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शनिवार, 7 जनवरी 2012

समर्पित कार्य

   व्याकरण में ’क्रिया’ किसी किए जा रहे, होने वाले अथवा किए गए कार्य को बताती है तथा ’क्रियाविशेषण’ उस ’क्रीया’ की गुणवन्ता को बताता है। मसीही विश्वास में एक कहावत है कि, "परमेश्वर ’क्रियाविशेषण’ से प्रेम करता है; ’कितने’ को नहीं”कितनी भलि-भांति किए गए’ को देखता है।" कहने का अर्थ है कि परमेश्वर हमारे कार्यों की मात्रा की बजाए उन कार्यों के करने के हमारे उद्देश्य और हमारे समर्पण तथा वफादारी को देखता है, तथा कितनी लगन और खराई से हम उन्हें करते हैं, उस बात का आंकलन करता है।

   परमेश्वर को प्रसन्न करने का अर्थ यह नहीं कि हम अपने आप को स्व-निर्धारित ’आत्मिक’ कार्यों में लगा लें; वरन परमेश्वर द्वारा दी गई प्रत्येक ज़िम्मेवारी का सही निर्वाह और उसे परमेश्वर के भय में करना, परमेश्वर की महिमा के लिए करना है। यह प्रतिदिन के हमारे साधारण कार्य भी हो सकते हैं जैसे, घर की सफाई, किसी बुज़ुर्ग के साथ समय बिताना, बच्चे द्वारा करी गई गन्दगी को साफ करना, बाज़ार से सामान ले कर आना, अपने व्यावास्यिक जीवन और कार्य की ज़िम्मेवारियों को निभाना, जानवारों की देख रेख करना इत्यादि; अथवा यह प्रभु के सन्देश का प्रचार, परमेश्वर के वचन को किसी अन्य भाषा में अनुवाद द्वारा उपलब्ध कराना, मिशनरी कर्यों में सहयोग देना आदि भी हो सकता है। महत्व कार्य के नाम का नहीं हमारे द्वारा किए गए कार्य की गुणवन्ता का है। प्रभु का दास प्रेरित पौलुस कहता है, "सो तुम चाहे खाओ, चाहे पीओ, चाहे जो कुछ करो, सब कुछ परमेश्वर की महिमा के लिये करो" (१ कुरिन्थियों १०:३१); क्योंकि, "...हम में मसीह का मन है" (१ कुरिन्थियों २:१६)।

   मसीही विश्वासी द्वारा प्रभु यीशु को उसका जीवन-समर्पण और उसके अन्दर बसा हुआ परमेश्वर पवित्र आत्मा उसे प्रेरित करते हैं कि वह अपने प्रभु की महिमा के लिए जीए, उसके हर कार्य में उसके प्रभु का अंश संसार को दिखाई दे। उसके लिए कोई कार्य छोटा नहीं है; कोई ज़िम्मेवारी - सांसारिक हो या आत्मिक, हलके में नहीं ली जा सकती क्योंकि वह जो कुछ करता है अपने प्रभु के नाम से, उससे प्रार्थना करके, उसी की सामर्थ से, और उसी की महीमा के लिए करता है। मसीही विश्वासी का हर कार्य प्रभु को समर्पित है क्योंकि उसके कार्य की समीक्षा करने वाला और उसे प्रतिफल देने वाला परमेश्वर है। - फिलिप यैन्सी


संसार सफलता को सम्मानित करता है; परमेश्वर विश्वासयोग्यता को।

...हम में मसीह का मन है। - १ कुरिन्थियों २:१६

बाइबल पाठ: कुलुस्सियों ३:८-१७
Col 3:8  पर अब तुम भी इन सब को अर्थात क्रोध, रोष, बैरभाव, निन्‍दा, और मुंह से गालियां बकना ये सब बातें छोड़ दो।
Col 3:9  एक दूसरे से झूठ मत बोलो क्‍योंकि तुम ने पुराने मनुष्यत्‍व को उस के कामों समेत उतार डाला है।
Col 3:10  और नए मनुष्यत्‍व को पहिन लिया है जो अपने सृजनहार के स्‍वरूप के अनुसार ज्ञान प्राप्‍त करने के लिये नया बनता जाता है।
Col 3:11  उस में न तो यूनानी रहा, न यहूदी, न खतना, न खतनारिहत, न जंगली, न स्‍कूती, न दास और न स्‍वतंत्र: केवल मसीह सब कुछ और सब में है।
Col 3:12  इसलिये परमेश्वर के चुने हुओं की नाईं जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करूणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो।
Col 3:13  और यदि किसी को किसी पर दोष देने को कोई कारण हो, तो एक दूसरे की सह लो, और एक दूसरे के अपराध क्षमा करो: जैसे प्रभु ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी करो।
Col 3:14  और इन सब के ऊपर प्रेम को जो सिद्धता का कटिबन्‍ध है बान्‍ध लो।
Col 3:15  और मसीह की शान्‍ति जिस के लिये तुम एक देह होकर बुलाए भी गए हो, तुम्हारे हृदय में राज्य करे, और तुम धन्यवादी बने रहो।
Col 3:16  मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो; और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ, और चिताओ, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिये भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ।
Col 3:17  और वचन से या काम से जो कुछ भी करो सब प्रभु यीशु के नाम से करो, और उसके द्वारा परमेश्वर पिता का धन्यवाद करो।
एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति १८-१९ 
  • मत्ती ६:१-१८