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गुरुवार, 18 फ़रवरी 2021

बदलना

 

          जब मेरे मित्र डेविड की पत्नी को एलज़हाइमर रोग हुआ, जिससे रोगी की स्मरण शक्ति क्षीण होते-होते, जाती रहती है और शरीर भी दुर्बल होता चला जाता है, तो इससे जो बदलाव उस मित्र को अपने जीवन में करने पड़े, उनके कारण वह बहुत कटु हो गया। अपनी पत्नी की देखभाल करने के लिए उसे अपने काम से, समय से पहले ही, सेवा-निवृत्ति लेनी पड़ी। उसने मुझे बताया, “मैं परमेश्वर से बहुत क्रुद्ध हुआ; किन्तु मैंने इसके बारे में जितनी अधिक प्रार्थनाएँ कीं, परमेश्वर ने मुझे उतना अधिक दिखाया कि मेरे मन के वास्तविक दशा क्या है और कैसे मैं अपने विवाहित जीवन के अधिकांश समय में स्वार्थी रहा हूँ।” उसकी आँखें भर आईं जब उसने कहा, “उसे अस्वस्थ हुए अब दस वर्ष हो गए हैं, परन्तु परमेश्वर ने मेरी सहायता की है कि मैं एक भिन्न दृष्टिकोण से जीवन को देखूँ। अब मैं उसके लिए जो कुछ भी करता हूँ वह उसके तथा हमारे प्रभु यीशु के प्रति प्रेम के कारण करता हूँ। उसकी देखभाल करना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य हो गया है।”

          कभी-कभी परमेश्वर हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर हमें वह देने के स्थान पर, जो हम माँग रहे हैं, हमें बदलने के लिए चुनौती देने के द्वारा करता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि जब नीनवे को क्षमा कर देने के कारण योना नबी परमेश्वर से क्रुद्ध हुआ, तो परमेश्वर ने उसे तेज़ धूप से बचाने के लिए एक पौधे को उगाया (योना 4:6); और फिर उसे सुखा भी दिया। जब योना इसके लिए कुड़कुड़ाया, तो परमेश्वर ने उससे पूछा, “क्या तेरा इस पौधे के लिए कुड़कुड़ाना सही है?” (पद 7-9)। योना ने, जो केवल अपने ही ऊपर ध्यान केन्द्रित किए हुआ था, खिसियाहट में होकर कहा, कि उसका दृष्टिकोण सही है। लेकिन परमेश्वर ने उसे दृष्टिकोण बदलने तथा औरों के बारे में भी ध्यान करने के लिए कहा।

          परमेश्वर, हमें सिखाने और बढ़ाने के लिए, हमारी प्रार्थनाओं को कभी-कभी अनपेक्षित तरीकों से काम में लाता है। जब वह ऐसा करे, तो यह ऐसा बदलाव है जिसे हमें खुले हृदय के साथ स्वीकार करना चाहिए, क्योंकि वह अपने प्रेम में होकर हमें और बेहतर बनाना चाहता है, हमें बदलना चाहता है। - जेम्स बैंक्स

 

जब हम परमेश्वर के साथ समय बिताते हैं, वह हमें बढ़ाता और बदलता है।


वह तो और भी अनुग्रह देता है; इस कारण यह लिखा है, “परमेश्‍वर अभिमानियों का विरोध करता है, पर दीनों पर अनुग्रह करता है।” - याकूब 4:6

बाइबल पाठ: योना 4

योना 4:1 यह बात योना को बहुत ही बुरी लगी, और उसका क्रोध भड़का।

योना 4:2 और उसने यहोवा से यह कह कर प्रार्थना की, हे यहोवा जब मैं अपने देश में था, तब क्या मैं यही बात न कहता था? इसी कारण मैं ने तेरी आज्ञा सुनते ही तर्शीश को भाग जाने के लिये फुर्ती की; क्योंकि मैं जानता था कि तू अनुग्रहकारी और दयालु परमेश्वर है, विलम्ब से कोप करने वाला करुणा-निधान है, और दु:ख देने से प्रसन्न नहीं होता।

योना 4:3 सो अब हे यहोवा, मेरा प्राण ले ले; क्योंकि मेरे लिये जीवित रहने से मरना ही भला है।

योना 4:4 यहोवा ने कहा, तेरा जो क्रोध भड़का है, क्या वह उचित है?

योना 4:5 इस पर योना उस नगर से निकल कर, उसकी पूरब ओर बैठ गया; और वहां एक छप्पर बना कर उसकी छाया में बैठा हुआ यह देखने लगा कि नगर को क्या होगा?

योना 4:6 तब यहोवा परमेश्वर ने एक रेंड़ का पेड़ लगा कर ऐसा बढ़ाया कि योना के सिर पर छाया हो, जिस से उसका दु:ख दूर हो। योना उस रेंड़ के पेड़ के कारण बहुत ही आनन्दित हुआ।

योना 4:7 बिहान को जब पौ फटने लगी, तब परमेश्वर ने एक कीड़े को भेजा, जिसने रेंड़ का पेड़ ऐसा काटा कि वह सूख गया।

योना 4:8 जब सूर्य उगा, तब परमेश्वर ने पुरवाई बहा कर लू चलाई, और घाम योना के सिर पर ऐसा लगा कि वह मूर्च्छा खाने लगा; और उसने यह कह कर मृत्यु मांगी, मेरे लिये जीवित रहने से मरना ही अच्छा है।

योना 4:9 परमेश्वर ने योना से कहा, तेरा क्रोध, जो रेंड़ के पेड़ के कारण भड़का है, क्या वह उचित है? उसने कहा, हां, मेरा जो क्रोध भड़का है वह अच्छा ही है, वरन क्रोध के मारे मरना भी अच्छा होता।

योना 4:10 तब यहोवा ने कहा, जिस रेंड़ के पेड़ के लिये तू ने कुछ परिश्रम नहीं किया, न उसको बढ़ाया, जो एक ही रात में हुआ, और एक ही रात में नाश भी हुआ; उस पर तू ने तरस खाई है।

योना 4:11 फिर यह बड़ा नगर नीनवे, जिस में एक लाख बीस हजार से अधिक मनुष्य हैं, जो अपने दाहिने बाएं हाथों का भेद नहीं पहचानते, और बहुत घरेलू पशु भी उस में रहते हैं, तो क्या मैं उस पर तरस न खाऊं?

 

एक साल में बाइबल: 

  • लैव्यव्यवस्था 23-24
  • मरकुस 1:1-22