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सोमवार, 7 जनवरी 2013

अद्भुत प्रेमी


   मैंने एक स्त्री की वेब साईट पर लिखा हुआ पढ़ा: "मैं केवल प्रेम चाहती हूँ - और यह कि प्रेम करने वाला अद्भुत होना चाहिए।" क्या हम सभी यही नहीं चाहते - कि कोई हमसे प्रेम करे, हमारी परवाह तथा देखभाल करे? और यदि वह प्रेम करने वाला अद्भुत हो तो यह सबसे उत्तम होगा।

   केवल एक ही है जो इस वर्णन पर खरा उतरता है - प्रभु यीशु। उसके बारे में संक्षिपत में ही देखिए: वह अपने पिता के पास से स्वर्गीय महिमा और आदर-सम्मान को छोडकर एक असहाय शिशु के रूप में संसार में आ गया (लूका २)। एक गरीब घर में उसका पालन-पोषण हुआ, उसने एक निष्पाप जीवन जीया और अपने आप को हमारे संति परमेश्वर पिता के सामने क्रूस पर बलिदान कर दिया (यूहन्ना १९:१७-३०)। क्रूस की वह अत्यन्त दुखदायी और निन्दनीय मृत्यु उसने हमारे पापों के कारण स्वीकार करी: "परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा" (रोमियों ५:८); उसने हमारे पाप अपने ऊपर ले लिए और अपनी धार्मिकता हमें दे दी। मृत्यु के तीसरे दीन वह मृतकों में से जी उठा (मत्ती २८:१-८) और प्रमाणित कर दिया कि वह परमेश्वर का पुत्र और जगत का उद्धारकर्ता है।

   आज जब हम अपने पापों से पश्चाताप कर के प्रभु यीशु के अद्भुत प्रेम की भेंट को स्वीकार करते हैं तो वह हमारा उद्धारकर्ता (यूहन्ना १:१२; रोमियों ५:९), हमारा प्रभु (यूहन्ना १३:१४), हमारा शिक्षक (मत्ती २३:८) और हमारा मित्र (यूहन्ना १५:१४) बन जाता है। "देखो पिता ने हम से कैसा प्रेम किया है, कि हम परमेश्वर की सन्तान कहलाएं, और हम हैं भी..." (१ यूहन्ना ३:१)।

   किसी अद्भुत प्रेमी को ढूँढ रहे हैं? प्रभु यीशु को परख कर देखिए; उसके समान प्रेम तथा अनुग्रह करने वाला और उसके व्यक्तित्व के समान कोई और नहीं है। केवल वही अद्भुत प्रेमी है। - ऐनी सेटास


सबसे बड़ा आश्चर्य - प्रभु यीशु मुझ जैसे से भी प्रेम करता है!

देखो पिता ने हम से कैसा प्रेम किया है, कि हम परमेश्वर की सन्तान कहलाएं, और हम हैं भी: इस कारण संसार हमें नहीं जानता, क्योंकि उसने उसे भी नहीं जाना। - १ यूहन्ना ३:१

बाइबल पाठ: रोमियों ५:६-११
Rom 5:6  क्योंकि जब हम निर्बल ही थे, तो मसीह ठीक समय पर भक्तिहीनों के लिये मरा।
Rom 5:7  किसी धर्मी जन के लिये कोई मरे, यह तो र्दुलभ है, परन्तु क्या जाने किसी भले मनुष्य के लिये कोई मरने का भी हियाव करे।
Rom 5:8  परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा।
Rom 5:9  सो जब कि हम, अब उसके लोहू के कारण धर्मी ठहरे, तो उसके द्वारा क्रोध से क्यों न बचेंगे?
Rom 5:10  क्योंकि बैरी होने की दशा में तो उसके पुत्र की मृत्यु के द्वारा हमारा मेल परमेश्वर के साथ हुआ फिर मेल हो जाने पर उसके जीवन के कारण हम उद्धार क्यों न पाएंगे?
Rom 5:11  और केवल यही नहीं, परन्तु हम अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा जिस के द्वारा हमारा मेल हुआ है, परमेश्वर के विषय में घमण्ड भी करते हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति १८-१९ 
  • मत्ती ६:१-१८