ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शुक्रवार, 26 अक्टूबर 2018

सेवकाई



      कुछ समय पहले मैं एक महिला दर्जी की दुकान में कुछ कपड़ों की मरम्मत करवाने गया। उसकी दुकान में प्रवेश करने के बाद दीवारों पर जो कुछ मैंने देखा उससे मैं बहुत प्रोत्साहित हुआ। एक स्थान पर दीवार पर एक चित्र टंगा था जिसमें मरियम मगदलीनी दुखी होकर रो रही थी और प्रभु यीशु उसपर अपने आप को प्रगट करने ही वाला था; उस चित्र के पास ही में लिखा हुआ था, “हम आपके कपड़ों की मरम्मत कर सकते हैं, परन्तु आपके ह्रदयों की मरम्मत तो केवल प्रभु परमेश्वर ही कर सकता है।” एक अन्य स्थान पर लिखा हुआ था, “क्या आपको प्रार्थनाओं की आवश्यकता है? हम आपके साथ प्रार्थनाएं करेंगे।”

      उस दरजिन ने मुझे बताया कि वह इस छोटे से व्यवसाय को पिछले पन्द्रह वर्षों से चला रही है, और परमेश्वर ने जिस प्रकार से उन लिखे गए संदेशों के द्वारा लोगों के जीवनों में कार्य किया है वह चकित कर देने वाला है। उसने यह भी बताया कि कुछ समय पहले एक व्यक्ति ने वहीं, उस दुकान में ही प्रभु यीशु को अपना उद्धारकर्ता स्वीकार किया था। परमेश्वर के कार्यों को देख और जान पाने का अनुभव अद्भुत होता है। मैंने उससे कहा कि मैं भी एक मसीही विश्वासी हूँ, और अपने कार्यस्थल से प्रभु यीशु की इस सेवकाई के लिए उसकी प्रशंसा की, उसे प्रोत्साहित किया।

      हम सभी अपने कार्यस्थलों में इतने साहसिक नहीं होने पाते हैं, परन्तु हम जहाँ भी हों, वहीं पर लोगों के प्रति प्रेम, धैर्य, और कृपालु होने के अनेकों अवसर तथा रचनात्मक एवँ व्यावहारिक तरीके ढूँढ़ सकते हैं। उस दुकान से निकलने के बाद से ही मैं यह सोच रहा हूँ कि अपने कार्यस्थल पर रहते हुए भी प्रभु की सेवकाई करने के कितने अनगिनित तरीके हो सकते हैं। - डेनिस फिशर


परमेश्वर हमारे हृदयों में अपने प्रेम को इसलिए प्रवाहित करता है, 
जिससे वह प्रेम औरों के जीवनों में भी प्रवाहित हो सके।

क्योंकि तुम तो पहले अन्धकार थे परन्तु अब प्रभु में ज्योति हो, सो ज्योति की सन्तान के समान चलो। - इफिसियों 5:8

बाइबल पाठ: मत्ती 5:1-16
Matthew 5:1 वह इस भीड़ को देखकर, पहाड़ पर चढ़ गया; और जब बैठ गया तो उसके चेले उसके पास आए।
Matthew 5:2 और वह अपना मुंह खोल कर उन्हें यह उपदेश देने लगा,
Matthew 5:3 धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्‍हीं का है।
Matthew 5:4 धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं, क्योंकि वे शांति पाएंगे।
Matthew 5:5 धन्य हैं वे, जो नम्र हैं, क्योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे।
Matthew 5:6 धन्य हैं वे जो धर्म के भूखे और प्यासे हैं, क्योंकि वे तृप्त किये जाएंगे।
Matthew 5:7 धन्य हैं वे, जो दयावन्‍त हैं, क्योंकि उन पर दया की जाएगी।
Matthew 5:8 धन्य हैं वे, जिन के मन शुद्ध हैं, क्योंकि वे परमेश्वर को देखेंगे।
Matthew 5:9 धन्य हैं वे, जो मेल करवाने वाले हैं, क्योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलाएंगे।
Matthew 5:10 धन्य हैं वे, जो धर्म के कारण सताए जाते हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्‍हीं का है।
Matthew 5:11 धन्य हो तुम, जब मनुष्य मेरे कारण तुम्हारी निन्दा करें, और सताएं और झूठ बोल बोलकर तुम्हरो विरोध में सब प्रकार की बुरी बात कहें।
Matthew 5:12 आनन्‍दित और मगन होना क्योंकि तुम्हारे लिये स्वर्ग में बड़ा फल है इसलिये कि उन्होंने उन भविष्यद्वक्ताओं को जो तुम से पहिले थे इसी रीति से सताया था।
Matthew 5:13 तुम पृथ्वी के नमक हो; परन्तु यदि नमक का स्‍वाद बिगड़ जाए, तो वह फिर किस वस्तु से नमकीन किया जाएगा? फिर वह किसी काम का नहीं, केवल इस के कि बाहर फेंका जाए और मनुष्यों के पैरों तले रौंदा जाए।
Matthew 5:14 तुम जगत की ज्योति हो; जो नगर पहाड़ पर बसा हुआ है वह छिप नहीं सकता।
Matthew 5:15 और लोग दिया जलाकर पैमाने के नीचे नहीं परन्तु दीवट पर रखते हैं, तब उस से घर के सब लोगों को प्रकाश पहुंचता है।
Matthew 5:16 उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के साम्हने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में हैं, बड़ाई करें।


एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 9-11
  • 1 तिमुथियुस 6