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सोमवार, 8 जून 2015

सृष्टिकर्ता


   मेरे 7 वर्षीय अश्वेत मित्र टोबियस ने मुझ से एक दिन ऐसा प्रश्न पूछा जो कौतहूल जागृत करता है; उसने पूछा, "जबकि हमारे आदि माता-पिता आदम और हव्वा श्वेत रंग के थे तो फिर अश्वेत लोग कहाँ से आए?" मैंने उत्तर दिया, "हम यह नहीं जानते कि आदम और हव्वा किस रंग के थे, क्योंकि परमेश्वर का वचन बाइबल इस बारे में कुछ नहीं कहती; लेकिन तुम ने यह कैसे मान लिया कि वे दोनों श्वेत रंग के थे?" उसने जवाब दिया कि उसने जितनी भी बाइबल संबंधित पुस्तकें देखीं, चाहे चर्च में हों या किसी पुस्तकालय में, जिस भी पुस्तक में आदम और हव्वा का चित्र बना है, उन्हें श्वेत ही दिखाया गया है। उसका यह उत्तर सुनकर मेरा मन विचलित हो गया, कि कहीं टोबियस यह ना समझने लगे कि अपने अश्वेत रंग के कारण वह किसी अन्य से हीन या नीचा है, अथवा यह कि वह परमेश्वर की सृष्टि है ही नहीं!

   संसार के सभी मनुष्य उसी एक परमेश्वर पिता की रचना हैं, और इसलिए चाहे उनका बाहरी रंग-रूप जो भी हो, परमेश्वर के लिए वे सब एक समान स्तर के ही हैं, परमेश्वर सब से एक समान प्रेम करता है और सबको प्रभु यीशु में मिलने वाली पापों की क्षमा तथा उद्धार के साथ अपने पास स्वर्ग में देखना चाहता है। इसीलिए प्रेरित पौलुस ने एथेने के लोगों से कहा: "उसने एक ही मूल से मनुष्यों की सब जातियां सारी पृथ्वी पर रहने के लिये बनाईं हैं; और उन के ठहराए हुए समय, और निवास के सिवानों को इसलिये बान्‍धा है" (प्रेरितों 17:26); हम सब एक ही मूल से हैं।

   डैरेल बॉक ने बाइबल की प्रेरितों के काम नामक पुस्तक की अपनी विवेचना में इस खण्ड के बारे में लिखा, "पौलुस का यह कथन उसके उन एथेनी श्रोताओं के लिए स्वीकार करने को बहुत कठिन रहा होगा, क्योंकि वे एथेनी अपने आप को औरों से बहुत उच्च कोटि का, तथा अन्य सभी जातियों को अपने से निम्न कोटि का मानते थे, उन्हें वहशी कहते थे। लेकिन परमेश्वर का वचन बाइबल हमें यह स्पष्ट सिखाती है कि समस्त मानव जाति एक ही आदि माता-पिता, अर्थात आदम और हव्वा से आई है, और परमेश्वर रंग या जाति के आधार पर कभी मनुष्यों में भेदभाव नहीं करता इसलिए कोई भी व्यक्ति या जाति किसी अन्य से ऊँचा या नीचा कदापि नहीं है।

   हम अपने सृष्टिकर्ता परमेश्वर के सामने श्रद्धा के साथ झुकते हैं, उसका आदर तथा भय मानते हैं; उसने हम सब की सृष्टि करी है, वह हम सब को "जीवन, श्वास और सब कुछ" (पद 25) देता है। हम सब अपने सृष्टिकर्ता की नज़रों में एक समान हैं; तो फिर हम आपस में ऊँच-नीच के भेदभाव क्यों करें? - ऐनी सेटास


परमेश्वर पिता हम सब से ऐसा प्रेम करता है मानों हम में से प्रत्येक एकमात्र है।

परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सताने वालों के लिये प्रार्थना करो। जिस से तुम अपने स्‍वर्गीय पिता की सन्तान ठहरोगे क्योंकि वह भलों और बुरों दोनों पर अपना सूर्य उदय करता है, और धर्मियों और अधर्मियों दोनों पर मेंह बरसाता है। - मत्ती 5:44-45

बाइबल पाठ: प्रेरितों 17:22-31
Acts 17:22 तब पौलुस ने अरियुपगुस के बीच में खड़ा हो कर कहा; हे एथेने के लोगों मैं देखता हूं, कि तुम हर बात में देवताओं के बड़े मानने वाले हो। 
Acts 17:23 क्योंकि मैं फिरते हुए तुम्हारी पूजने की वस्‍तुओं को देख रहा था, तो एक ऐसी वेदी भी पाई, जिस पर लिखा था, कि अनजाने ईश्वर के लिये। सो जिसे तुम बिना जाने पूजते हो, मैं तुम्हें उसका समाचार सुनाता हूं। 
Acts 17:24 जिस परमेश्वर ने पृथ्वी और उस की सब वस्‍तुओं को बनाया, वह स्वर्ग और पृथ्वी का स्‍वामी हो कर हाथ के बनाए हुए मन्‍दिरों में नहीं रहता। 
Acts 17:25 न किसी वस्तु का प्रयोजन रखकर मनुष्यों के हाथों की सेवा लेता है, क्योंकि वह तो आप ही सब को जीवन और स्‍वास और सब कुछ देता है। 
Acts 17:26 उसने एक ही मूल से मनुष्यों की सब जातियां सारी पृथ्वी पर रहने के लिये बनाईं हैं; और उन के ठहराए हुए समय, और निवास के सिवानों को इसलिये बान्‍धा है। 
Acts 17:27 कि वे परमेश्वर को ढूंढ़ें, कदाचित उसे टटोल कर पा जाएं तौभी वह हम में से किसी से दूर नहीं! 
Acts 17:28 क्योंकि हम उसी में जीवित रहते, और चलते-फिरते, और स्थिर रहते हैं; जैसे तुम्हारे कितने कवियों ने भी कहा है, कि हम तो उसी के वंश भी हैं। 
Acts 17:29 सो परमेश्वर का वंश हो कर हमें यह समझना उचित नहीं, कि ईश्वरत्‍व, सोने या रूपे या पत्थर के समान है, जो मनुष्य की कारीगरी और कल्पना से गढ़े गए हों। 
Acts 17:30 इसलिये परमेश्वर आज्ञानता के समयों में अनाकानी कर के, अब हर जगह सब मनुष्यों को मन फिराने की आज्ञा देता है। 
Acts 17:31 क्योंकि उसने एक दिन ठहराया है, जिस में वह उस मनुष्य के द्वारा धर्म से जगत का न्याय करेगा, जिसे उसने ठहराया है और उसे मरे हुओं में से जिलाकर, यह बात सब पर प्रामाणित कर दी है।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 30-31
  • यूहन्ना 18:1-18