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सोमवार, 11 जनवरी 2016

परिस्थिति


   प्रथम विश्व-युद्ध के समय, मॉरने की प्रथम लड़ाई में, फ्रांस के लेफ्टिनेंट जनरल फर्डिनेन्ड फॉक ने एक सूचना भेजी: "आक्रमण कर रही मेरी सेना का मध्य भाग कमज़ोर पड़ रहा है और दाहिने भाग को पीछे हटना पड़ रहा है। स्थिति उत्कृष्ट है; मैं आक्रमण में लगा हूँ!" कठिन परिस्थितियों में भी आशा बनाए रखने की उनकी प्रवृति के कारण ही उनकी सेना विजयी हो सकी।

   कभी-कभी जीवन की लड़ाईयों में हमें लगता है मानो जीवन के हर मोर्चे पर हम हार रहे हैं - पारिवारिक कलह, व्यवसाय में हानि, स्वास्थ्य में गड़बड़ी इत्यादि जीवन के प्रति हमारे नज़रिए में निराशाएं ला सकती हैं। लेकिन हर मसीही विश्वासी, अपने अन्त-फल के कारण, सदा ही इस निषकर्ष पर बना रह सकता है कि "स्थिति उत्कृष्ट है"।

   प्रेरित पौलुस को ही देखिए; जब उसे सुसमाचार प्रचार के लिए कैदखाने में डाल दिया गया, तौ भी उसका रवैया आशावादी ही रहा। कैदखाने से फिलिप्पी के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री के आरंभ ही में पौलुस ने लिखा: "हे भाइयों, मैं चाहता हूं, कि तुम यह जान लो, कि मुझ पर जो बीता है, उस से सुसमाचार ही की बढ़ती हुई है" (फिलिप्पियों 1:12)।

   पौलुस ने अपनी कैद और कैदखाने को सुसमाचार प्रचार करने का एक नया मंच बना लिया जहाँ से वह रोमी सेना के उन लोगों को सुसमाचार दे सका जो वहाँ तैनात थे, और उनमें से कई मसीही विश्वासी हो गए। साथ ही उसकी इस परिस्थिति और इस परिस्थिति के प्रति उसकी प्रतिक्रीया से अन्य मसीही विश्वासी भी साहस प्राप्त कर सके और सुसमाचार प्रचार में और निर्भीक होकर लग सके (पद 13-14)।

   हमारी परिस्थितियों, परेशानियों और परीक्षाओं को, वे चाहे कष्टदायक ही क्यों ना हों, परमेश्वर हमारी भलाई के लिए (रोमियों 8:28) और अपने राज्य की बढ़ोतरी के लिए प्रयोग कर सकता है। हमारी हर परिस्थिति उसे आदर और महिमा देने का एक और कारण है। - डेनिस फिशर


क्लेष, विजयी होने के लिए परमेश्वर का दिया एक मार्ग हो सकते हैं।

और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 1:3-14
Philippians 1:3 मैं जब जब तुम्हें स्मरण करता हूं, तब तब अपने परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं। 
Philippians 1:4 और जब कभी तुम सब के लिये बिनती करता हूं, तो सदा आनन्द के साथ बिनती करता हूं। 
Philippians 1:5 इसलिये, कि तुम पहिले दिन से ले कर आज तक सुसमाचार के फैलाने में मेरे सहभागी रहे हो। 
Philippians 1:6 और मुझे इस बात का भरोसा है, कि जिसने तुम में अच्छा काम आरम्भ किया है, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा। 
Philippians 1:7 उचित है, कि मैं तुम सब के लिये ऐसा ही विचार करूं क्योंकि तुम मेरे मन में आ बसे हो, और मेरी कैद में और सुसमाचार के लिये उत्तर और प्रमाण देने में तुम सब मेरे साथ अनुग्रह में सहभागी हो। 
Philippians 1:8 इस में परमेश्वर मेरा गवाह है, कि मैं मसीह यीशु की सी प्रीति कर के तुम सब की लालसा करता हूं। 
Philippians 1:9 और मैं यह प्रार्थना करता हूं, कि तुम्हारा प्रेम, ज्ञान और सब प्रकार के विवेक सहित और भी बढ़ता जाए। 
Philippians 1:10 यहां तक कि तुम उत्तम से उत्तम बातों को प्रिय जानो, और मसीह के दिन तक सच्चे बने रहो; और ठोकर न खाओ। 
Philippians 1:11 और उस धामिर्कता के फल से जो यीशु मसीह के द्वारा होते हैं, भरपूर होते जाओ जिस से परमेश्वर की महिमा और स्‍तुति होती रहे। 
Philippians 1:12 हे भाइयों, मैं चाहता हूं, कि तुम यह जान लो, कि मुझ पर जो बीता है, उस से सुसमाचार ही की बढ़ती हुई है। 
Philippians 1:13 यहां तक कि कैसरी राज्य की सारी पलटन और शेष सब लोगों में यह प्रगट हो गया है कि मैं मसीह के लिये कैद हूं। 
Philippians 1:14 और प्रभु में जो भाई हैं, उन में से बहुधा मेरे कैद होने के कारण, हियाव बान्‍ध कर, परमेश्वर का वचन निधड़क सुनाने का और भी हियाव करते हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 10-12
  • मत्ती 4