कुछ वर्ष पहले की बात हैं मैं अपने एक मित्र के साथ परमेश्वर के वचन बाइबल से मत्ती 26 अध्याय पढ़ रहा था, जिसमें प्रभु यीशु के क्रूस पर चढ़ाए जाने के लिए पकड़वाए जाने से ठीक पहले की घटनाक्रम लिखा गया है। जब हम पढ़ते पढ़ते उस खण्ड पर आए जिसमें प्रभु यीशु तीन बार अपने चेलों से अपने लिए प्रार्थना करने को कहता है, और हर बार उन्हें प्रार्थना करते नहीं वरन सोते हुए पाता है, तो क्रोधावेश में होकर वह मित्र बोला, "यदि तब प्रभु यीशु के साथ मैं होता तो कभी नहीं सोता, मैं प्रभु का पूरा-पूरा साथ देता। कोई कैसे सो सकता है जबकि बारंबार प्रभु उन से कह रहा है कि वह बहुत व्याकुल है? प्रभु तो उनसे निवेदन कर रहा था।"
यह जानते और समझते हुए कि हमारे परिवारजन हमारे कार्य करते रहने की व्यस्तता और लंबी दिनचर्या को लेकर कैसे संघर्ष करते हैं, मैंने अपने उस मित्र से कहा, "ऐसा कितनी बार हुआ है कि हमारे बच्चे स्कूल के किसी कार्यक्रम में, वहाँ बैठे अन्य अभिभावकों के मध्य हमें ढूँढ़ रहे होते हैं लेकिन हम वहाँ उनके लिए, उनके साथ नहीं होते? क्या हमारे बच्चों को कभी कभी अकेले ही परिस्थितियों का सामना नहीं करना पड़ता? हमारे परिवार और मित्रजनों को अनेक बार हमारी ओर से मिलने वाले व्यक्तिगत ध्यान और परवाह की आवश्यकता होती है; जैसे प्रभु यीशु की अपने चेलों से, वैसे ही हमारे परिवार और मित्रजनों की हम से उनका साथ निभाने की आशा रहती है, परन्तु जैसे प्रभु को अपने चेलों से वैसे ही उन्हें भी हम से निराशा ही मिलती है।"
जीवन की माँगों और हम से जुड़ी लोगों की आशाओं के बीच तालमेल बैठा कर दोनों को निभाते रहना कोई सरल कार्य नहीं है, परन्तु ऐसा ना करना भावनाओं के साथ विश्वासघात भी है। उन चेलों द्वारा प्रभु यीशु को उस रात निराश करने की बात हमें उकसाती है कि हम आज अपने जीवनों में झाँक कर देखें कि हम अपने प्रभु और अपने प्रीय जनों को कितनी बार और कैसे-कैसे निराश करते रहते हैं; और फिर प्रभु यीशु से सहायता माँगें कि वह हमारा मार्गदर्शन करे कि हम वह प्रेम व्यवहार प्रदर्शित कर सकें जो हमें करना चाहिए। - रैन्डी किल्गोर
दूसरों की आवश्यकता के प्रति हमारी संवेदनशीलता, प्रभु यीशु के प्रति हमारे प्रेम का एक माप है।
इसलिये जागते रहो और हर समय प्रार्थना करते रहो कि तुम इन सब आने वाली घटनाओं से बचने, और मनुष्य के पुत्र के साम्हने खड़े होने के योग्य बनो। - लूका 21:36
बाइबल पाठ: मत्ती 26:36-46
Matthew 26:36 तब यीशु ने अपने चेलों के साथ गतसमनी नाम एक स्थान में आया और अपने चेलों से कहने लगा कि यहीं बैठे रहना, जब तक कि मैं वहां जा कर प्रार्थना करूं।
Matthew 26:37 और वह पतरस और जब्दी के दोनों पुत्रों को साथ ले गया, और उदास और व्याकुल होने लगा।
Matthew 26:38 तब उसने उन से कहा; मेरा जी बहुत उदास है, यहां तक कि मेरे प्राण निकला चाहते: तुम यहीं ठहरो, और मेरे साथ जागते रहो।
Matthew 26:39 फिर वह थोड़ा और आगे बढ़कर मुंह के बल गिरा, और यह प्रार्थना करने लगा, कि हे मेरे पिता, यदि हो सके, तो यह कटोरा मुझ से टल जाए; तौभी जैसा मैं चाहता हूं वैसा नहीं, परन्तु जैसा तू चाहता है वैसा ही हो।
Matthew 26:40 फिर चेलों के पास आकर उन्हें सोते पाया, और पतरस से कहा; क्या तुम मेरे साथ एक घड़ी भी न जाग सके?
Matthew 26:41 जागते रहो, और प्रार्थना करते रहो, कि तुम परीक्षा में न पड़ो: आत्मा तो तैयार है, परन्तु शरीर दुर्बल है।
Matthew 26:42 फिर उसने दूसरी बार जा कर यह प्रार्थना की; कि हे मेरे पिता, यदि यह मेरे पीए बिना नहीं हट सकता तो तेरी इच्छा पूरी हो।
Matthew 26:43 तब उसने आकर उन्हें फिर सोते पाया, क्योंकि उन की आंखें नींद से भरी थीं।
Matthew 26:44 और उन्हें छोड़कर फिर चला गया, और वही बात फिर कहकर, तीसरी बार प्रार्थना की।
Matthew 26:45 तब उसने चेलों के पास आकर उन से कहा; अब सोते रहो, और विश्राम करो: देखो, घड़ी आ पहुंची है, और मनुष्य का पुत्र पापियों के हाथ पकड़वाया जाता है।
Matthew 26:46 उठो, चलें; देखो, मेरा पकड़वाने वाला निकट आ पहुंचा है।
एक साल में बाइबल:
- 2 तिमुथियुस 1-4