हम अकसर अपने मित्रों एवं सहकर्मियों से कुछ ना कुछ प्रशंसा या पुरुस्कार की आशा रखते हैं - पीठ पर शाबाशी की थपथपाहट, प्रशंसा के कुछ शब्द या ताली बजाना, कोई मेडल मिलना, इत्यादि। लेकिन प्रभु यीशु के अनुसार इनसे कहीं अधिक महत्वपूर्ण और बहुमूल्य पुरुस्कार हम मसीही विश्वासियों के लिए, इस पार्थिव जीवन के उपरांत स्वर्ग में प्रतीक्षा कर रहे हैं। यह संभव है कि सबसे महत्वपूर्ण मानवीय कार्य गुप्त में किए जाएं और सिवाय परमेश्वर के उनके बारे में कोई भी ना जानता हो; क्योंकि हमारी वास्तविकता का आँकलन परमेश्वर से है, इसलिए हमारे वास्तविक पुरुस्कार भी परमेश्वर से ही हैं। संक्षेप में, प्रभु यीशु तथा परमेश्वर के वचन बाइबल का हम मसीही विश्वासियों के लिए सन्देश यह है कि हमें किसी मनुष्य के लिए नहीं वरन परमेश्वर के लिए जीना चाहिए (कुलुस्सियों 3:23-24)।
प्रभु यीशु ने अपने चेलों को इसके बारे में समझाया कि पृथ्वी के अपने जीवन और कार्यों के द्वारा वे पृथ्वी के बाद के अपने जीवन के लिए "स्वर्ग में धन" एकत्रित कर रहे हैं (मत्ती 6:20), एक ऐसा बड़ा खज़ाना जो इस पृथ्वी पर होने वाले उनके किसी भी दुख-तकलीफ की बहुतायत से भरपाई कर देगा। परमेश्वर के वचन बाइबल के पुराने नियम खण्ड में उस आने वाले जीवन के बारे में कुछ संकेत मिलते हैं, लेकिन प्रभु यीशु ने इसके बारे में बहुत स्पष्ट शिक्षा दी है; वह जीवन एक ऐसे स्थान पर होगा जहाँ "...धर्मी अपने पिता के राज्य में सूर्य की नाईं चमकेंगे..." (मत्ती 13:43)।
प्रभु यीशु के पृथ्वी के जीवन काल के समय के यहूदी लोग इस पार्थिव जीवन में ही, अपनी व्यक्तिगत सुख-समृद्धि एवं राजनैतिक सामर्थ को अपने प्रति परमेश्वर के समर्थन का चिन्ह मानते थे। लेकिन प्रभु यीशु ने अपनी इस शिक्षा के साथ उनका ध्यान इस पृथ्वी के जीवन की बजाए पृथ्वी के बाद के जीवन की ओर केंद्रित किया (मत्ती 6) तथा प्रयास किया कि वे इस पृथ्वी की सफलताओं को गौण परन्तु आने वाले जीवन के लिए सफल होने को महत्वपूर्ण माने, उस आने वाले जीवन में ही निवेश करें। प्रभु यीशु ने चिताया, इस संसार के जीवन की सफलताओं के मानकों को तो ज़ंग लग सकता है, कोई कीड़ा उन्हें खराब कर सकता है, चोर उन्हें चुरा सकता है (मत्ती 6:20), परन्तु स्वर्ग में एकत्रित धन के क्षय होने का कोई खतरा नहीं है, वह अनन्त काल के लिए हमारे नाम पर रखा हुआ है, और हमारे लिए उपलब्ध रहेगा।
आज मेरा और आपका ध्यान किस पर है, हम किस के लिए कार्य कर रहे हैं - पार्थिव एवं नाश्मान समृद्धि, या फिर परमेश्वर तथा अनन्त काल की आशीष? - फिलिप यैन्सी
अनन्त काल के पुरुस्कार पृथ्वी पर मिलने वाली मान्यता पर निर्भर नहीं हैं।
और जो कुछ तुम करते हो, तन मन से करो, यह समझ कर कि मनुष्यों के लिये नहीं परन्तु प्रभु के लिये करते हो। क्योंकि तुम जानते हो कि तुम्हें इस के बदले प्रभु से मीरास मिलेगी: तुम प्रभु मसीह की सेवा करते हो। - कुलुस्सियों 3:23-24
बाइबल पाठ: मत्ती 6:1-4, 19-21
Matthew 6:1 सावधान रहो! तुम मनुष्यों को दिखाने के लिये अपने धर्म के काम न करो, नहीं तो अपने स्वर्गीय पिता से कुछ भी फल न पाओगे।
Matthew 6:2 इसलिये जब तू दान करे, तो अपने आगे तुरही न बजवा, जैसा कपटी, सभाओं और गलियों में करते हैं, ताकि लोग उन की बड़ाई करें, मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना फल पा चुके।
Matthew 6:3 परन्तु जब तू दान करे, तो जो तेरा दाहिना हाथ करता है, उसे तेरा बांया हाथ न जानने पाए।
Matthew 6:4 ताकि तेरा दान गुप्त रहे; और तब तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।
Matthew 6:19 अपने लिये पृथ्वी पर धन इकट्ठा न करो; जहां कीड़ा और काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर सेंध लगाते और चुराते हैं।
Matthew 6:20 परन्तु अपने लिये स्वर्ग में धन इकट्ठा करो, जहां न तो कीड़ा, और न काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर न सेंध लगाते और न चुराते हैं।
Matthew 6:21 क्योंकि जहां तेरा धन है वहां तेरा मन भी लगा रहेगा।
एक साल में बाइबल:
- यिर्मयाह 6-8