ज़रा कलपना करें, आप शहर में प्रवेश के मुख्य मार्ग के किनारे एक बड़ी भीड़ के साथ खड़े हैं। चारों ओर से भीड़ का दबाव है, लोग मार्ग पर आ रहे एक व्यक्ति की एक झलक देखने को आतुर है, जो गधे पर बैठा चला आ रहा है। जैसे जैसे वह निकट आता है लोग अपने वस्त्र उसके सामने मार्ग पर बिछा देते हैं, या पेड़ों से डालियां काटकर अथवा खजुर के पत्तों की टहनियाँ काटकर उसके आगे बिछाते जा रहे हैं। वे बड़े आदर के साथ उसका यरुशालेम में स्वागत कर रहे हैं।
प्रभु यीशु को चाहने वाले लोगों ने, समस्त संसार के पापों के लिए प्रभु के क्रूस पर चढ़ाए जाने से कुछ ही दिन पहले, बड़े उत्साह के साथ यरुशालेम में उसका स्वागत किया था। उसके महान कार्यों और आश्चर्यकर्मों को याद करते हुए वे कह रहे थे "कि धन्य है वह राजा, जो प्रभु के नाम से आता है; स्वर्ग में शान्ति और आकाश मण्डल में महिमा हो" (लूका 19:38)। यह सब देखकर कुछ ऐसे भी थे जो पूछ रहे थे "...यह कौन है?" (मत्ती 21:10)।
आज भी अनेक लोग प्रभु यीशु के बारे में जानने को उत्सुक हैं। लोग आज भी प्रभु यीशु की वासत्वविकता से अनभिज्ञ हैं, उनके मनों में प्रभु यीशु के बारे में अनेक धारणाएं हैं, किंतु सत्य का पता नहीं है; उनके अन्दर उसे जानने का कौतुहल है। यह हम मसीही विश्वासियों का अपने प्रभु के प्रति कर्तव्य है कि हम लोगों को प्रभु यीशु के बारे में बताएं, उसके कार्यों का वर्णन करें। उसके यरुशालेम प्रवेश के समय की भीड़ के समान चाहे हम मार्ग के किनारे यह ना करने पाएं, परन्तु व्यक्तिगत बातचीत में उसके जीवन, उद्देश्य और कार्यों के वर्णन के द्वारा, आपसी प्रेम (यूहन्ना 13:34-35) और दूसरों की सहायता (गलतियों 6:2) और अपने जीवनों के उदाहरणों के द्वारा (कुलुस्सियों 1:10), अपने मसीही विश्वास को जी कर दिखाने के द्वारा हम यह कर सकते हैं, चाहे इसके लिए हमें दुख भी उठाने पड़ें (1 पतरस 4:14-16)।
आज भी लोग जानना चाहते हैं कि प्रभु यीशु मसीह कौन है। मसीही विश्वासी होने के नाते क्या आप लोगों को उसके बारे में बता रहे हैं? - जेनिफर बेन्सन शुल्ट
जब हम परमेश्वर का नाम लेते हैं और उसके पुत्र के समान जीवन जीते हैं, तब हम परमेश्वर को आदर देते हैं।
धन्य है वह राजा, जो प्रभु के नाम से आता है; स्वर्ग में शान्ति और आकाश मण्डल में महिमा हो। - लूका 19:38
बाइबल पाठ: लूका 19:28-40
Luke 19:28 ये बातें कहकर वह यरूशलेम की ओर उन के आगे आगे चला।
Luke 19:29 और जब वह जैतून नाम पहाड़ पर बैतफगे और बैतनियाह के पास पहुंचा, तो उसने अपने चेलों में से दो को यह कहके भेजा।
Luke 19:30 कि साम्हने के गांव में जाओ, और उस में पहुंचते ही एक गदही का बच्चा जिस पर कभी कोई सवार नहीं हुआ, बन्धा हुआ तुम्हें मिलेगा, उसे खोल कर लाओ।
Luke 19:31 और यदि कोई तुम से पूछे, कि क्यों खोलते हो, तो यह कह देना, कि प्रभु को इस का प्रयोजन है।
Luke 19:32 जो भेजे गए थे; उन्होंने जा कर जैसा उसने उन से कहा था, वैसा ही पाया।
Luke 19:33 जब वे गदहे के बच्चे को खोल रहे थे, तो उसके मालिकों ने उन से पूछा; इस बच्चे को क्यों खोलते हो?
Luke 19:34 उन्होंने कहा, प्रभु को इस का प्रयोजन है।
Luke 19:35 वे उसको यीशु के पास ले आए और अपने कपड़े उस बच्चे पर डालकर यीशु को उस पर सवार किया।
Luke 19:36 जब वह जा रहा था, तो वे अपने कपड़े मार्ग में बिछाते जाते थे।
Luke 19:37 और निकट आते हुए जब वह जैतून पहाड़ की ढलान पर पहुंचा, तो चेलों की सारी मण्डली उन सब सामर्थ के कामों के कारण जो उन्होंने देखे थे, आनन्दित हो कर बड़े शब्द से परमेश्वर की स्तुति करने लगी।
Luke 19:38 कि धन्य है वह राजा, जो प्रभु के नाम से आता है; स्वर्ग में शान्ति और आकाश मण्डल में महिमा हो।
Luke 19:39 तब भीड़ में से कितने फरीसी उस से कहने लगे, हे गुरू अपने चेलों को डांट।
Luke 19:40 उसने उत्तर दिया, कि तुम से कहता हूं, यदि ये चुप रहें, तो पत्थर चिल्ला उठेंगे।
एक साल में बाइबल:
- यहोशू 16-18
- लूका 2:1-24