इस में नहीं कि हम ने परमेश्वर ने प्रेम किया; पर इस में है, कि उसने हम से प्रेम किया; और हमारे पापों के प्रायश्‍चित्त के लिये अपने पुत्र को भेजा।
1 John 4:11 हे प्रियो, जब परमेश्वर ने हम से ऐसा प्रेम किया, तो हम को भी आपस में प्रेम रखना चाहिए।
1 John 4:12 परमेश्वर को कभी किसी ने नहीं देखा; यदि हम आपस में प्रेम रखें, तो परमेश्वर हम में बना रहता है; और उसका प्रेम हम में सिद्ध हो गया है।
1 John 4:13 इसी से हम जानते हैं, कि हम उस में बने रहते हैं, और वह हम में; क्योंकि उसने अपने आत्मा में से हमें दिया है।
1 John 4:14 और हम ने देख भी लिया और गवाही देते हैं, कि पिता ने पुत्र को जगत का उद्धारकर्ता कर के भेजा है।
1 John 4:15 जो कोई यह मान लेता है, कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है: परमेश्वर उस में बना रहता है, और वह परमेश्वर में।
1 John 4:16 और जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, उसको हम जान गए, और हमें उस की प्रतीति है; परमेश्वर प्रेम है: जो प्रेम में बना रहता है, वह परमेश्वर में बना रहता है; और परमेश्वर उस में बना रहता है।
1 John 4:17 इसी से प्रेम हम में सिद्ध हुआ, कि हमें न्याय के दिन हियाव हो; क्योंकि जैसा वह है, वैसे ही संसार में हम भी हैं।
1 John 4:18 प्रेम में भय नहीं होता, वरन सिद्ध प्रेम भय को दूर कर देता है, क्योंकि भय से कष्‍ट होता है, और जो भय करता है, वह प्रेम में सिद्ध नहीं हुआ।
1 John 4:19 हम इसलिये प्रेम करते हैं, कि पहिले उसने हम से प्रेम किया।

एक साल में बाइबल: 

  • नीतिवचन 10-12
  • 2 कुरिन्थियों 4