सभी घर-परिवारों में परिवार से संबंधित कुछ विशिष्ट कहानियाँ होती हैं। हमारे परिवार में भी ऐसी ही एक कहानी है, और यह कहानी मेरे नाम से संबंधित है। मेरे माता-पिता के विवाह के आरंभिक समय में उनमें अपने पहले पुत्र के नाम को लेकर असहमति रहती थी। मेरी माँ चाहती थीं कि पुत्र का वही नाम हो जो पिता का है, परन्तु मेरे पिता इससे सहमत नहीं थे। बहुत चर्चा के बाद उन्होंने एक समझौता किया; उनमें इस बात पर सहमति बनी कि यदि पुत्र हुआ और वह पिताजी के जन्मदिन पर पैदा हुआ तो उसका नाम वही होगा जो पिताजी का है। आशचर्यजनक रूप से, मेरा जन्म अपने पिता के जन्मदिन पर ही हुआ, इसलिए मुझे मेरे पिता का नाम दिया गया, और उसके साथ "जूनियर" लगा दिया गया।
बच्चों को नाम देना तो समय जितना ही प्राचीन है। परमेश्वर के वचन बाइबल में जब प्रभु यीशु के जन्म से पहले यूसुफ अपनी मंगेतर मरियम के गर्भवती होने के समाचार को लेकर परेशान था तो परमेश्वर की ओर से भेजे गए स्वर्गदूत ने उसके असमंजस को दूर किया और आने वाले जगत के उद्धारकर्ता के नाम के बारे में भी निर्देष दिए: "वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना; क्योंकि वह अपने लोगों का उन के पापों से उद्धार करेगा" (मत्ती 1:21)। न केवल उस बालक का नाम यीशु होना था वरन यह नाम उसके संसार में आने के उद्देश्य को भी बताता है - मानव जाति को उसके पाप से बचाने का मार्ग देना। इसीलिए यीशु नाम सब नामों से श्रेष्ठ और सर्वोच्च नाम है।
हमारे हृदय की अभिलाषा यीशु नाम के प्रति समर्पित होकर इस अद्भुत नाम को अपने जीवनों से आदर देते रहने की होनी चाहिए। - बिल क्राउडर जूनियर
यीशु : उसका नाम और उसका उद्देश्य दोनों एक ही हैं।
परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। - यूहन्ना 1:12-13
बाइबल पाठ: मत्ती 1:18-25
Matthew 1:18 अब यीशु मसीह का जन्म इस प्रकार से हुआ, कि जब उस की माता मरियम की मंगनी यूसुफ के साथ हो गई, तो उन के इकट्ठे होने के पहिले से वह पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती पाई गई।
Matthew 1:19 सो उसके पति यूसुफ ने जो धर्मी था और उसे बदनाम करना नहीं चाहता था, उसे चुपके से त्याग देने की मनसा की।
Matthew 1:20 जब वह इन बातों के सोच ही में था तो प्रभु का स्वर्गदूत उसे स्वप्न में दिखाई देकर कहने लगा; हे यूसुफ दाऊद की सन्तान, तू अपनी पत्नी मरियम को अपने यहां ले आने से मत डर; क्योंकि जो उसके गर्भ में है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है।
Matthew 1:21 वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना; क्योंकि वह अपने लोगों का उन के पापों से उद्धार करेगा।
Matthew 1:22 यह सब कुछ इसलिये हुआ कि जो वचन प्रभु ने भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा था; वह पूरा हो।
Matthew 1:23 कि, देखो एक कुंवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी और उसका नाम इम्मानुएल रखा जाएगा जिस का अर्थ यह है “परमेश्वर हमारे साथ”।
Matthew 1:24 सो यूसुफ नींद से जागकर प्रभु के दूत की आज्ञा अनुसार अपनी पत्नी को अपने यहां ले आया।
Matthew 1:25 और जब तक वह पुत्र न जनी तब तक वह उसके पास न गया: और उसने उसका नाम यीशु रखा।
एक साल में बाइबल:
- भजन 16-17
- प्रेरितों 20:1-16