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गुरुवार, 3 अक्टूबर 2013

स्वर्गीय चँगाई

   थॉमस मूर (1779-1852) आयरलैंड के रहने वाले एक मसीही विश्वासी, गीत लेखक, गायक और कवि थे। उन्हें गाते हुए सुनने से या उनके गीतों को गाने से उनकी यह प्रतिभाएं अनेकों लोगों के लिए बहुत आनन्द और शान्ति का कारण रहीं। किंतु थॉमस मूर का व्यक्तिगत जीवन बार बार आने वाले दुखों से भरा था, जिसमें उनके जीते जी ही उनके पाँचों बच्चों की मृत्यु हो जाना भी सम्मिलित है। मूर द्वारा सहे गए इन भिन्न दुखों को स्मरण रखते हुए उनके द्वारा लिखे एक गीत की पंक्तियों से परमेश्वर प्रभु यीशु में उनके विश्वास की दृढ़ता का पता चलता है तथा ये पंकतियाँ और भी मार्मिक हो जाती हैं: "यहाँ अपने घायल मनों को लाएं, अपनी व्यथा को बताएं; पृथ्वी के पास ऐसा कोई दुख नहीं है, स्वर्ग के पास जिसका समाधान नहीं है।" उनका यह हृदय स्पर्शी छंद हमें स्मरण दिलाता है कि प्रार्थना में परमेश्वर के साथ मिलना हमारे घायल मनों को स्वस्थ करता है।

   प्रेरित पौलुस ने भी दुखी लोगों को परमेश्वर से मिलने वाली सांत्वना और सामर्थ का उल्लेख करते हुए कुरिन्थुस की मण्डली को लिखा: "हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर, और पिता का धन्यवाद हो, जो दया का पिता, और सब प्रकार की शान्‍ति का परमेश्वर है। वह हमारे सब क्‍लेशों में शान्‍ति देता है; ताकि हम उस शान्‍ति के कारण जो परमेश्वर हमें देता है, उन्हें भी शान्‍ति दे सकें, जो किसी प्रकार के क्‍लेश में हों।" (2 कुरिन्थियों 1:3-4)। कभी कभी हम अपने दुखों में अपने आप को इतना समेट लेते हैं कि हमें सच्ची और स्थाई शान्ति देने वाले परमेश्वर से अपने आप को दूर कर लेते हैं। ऐसे में हमें परमेश्वर से मिलने वाली शान्ति और सांत्वना को स्मरण करके प्रार्थना में पुनः उसके साथ अपने संबंध को ठीक कर लेना चाहिए।

   जैसे जैसे हम अपने परमेश्वर पिता के सामने अपने दिल खोल कर सच्चे, आज्ञाकारी और समर्पित मन के साथ उससे अपने दुखों का बयान करते जाएंगे, उससे शान्ति, सामर्थ और समाधान हमें प्राप्त होता जाएगा और हमारे घायल मन उसकी स्वर्गीय चँगाई को अनुभव करने लग जाएंगे। वास्तव में "पृथ्वी के पास ऐसा कोई दुख नहीं है, स्वर्ग के पास जिसका समाधान नहीं है"। - डेनिस फिशर


प्रार्थना ही वह भूमि है जिसमें आशा और चंगाई सबसे अच्छे फलते-फूलते हैं।

अब प्रभु जो शान्‍ति का सोता है आप ही तुम्हें सदा और हर प्रकार से शान्‍ति दे: प्रभु तुम सब के साथ रहे। (2 थिसुलुनिकीयों 3:16)

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 1:1-10
2 Corinthians 1:1 पौलुस की ओर से जो परमेश्वर की इच्छा से मसीह यीशु का प्रेरित है, और भाई तीमुथियुस की ओर से परमेश्वर की उस कलीसिया के नाम जो कुरिन्थुस में है; और सारे अखया के सब पवित्र लोगों के नाम। 
2 Corinthians 1:2 हमारे पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शान्‍ति मिलती रहे। 
2 Corinthians 1:3 हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर, और पिता का धन्यवाद हो, जो दया का पिता, और सब प्रकार की शान्‍ति का परमेश्वर है। 
2 Corinthians 1:4 वह हमारे सब क्‍लेशों में शान्‍ति देता है; ताकि हम उस शान्‍ति के कारण जो परमेश्वर हमें देता है, उन्हें भी शान्‍ति दे सकें, जो किसी प्रकार के क्‍लेश में हों। 
2 Corinthians 1:5 क्योंकि जैसे मसीह के दुख हम को अधिक होते हैं, वैसे ही हमारी शान्‍ति भी मसीह के द्वारा अधिक होती है। 
2 Corinthians 1:6 यदि हम क्‍लेश पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्‍ति और उद्धार के लिये है और यदि शान्‍ति पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्‍ति के लिये है; जिस के प्रभाव से तुम धीरज के साथ उन क्‍लेशों को सह लेते हो, जिन्हें हम भी सहते हैं। 
2 Corinthians 1:7 और हमारी आशा तुम्हारे विषय में दृढ़ है; क्योंकि हम जानते हैं, कि तुम जैसे दुखों के वैसे ही शान्‍ति के भी सहभागी हो। 
2 Corinthians 1:8 हे भाइयों, हम नहीं चाहते कि तुम हमारे उस क्‍लेश से अनजान रहो, जो आसिया में हम पर पड़ा, कि ऐसे भारी बोझ से दब गए थे, जो हमारी सामर्थ से बाहर था, यहां तक कि हम जीवन से भी हाथ धो बैठे थे। 
2 Corinthians 1:9 वरन हम ने अपने मन में समझ लिया था, कि हम पर मृत्यु की आज्ञा हो चुकी है कि हम अपना भरोसा न रखें, वरन परमेश्वर का जो मरे हुओं को जिलाता है। 
2 Corinthians 1:10 उसी ने हमें ऐसी बड़ी मृत्यु से बचाया, और बचाएगा; और उस से हमारी यह आशा है, कि वह आगे को भी बचाता रहेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 17-19 
  • इफिसियों 5:17-33