जब प्रेरित पौलुस ने एथेन्स के लोगों को संबोधित किया था, तब उनके शहर में व्याप्त मूर्ति पूजा से उसका मन बहुत आहत था। फिर भी उसने उन लोगों के समक्ष अपने मन के रोष के अनुसार प्रतिक्रीया नहीं करी, वरन एथेन्स के लोगों के परमेश्वर के बारे में अधूरे ज्ञान को आधार बना कर उन्हें सच्चे और एकमात्र परमेश्वर के बारे में बड़े प्रेम और आदर के साथ बताया। पौलुस ने उन्हें समझाया: "जिस परमेश्वर ने पृथ्वी और उस की सब वस्तुओं को बनाया, वह स्वर्ग और पृथ्वी का स्वामी होकर हाथ के बनाए हुए मन्दिरों में नहीं रहता" (प्रेरितों १७:२४)।
हमारे चारों ओर परमेश्वर को विभिन्न रूपों में मानने और जानने वाले और अनेक देवी-देवताओं के मानने वाले लोग विद्यमान होने का अर्थ यह नहीं है कि उनमें आत्मिक जिज्ञासा नहीं है, उनकी आत्मिक खोज समाप्त हो गई है। हम नहीं जानते कौन कब एकमात्र सच्चे परमेश्वर की ओर बढ़ निकलेगा। उनकी विभिन्न धार्मिक विचारधारों से चाहे हम सहमत ना हों, लेकिन प्रेरित पौलुस के द्वारा दिए गए उदाहरण का अनुसरण करते हुए, हमें उनका किसी भी प्रकार से निरादर कदापि नहीं करना चाहिए। वे भी परमेश्वर की सृष्टि हैं, परमेश्वर के प्रेम के पात्र हैं, प्रभु यीशु मसीह ने उनके लिए भी अपने प्राण बलिदान किए हैं। इसलिए हमें लोगों के अन्दर परमेश्वर की खोज और जिज्ञासा को आंकना चाहिए और उन्हें संसार के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु में मिलने वाली पापों से क्षमा और उद्धार के बारे में प्रेम के साथ बताना चाहिए। - डेनिस फिशर
एकमात्र परमेश्वर ही हमारी आरधना का एकमात्र हकदार है।
...और तुम क्योंकर मूरतों से परमेश्वर की ओर फिरे ताकि जीवते और सच्चे परमेश्वर की सेवा करो।
बाइबल पाठ: प्रेरितों १७:२२-३१
Act 17:22 तब पौलुस ने अरियुपगुस के बीच में खड़ा होकर कहा; हे एथेने के लोगों मैं देखता हूं, कि तुम हर बात में देवताओं के बड़े मानने वाले हो।
Act 17:23 क्योंकि मैं फिरते हुए तुम्हारी पूजने की वस्तुओं को देख रहा था, तो एक ऐसी वेदी भी पाई, जिस पर लिखा था, कि अनजाने ईश्वर के लिये। सो जिसे तुम बिना जाने पूजते हो, मैं तुम्हें उसका समाचार सुनाता हूं।
Act 17:24 जिस परमेश्वर ने पृथ्वी और उस की सब वस्तुओं को बनाया, वह स्वर्ग और पृथ्वी का स्वामी होकर हाथ के बनाए हुए मन्दिरों में नहीं रहता।
Act 17:25 न किसी वस्तु का प्रयोजन रखकर मनुष्यों के हाथों की सेवा लेता है, क्योंकि वह तो आप ही सब को जीवन और श्वास और सब कुछ देता है।
Act 17:26 उस ने एक ही मूल से मनुष्यों की सब जातियां सारी पृथ्वी पर रहने के लिये बनाई हैं; और उन के ठहराए हुए समय, और निवास के सिवानों को इसलिये बान्धा है।
Act 17:27 कि वे परमेश्वर को ढूंढ़ें, कदाचित उसे टटोलकर पा जाएं तौभी वह हम में से किसी से दूर नहीं!
Act 17:28 क्योंकि हम उसी में जीवित रहते, और चलते-फिरते, और स्थिर रहते हैं; जैसे तुम्हारे कितने कवियों ने भी कहा है, कि हम तो उसी के वंश भी हैं।
Act 17:29 सो परमेश्वर का वंश होकर हमें यह समझना उचित नहीं, कि ईश्वरत्व, सोने या रूपे या पत्थर के समान है, जो मनुष्य की कारीगरी और कल्पना से गढ़े गए हों।
Act 17:30 इसलिये परमेश्वर आज्ञानता के समयों में अनाकानी करके, अब हर जगह सब मनुष्यों को मन फिराने की आज्ञा देता है।
Act 17:31 क्योंकि उस ने एक दिन ठहराया है, जिस में वह उस मनुष्य के द्वारा धर्म से जगत का न्याय करेगा, जिसे उस ने ठहराया है और उसे मरे हुओं में से जिलाकर, यह बात सब पर प्रामाणित कर दी है।
एक साल में बाइबल:
- भजन ४-६
- प्रेरितों १७:१६-३४