जब चारागाहें बर्फ से ढक जाती हैं तब पशु-पालकों को पशुओं के लिए चारा और भूसा अपने हाथों से डालना पड़ता है। जब चारा और भूसा मैदान में डाला जा रहा होता है, तब ताकतवर और कद्दावर जानवर अपने बल के द्वारा आगे आकर पहले खाने लगते हैं और कमज़ोर तथा अस्वस्थ जानवरों को खाने के लिए कुछ नहीं मिलता जब तक कि पशु-पालक स्वयं कुछ यत्न करके उन्हें भोजन उपलब्ध ना करवा दें।
शरणार्थी शिविरों और ज़रूरतमन्दों के मध्य भोजन बाँटने के भंडारे में कार्य करने वाले भी इसी समस्या का सामना करते हैं; जब भोजन वितरण आरंभ होता है तब बलवान आगे आकर भोजन छीन-झपट लेते हैं और कमज़ोर तथा अस्वस्थ बिना भोजन के रह जाते हैं जब तक कि भंडारे का आयोजन करने वाले कुछ विशेष प्रबंध करके उन कमज़ोरों और अस्वस्थ लोगों को भोजन उपलब्ध ना करवाएं। यह समाज का प्रचलन है कि गरीबों, कमज़ोरों और लाचारों तक अकसर सही सहायता नहीं पहुँचती, जब तक की किसी विशेष प्रबंध के द्वारा उन्हें वह ना पहुँचाई जाए।
किनारा किए गए लोगों तक विशेष प्रबंध द्वारा सहायता पहुँचाना परमेश्वर द्वारा स्थापित सिद्धांत का पालन करना है। परमेश्वर ने अपने वचन बाइबल में अपनी प्रजा इस्त्राएल के लोगों को निर्देश दिए कि वे अपने खेतों और दाख की बारियों से फसल जमा करते समय कुछ कुछ वहीं छोड़ दिया करें जिससे गरीबों और परदेशियों के पास भोजन के लिए कुछ हो (लैव्यवस्था 19:9-10)।
आज हम मसीही विश्वासी भी परमेश्वर द्वारा हमें दिए गए गुणों और संसाधनों के सही उपयोग के द्वारा कमज़ोर, थके-मांदे और लाचारों के सहायक बन सकते हैं; शिक्षक भीरु, शर्मीले और दब्बू छात्रों को प्रोत्साहित करके, उनकी सहायता करके उन्हें बेहतर बना सकते हैं; मज़दूर अपने किसी कमज़ोर सह-कर्मी के काम में हाथ बंटा सकते हैं; कैदी नए कैदियों को समझाने और उन्हें शान्त करने में सहायता कर सकते हैं; अभिभावक अपने बच्चों को उभारने और संवारने में सहायक हो सकते हैं - यदि इच्छा हो तो सहायक होने के अवसरों की कमी नहीं है, सहायक बन कर हम परमेश्वर का आदर करते हैं, उसे महिमा देते हैं।
जैसे परमेश्वर ने हमारी कमज़ोरी की दशा में हम पर अनुकंपा और अनुग्रह किया, हमारा सहायक बना, हमें उठा कर खड़ा किया, वैसे ही आज हम परमेश्वर के इसी गुण और वरदान को दूसरों तक पहुँचा कर परमेश्वर के प्रेम को उनके साथ बांट सकते हैं, उन्हें जगत के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के निकट आने और उसे समझने का अवसर प्रदान कर सकते हैं। - रैंडी किलगोर
दूसरों की सेवा करके हम परमेश्वर की सेवा करते हैं।
हर एक अपनी ही हित की नहीं, वरन दूसरों की हित की भी चिन्ता करे। जैसा मसीह यीशु का स्वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्वभाव हो। - फिलिप्पियों 2:4-5
बाइबल पाठ: लैव्यवस्था 19:9-15
Leviticus 19:9 फिर जब तुम अपने देश के खेत काटो तब अपने खेत के कोने कोने तक पूरा न काटना, और काटे हुए खेत की गिरी पड़ी बालों को न चुनना।
Leviticus 19:10 और अपनी दाख की बारी का दाना दाना न तोड़ लेना, और अपनी दाख की बारी के झड़े हुए अंगूरों को न बटोरना; उन्हें दीन और परदेशी लोगों के लिये छोड़ देना; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं।
Leviticus 19:11 तुम चोरी न करना, और एक दूसरे से न तो कपट करना, और न झूठ बोलना।
Leviticus 19:12 तुम मेरे नाम की झूठी शपथ खाके अपने परमेश्वर का नाम अपवित्र न ठहराना; मैं यहोवा हूं।
Leviticus 19:13 एक दूसरे पर अन्धेर न करना, और न एक दूसरे को लूट लेना। और मजदूर की मजदूरी तेरे पास सारी रात बिहान तक न रहने पाए।
Leviticus 19:14 बहिरे को शाप न देना, और न अन्धे के आगे ठोकर रखना; और अपने परमेश्वर का भय मानना; मैं यहोवा हूं।
Leviticus 19:15 न्याय में कुटिलता न करना; और न तो कंगाल का पक्ष करना और न बड़े मनुष्यों का मुंह देखा विचार करना; उस दूसरे का न्याय धर्म से करना।
एक साल में बाइबल:
- विलापगीत 3-5
- इब्रानियों 10:19-39