एक
कार्यक्रम की तैयारी करने के लिए मैं अपने चर्च कुछ जल्दी पहुँच गई थी। चर्च की
वेदी की दूसरी ओर एक महिला खड़ी रो रही थी। बीते समय में वह मेरे प्रति निर्दयी रही
थी और मेरी पीठ पीछे मेरे विषय में उल्टी-सीधी बातें करती रही थी, इसलिए मैंने
वैक्यूम क्लीनर लिया और उसकी सिसकियों की आवाज़ को उस क्लीनर की आवाज़ से दबा दिया।
मैं क्यों उस व्यक्ति की परवाह करूं जो मुझे पसन्द नहीं करता था।
फिर
परमेश्वर पवित्र आत्मा ने मुझे स्मरण दिलाया कि परमेश्वर ने मुझे कितना अधिक क्षमा
किया था, और मैं उस महिला के पास गई और उससे उसके दुःख का कारण पूछा। उसने बताया
कि उसकी बच्ची कई महीनों से अस्पताल में भर्ती थी। हम दोनों गले मिलकर रोए,और हमने
साथ मिलकर उस बच्ची के लिए प्रार्थना की। कुछ समय में हमने परस्पर मतभेदों और
गलतफहमियों को भी मिटा लिया, और अब हम अच्छे मित्र हैं।
परमेश्वर
के वचन बाइबल में मत्ती 18 में प्रभु यीशु ने परमेश्वर के राज्य के संबंध में एक
दृष्टांत बताया; एक राजा ने अपने कर्मचारियों के लेन-देन का हिसाब किया। एक
कर्मचारी ऐसा पाया गया जिसे राजा का बहुत बड़ा क़र्ज़ चुकाना शेष था, किन्तु वह चुका
नहीं पा रहा था। उस कर्मचारी ने राजा से क्षमा माँगी, और राजा ने उसका क़र्ज़ क्षमा
कर दिया। तब वह कर्मचारी जब बाहर निकला तो उसका सामना उसके अन्य सह-कर्मचारी से
हुआ, जिसे उसका थोड़ा सा क़र्ज़ चुकाना था। उसने अपने साथी से तुरंत क़र्ज़ चुकाने की
माँग की, और उसके न चुका पाने पर उसे बंदीगृह में डलवा दिया। जब राजा को यह बात
पता चली तो राजा ने उस क्षमा न करने वाले कर्मचारी को भी पकड़ कर बंदीगृह में डाल
देने की आज्ञा दी (पद 23-34)।
क्षमा
कर देने का अर्थ पाप की, या हमारे प्रति की गई गलतियों की अनदेखी करना नहीं है, और
न ही इससे हमें पहुंचाया गया दुःख कम हो जाता है। क्षमा करने से हम परमेश्वर की
क्षमा का आनन्द लेने योग्य हो जाते हैं, वह हमारे जीवन में अपने अनुग्रह, शान्ति
और संबंधों की बहाली को करने पाता है। - जोशील डिक्सन
औरों को क्षमा करने से हम उसकी सिद्धता तथा
भलाई के अनुसार
परमेश्वर द्वारा न्याय किए जाने में भरोसा व्यक्त करते हैं।
इसलिये यदि तुम मनुष्य के अपराध क्षमा
करोगे, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता भी तुम्हें क्षमा करेगा। और
यदि तुम मनुष्यों के अपराध क्षमा न करोगे, तो तुम्हारा पिता
भी तुम्हारे अपराध क्षमा न करेगा। - मत्ती 6:14-15
बाइबल पाठ: मत्ती 18:23-35
Matthew 18:23 इसलिये स्वर्ग का राज्य उस
राजा के समान है, जिसने अपने दासों से लेखा लेना चाहा।
Matthew 18:24 जब वह लेखा लेने लगा,
तो एक जन उसके साम्हने लाया गया जो दस हजार तोड़े धारता था।
Matthew 18:25 जब कि चुकाने को उसके पास
कुछ न था, तो उसके स्वामी ने कहा, कि
यह और इस की पत्नी और लड़के बाले और जो कुछ इस का है सब बेचा जाए, और वह कर्ज चुका दिया जाए।
Matthew 18:26 इस पर उस दास ने गिरकर उसे
प्रणाम किया, और कहा; हे स्वामी,
धीरज धर, मैं सब कुछ भर दूंगा।
Matthew 18:27 तब उस दास के स्वामी ने तरस
खाकर उसे छोड़ दिया, और उसका धार क्षमा किया।
Matthew 18:28 परन्तु जब वह दास बाहर निकला,
तो उसके संगी दासों में से एक उसको मिला, जो
उसके सौ दीनार धारता था; उसने उसे पकड़कर उसका गला घोंटा,
और कहा; जो कुछ तू धारता है भर दे।
Matthew 18:29 इस पर उसका संगी दास गिरकर,
उस से बिनती करने लगा; कि धीरज धर मैं सब भर
दूंगा।
Matthew 18:30 उसने न माना, परन्तु जा कर उसे बन्दीगृह में डाल दिया; कि जब तक
कर्ज को भर न दे, तब तक वहीं रहे।
Matthew 18:31 उसके संगी दास यह जो हुआ था
देखकर बहुत उदास हुए, और जा कर अपने स्वामी को पूरा हाल बता
दिया।
Matthew 18:32 तब उसके स्वामी ने उसको
बुलाकर उस से कहा, हे दुष्ट दास, तू
ने जो मुझ से बिनती की, तो मैं ने तो तेरा वह पूरा कर्ज
क्षमा किया।
Matthew 18:33 सो जैसा मैं ने तुझ पर दया
की, वैसे ही क्या तुझे भी अपने संगी दास पर दया करना नहीं
चाहिए था?
Matthew 18:34 और उसके स्वामी ने क्रोध
में आकर उसे दण्ड देने वालों के हाथ में सौंप दिया, कि जब
तक वह सब कर्जा भर न दे, तब तक उन के हाथ में रहे।
Matthew 18:35 इसी प्रकार यदि तुम में से
हर एक अपने भाई को मन से क्षमा न करेगा, तो मेरा पिता जो
स्वर्ग में है, तुम से भी वैसा ही करेगा।
एक साल में बाइबल:
- 1 राजा 21-22
- लूका 23:26-56