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सोमवार, 10 फ़रवरी 2014

दोषपूर्ण और सिद्ध


   एक जाने-पहचाने कलाकार ने एक बार टिप्पणी करी कि उसे चल-चित्रों में दोषपूर्ण चरित्र वाले किरदार निभाना अधिक पसन्द है क्योंकि दर्षक सिद्ध की बजाए दोषपूर्ण चरित्रों के साथ अपने आप को बेहतर जोड़ पाते हैं। हम में से अधिकांश इस बात से सहमत होंगे कि सिद्ध लोगों की बजाए हमें अपूर्ण लोगों को समझना अधिक सरल होता है क्योंकि हम जानते हैं कि हम भी अपूर्ण हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में परमेश्वर ने ऐसे लोगों की कहानियाँ रखवाईं हैं जो ऐसे ही अपूर्ण थे - कोई धोखेबाज़, कोई कमज़ोर, कोई अविश्वासयोग्य तो कोई क्रोधी आदि। याकूब को ही लीजिए, अपने बड़े भाई की आशीषें हथियाने के लिए उसने बुढापे से लगभग अन्धे हो चले अपने पिता से झूठ बोला और अपने पिता तथा बड़े भाई दोनो को धोखा दिया (उत्पत्ति 27:1-29)। फिर गिदौन के बारे में विचार कीजिए जो डरपोक था, लेकिन फिर भी परमेश्वर ने उसे चुना और इस्त्राएलियों के छुटकारे के लिए उसे इस्त्राएलियों का नेतृत्व करने का बीड़ा दिया; गिदौन को विश्वास नहीं हुआ और उसने दो बार परमेश्वर से उसके इस चुनाव और ज़िम्मेदारी दिए जाने की पुष्टि माँगी (न्यायियों 6:39)। और पतरस के विषय में तो हम जानते ही हैं कि वह कैसा बड़बोला था, और कैसे प्रभु से अपनी विश्वासयोग्यता के दावे करने के बाद उसने तीन बार प्रभु यीशु का इन्कार किया (मरकुस 14:66-72)।

   लेकिन इन सब पात्रों की कहानियाँ उनकी इन कमज़ोरियों और अयोग्यता के वर्णनों के साथ ही समाप्त नहीं हो जातीं। बाइबल हमें यह भी दिखाती है कि अपनी इन अपूर्णताओं और दोषों के बावजूद ये सब, और इनके जैसे अनेक अन्य लोग, परमेश्वर के लिए सामर्थी और उपयोगी हुए, परमेश्वर के लिए बड़े बड़े काम किए और अब इन सब के नाम बड़े आदर के साथ परमेश्वर के वचन में सदा सदा के लिए दर्ज हैं। वे लोग ऐसा तब कर पाए जब उन्होंने अपनी अयोग्यताओं की ओर नहीं वरन उन्हें सामर्थ देकर परिपूर्ण बनाने वाले परमेश्वर की ओर देखा और उसपर तथा उसकी योजनाओं और विधियों पर विश्वास किया।

   जैसे वे सब थे, जिन्हें आज हम विश्वास के योद्धा कहते हैं, वैसे ही आज हमारे जीवनों में भी दोष और कमज़ोरियाँ हैं। लेकिन वही परमेश्वर जिसने उनको सामर्थी और पराक्रमी बना दिया था, आज हमें भी वैसे ही अपनी महिमा के लिए उपयोग कर सकते है, यदि हम उसमें अपने विश्वास को दृढ़ करें, उसके आज्ञाकारी बनें और उसके दिखाए मार्ग पर चलते रहें; क्योंकि जैसे प्रेरित पौलुस ने अपने जीवन के अनुभव से लिखा, "और उसने मुझ से कहा, मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ निर्बलता में सिद्ध होती है; इसलिये मैं बड़े आनन्द से अपनी निर्बलताओं पर घमण्‍ड करूंगा, कि मसीह की सामर्थ मुझ पर छाया करती रहे" (2 कुरिन्थियों 12:9)। अपनी अविश्वासयोग्यता पर नहीं वरन परमेश्वर की विश्वासयोग्यता पर भरोसा बनाए रखिए। - सिंडी हैस कैसपर


हमारा अपनी कमज़ोरियों को जानना भला है यदि वे हमें परमेश्वर की सामर्थ पर विश्वास करने की ओर ले जाती हैं।

वह थके हुए को बल देता है और शक्तिहीन को बहुत सामर्थ देता है। - यशायाह 40:29

बाइबल पाठ: इब्रानियों 11:32-40
Hebrews 11:32 अब और क्या कहूँ क्योंकि समय नहीं रहा, कि गिदोन का, और बाराक और समसून का, और यिफतह का, और दाऊद का और शामुएल का, और भविष्यद्वक्ताओं का वर्णन करूं। 
Hebrews 11:33 इन्‍होंने विश्वास ही के द्वारा राज्य जीते; धर्म के काम किए; प्रतिज्ञा की हुई वस्तुएं प्राप्त की, सिंहों के मुंह बन्‍द किए। 
Hebrews 11:34 आग की ज्‍वाला को ठंडा किया; तलवार की धार से बच निकले, निर्बलता में बलवन्‍त हुए; लड़ाई में वीर निकले; विदेशियों की फौजों को मार भगाया। 
Hebrews 11:35 स्‍त्रियों ने अपने मरे हुओं को फिर जीवते पाया; कितने तो मार खाते खाते मर गए; और छुटकारा न चाहा; इसलिये कि उत्तम पुनरुत्थान के भागी हों। 
Hebrews 11:36 कई एक ठट्ठों में उड़ाए जाने; और कोड़े खाने; वरन बान्‍धे जाने; और कैद में पड़ने के द्वारा परखे गए। 
Hebrews 11:37 पत्थरवाह किए गए; आरे से चीरे गए; उन की परीक्षा की गई; तलवार से मारे गए; वे कंगाली में और क्‍लेश में और दुख भोगते हुए भेड़ों और बकिरयों की खालें ओढ़े हुए, इधर उधर मारे मारे फिरे। 
Hebrews 11:38 और जंगलों, और पहाड़ों, और गुफाओं में, और पृथ्वी की दरारों में भटकते फिरे। 
Hebrews 11:39 संसार उन के योग्य न था: और विश्वास ही के द्वारा इन सब के विषय में अच्छी गवाही दी गई, तौभी उन्हें प्रतिज्ञा की हुई वस्तु न मिली। 
Hebrews 11:40 क्योंकि परमेश्वर ने हमारे लिये पहिले से एक उत्तम बात ठहराई, कि वे हमारे बिना सिद्धता को न पहुंचे।

एक साल में बाइबल: 

  • गिनती 18-20