उस कमरे में उसकी उपस्थिति प्रकट थी; उसके अलावा वहाँ उपस्थित सभी जन सभा की औपचारिकता के अनुकूल वस्त्र पहने हुए थे, केवल वही जीन्स, टी-शर्ट और पुरानी सी बेसबॉल टोपी पहने हुए था। उस दिन रोमानिया के ब्युकारेस्ट शहर में स्थित बाइबल कॉलेज के छात्रों को संबोधित करते हुए मेरा ध्यान अनायास ही उस पर जा रहा था। मुझे बिलकुल पता नहीं है कि उस ने सब के समान औपचारिक वेश-भूषा क्यों नहीं पहनी थी, लेकिन मुझे उसका नाम आज भी स्मरण है। सभा के अन्त में जब सब लोगों के समान वह भी मुझ से मिलने आया तो मैंने उससे उसका नाम पूछा, और उसने बताया - इम्मैनुएल! मैं उसके उत्तर से थोड़ा चकित हुआ, और उससे पूछा, "क्या तुम्हें अपने नाम का अर्थ पता है?" उसने निःसंकोच उत्तर दिया, "जी हाँ, परमेश्वर हमारे साथ!"
मैंने कई बार उस जवान के बारे में सोचा है, और कैसे वह भीड़ में भी अन्य सब से अलग दिखाई दे रहा था, जैसे कि वह जिसके नाम पर उसका नाम रखा गया था - प्रभु यीशु मसीह। प्रभु यीशु परमेश्वर की उपस्थिति को हम मनुष्यों के बीच में निवास करवाने के लिए आए थे, जैसा कि स्वर्गदूत ने यूसुफ को याद दिलाया, "कि, देखो एक कुंवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी और उसका नाम इम्मैनुएल रखा जाएगा जिस का अर्थ यह है ’परमेश्वर हमारे साथ’ " (मत्ती 1:23)। उसी प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कहा, "यीशु ने फिर उन से कहा, तुम्हें शान्ति मिले; जैसे पिता ने मुझे भेजा है, वैसे ही मैं भी तुम्हें भेजता हूं" (यूहन्ना 20:21), जिससे कि हम उसकी उपस्थिति का उपहार अपने आस-पास वालों को भी दे सकें।
हम अपने जीवनों के द्वारा परमेश्वर की उपस्थिति के उपहार को दूसरों तक पहुँचा सकते हैं, यदि हमारे जीवन हमारे अन्दर और हमारे साथ रहने वाले इम्मैनुएल को प्रदर्शित करें। ऐसे में स्वतः ही हम अन्य लोगों से भिन्न दिखेंगे, लोगों का ध्यान उस प्रभु की ओर खेंचेंगे जिसने हमारे जीवनों में यह बड़ा काम किया, और प्रभु यीशु की उपस्थिति उनके जीवनों को भी बदल देगी, उसके प्रेम और अनुग्रह से परिपूर्ण करके उन्हें भी अनन्त स्वर्गीय जीवन और आनन्द का भागी बना देगी। - जो स्टोवैल
परमेश्वर की आपके जीवन में उपस्थिति का प्रदर्शन, आपके द्वारा उपहारस्वरूप इम्मैनुएल को दूसरों को उपलब्ध करवाना है।
इसलिये तुम जा कर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रआत्मा के नाम से बपतिस्मा दो। और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे संग हूं। - मत्ती 28:19-20
बाइबल पाठ: मत्ती 1:18-25
Matthew 1:18 अब यीशु मसीह का जन्म इस प्रकार से हुआ, कि जब उस की माता मरियम की मंगनी यूसुफ के साथ हो गई, तो उन के इकट्ठे होने के पहिले से वह पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती पाई गई।
Matthew 1:19 सो उसके पति यूसुफ ने जो धर्मी था और उसे बदनाम करना नहीं चाहता था, उसे चुपके से त्याग देने की मनसा की।
Matthew 1:20 जब वह इन बातों के सोच ही में था तो प्रभु का स्वर्गदूत उसे स्वप्न में दिखाई देकर कहने लगा; हे यूसुफ दाऊद की सन्तान, तू अपनी पत्नी मरियम को अपने यहां ले आने से मत डर; क्योंकि जो उसके गर्भ में है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है।
Matthew 1:21 वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना; क्योंकि वह अपने लोगों का उन के पापों से उद्धार करेगा।
Matthew 1:22 यह सब कुछ इसलिये हुआ कि जो वचन प्रभु ने भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा था; वह पूरा हो।
Matthew 1:23 कि, देखो एक कुंवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी और उसका नाम इम्मैनुएल रखा जाएगा जिस का अर्थ यह है “ परमेश्वर हमारे साथ”।
Matthew 1:24 सो यूसुफ नींद से जागकर प्रभु के दूत की आज्ञा अनुसार अपनी पत्नी को अपने यहां ले आया।
Matthew 1:25 और जब तक वह पुत्र न जनी तब तक वह उसके पास न गया: और उसने उसका नाम यीशु रखा।
एक साल में बाइबल:
- नहूम 1-3
- प्रकाशितवाक्य 14