मैं कॉलेज में पढ़ाता हूँ, और जब अपने विषय
की कक्षा के नए छात्रों से पहली बार मिलता हूँ तो उन्हें उनके नाम से संबोधित करके
उनका स्वागत करता हूँ। कॉलेज के नए सत्र के आरंभ होने से पहले, मैं मेरे विषय की
कक्षा में आने छात्रों की सूची प्राप्त कर लेता हूँ, और साथ ही उनकी फोटो और नाम
भी। इसलिए जब वे कक्षा में आते हैं तो मैं कक्षा में स्वागत करने के लिए उन्हें
उनका नाम लेकर बुलाता हूँ। मैं ऐसा इसलिए करता हूँ क्योंकि मुझे यह पता है कि यदि किसी
को उसके नाम से बुलाया जाए तो यह कितना सार्थक होता है।
परन्तु फिर भी किसी को वास्तव में भली-भांति
जानने के लिए हमें उसके बारे में उसके नाम से अधिक की जानकारी चाहिए होती है।
परमेश्वर के वचन बाइबल में यूहन्ना 10 अध्याय में हम पढ़ते हैं कि हमारा अच्छा चरवाहा
प्रभु यीशु हमें नाम लेकर बुलाता है (पद 3); यह कैसे सौहार्द और निकटता तथा प्रेम
का सूचक है। परन्तु वह केवल हमारा नाम ही नहीं जानता है, अपितु उसे हमारे विचार,
इच्छाएं, भय, गलतियाँ, और हमारी सबसे गहरी आवश्यकताएँ, सभी पता हैं। क्योंकि वह
हमारी सभी आवश्यकताओं को भली भांति जानता है, इसलिए उसने हमें अपना जीवन – अनन्त जीवन,
दिया है; उसने हमारे पापमय नश्वर जीवन की कीमत अपने प्राणों से चुकाई (पद 11) और
हमारे लिए अपने अनन्त जीवन को उपलब्ध करवा दिया।
हमारे पापों ने हमें परमेश्वर से दूर कर रखा
था, इसलिए उस भले चरवाहे प्रभु यीशु ने हमारे पापों को अपने ऊपर लेकर उनका दण्ड सह
लिया, अपना जीवन हमारे लिए बलिदान कर दिया। अपने मारे जाने, गाड़े जाने, और तीसरे
दिन मृतकों में से जी उठने के द्वारा उसने हमारे लिए पापों से छुटकारा उपलब्ध करवा
दिया है; अब हमें उन पापों का दण्ड चुकाने की आवश्यकता नहीं है, हमें केवल विश्वास
के द्वारा प्रभु यीशु के कलवारी के क्रूस पर किए गए कार्य को ग्रहण करके, उससे
पापों की क्षमा माँग कर, अपने जीवन उसे समर्पित कर देने हैं। जब हम ऐसा करते हैं,
उससे अपने लिए उद्धार को स्वीकार कर लेते हैं, और फिर हमारे तथा परमेश्वर के बीच
की दूरी समाप्त हो जाते है, हम परमेश्वर की सन्तान, उसके घराने के लोग हो जाते हैं
(यूहन्ना 1:12-13)।
प्रभु यीशु का धन्यवाद कीजिए; वह आपको तथा
आपकी सभी आवश्यकताओं को जानता है, और उनके लिए जो भी आवश्यक है, आपके लिए उसने उन
सब का प्रावधान किया हुआ है। - डेव ब्रैनन
हमारे
विषय परमेश्वर के ज्ञान की कोई सीमा नहीं है।
परन्तु
जितनों ने उसे ग्रहण किया,
उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। - यूहन्ना 1:12-13
बाइबल
पाठ: यूहन्ना 10:1-11
John 10:1 मैं तुम से सच सच कहता हूं, कि जो कोई द्वार से
भेड़शाला में प्रवेश नहीं करता, परन्तु और किसी ओर से चढ़
जाता है, वह चोर और डाकू है।
John 10:2 परन्तु जो द्वार से भीतर प्रवेश करता है वह भेड़ों का चरवाहा है।
John 10:3 उसके लिये द्वारपाल द्वार खोल देता है, और
भेंड़ें उसका शब्द सुनती हैं, और वह अपनी भेड़ों को नाम ले
ले कर बुलाता है और बाहर ले जाता है।
John 10:4 और जब वह अपनी सब भेड़ों को बाहर निकाल चुकता है, तो उन के आगे आगे चलता है, और भेड़ें उसके पीछे पीछे
हो लेती हैं; क्योंकि वे उसका शब्द पहचानती हैं।
John 10:5 परन्तु वे पराये के पीछे नहीं जाएंगी, परन्तु
उस से भागेंगी, क्योंकि वे परायों का शब्द नहीं पहचानती।
John 10:6 यीशु ने उन से यह दृष्टान्त कहा, परन्तु वे न
समझे कि ये क्या बातें हैं जो वह हम से कहता है।
John 10:7 तब यीशु ने उन से फिर कहा, मैं तुम से सच सच
कहता हूं, कि भेड़ों का द्वार मैं हूं।
John 10:8 जितने मुझ से पहिले आए; वे सब चोर और डाकू हैं
परन्तु भेड़ों ने उन की न सुनी।
John 10:9 द्वार मैं हूं: यदि कोई मेरे द्वारा भीतर प्रवेश करे तो उद्धार पाएगा
और भीतर बाहर आया जाया करेगा और चारा पाएगा।
John 10:10 चोर किसी और काम के लिये नहीं परन्तु केवल चोरी करने और घात करने और
नष्ट करने को आता है। मैं इसलिये आया कि वे जीवन पाएं, और
बहुतायत से पाएं।
John 10:11 अच्छा चरवाहा मैं हूं; अच्छा चरवाहा भेड़ों के
लिये अपना प्राण देता है।
एक साल में
बाइबल:
- अय्यूब 17-19
- प्रेरितों 10:1-23