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मंगलवार, 10 दिसंबर 2013

जोखिम


   प्रभु यीशु के जन्म के वृतांत में उनके सांसारिक पिता यूसुफ का भी उल्लेख आता है, लेकिन उनके जन्म से संबंधित घटनाओं के पश्चात यूसुफ के बारे फिर बहुत कम ही मिलता है। हम इससे यह निषकर्ष निकाल सकते हैं कि प्रभु यीशु के मानवीय जीवन के संदर्भ में युसुफ कोई महत्वपूर्ण पात्र नहीं था; उसकी आवश्यकता केवल प्रभु यीशु के दाऊद के घराने से होने को प्रमाणित करने के लिए थी। लेकिन यह धारणा रखना सही नहीं है।

   युसुफ की भूमिका प्रभु यीशु के जन्म के वृतांत में सामरिक रीति से बहुत महत्वपूर्ण है। यूसुफ की मंगेतर, मरियम, के गर्भवती होने की बात पता चलने के बाद से ही यूसुफ चिंतित था और मरियम को चुपचाप छोड़ देने पर गंभीरता से विचार कर रहा था। ऐसे में जब परमेश्वर की ओर से भेजे गए स्वर्गदूत ने उससे मरियम को अपने घर ले आने को कहा (मत्ती 1:20), तो यह युसुफ के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण फैसला था। यदि यूसुफ स्वर्ग्दूत की बात को मानने से इंकार कर देता, तो मानवीय दृष्टिकोण से, प्रभु यीशु के जन्म का पूरा घटनाक्रम बड़े जोखिम में पड़ जाता। लेकिन मरियम को अपनी पत्नि स्वीकार कर के घरअ ले आना भी जोखिम से बाहर नहीं था। यदि वह यीशु का पिता होना स्वीकार करता तो वह एक झूठ के साथ समझौता करता और यहूदी व्यवस्था को तोड़ने वाला ठहरता; यदि वह पिता होने से इन्कार करता तो समाज से बहुत बदनामी मिलना स्वाभाविक था। आज हम सब को यूसुफ का आभारी और धन्यवादी होना चाहिए कि उसने अपनी बदनामी और अपने विचारों की परवाह किए बैगैर परमेश्वर की योजना का एक भाग बनना स्वीकार किया और परमेश्वर का आज्ञाकारी रहा। परिणामस्वरूप उसे अब अनन्त काल के लिए परमेश्वर के वचन में उसे प्रभु यीशु का सांसारिक पिता होने का आदर प्राप्त है और उसकी इस आज्ञाकारिता कि चर्चा और प्रशंसा सदा होती रहती है।

   संसार के प्रनुख लोगों की तुलना में, संसार के घटनाक्रम में, हम में से अधिकांशतः की भूमिका बहुत छोटी या फिर नगण्य है। लेकिन हम में से प्रत्येक से परमेश्वर अपने प्रति आज्ञाकारी रहने की आशा रखता है। अनेक बार परमेश्वर की यह आज्ञाकारिता हमें बहुत जोखिम भरी या फिर अनावश्यक लग सकती है। लेकिन केवल परमेश्वर ही जानता है उस आज्ञाकारिता में होकर वह हमें किन आशीशों से परिपूर्ण करना चाहता है। परमेश्वर सदा अपने बच्चों के लिए केवल भलाई ही की योजनाएं बनाता है, चाहे वह भलाई अभी दिखाई दे या ना दे; क्या मैं और आप उसकी आज्ञाकारिता में जोखिम उठाने और उन आशीशों को पाने को तैयार हैं? - जो स्टोवैल


परमेश्वर पर भरोसा रखना और उसके आजाकारी रहना कोई छोटी बात नहीं है।

धन्य है वह मनुष्य, जो परीक्षा में स्थिर रहता है; क्योंकि वह खरा निकल कर जीवन का वह मुकुट पाएगा, जिस की प्रतिज्ञा प्रभु ने अपने प्रेम करने वालों को दी है। - याकूब 1:12

बाइबल पाठ: मत्ती 1:18-25
Matthew 1:18 अब यीशु मसीह का जन्म इस प्रकार से हुआ, कि जब उस की माता मरियम की मंगनी यूसुफ के साथ हो गई, तो उन के इकट्ठे होने के पहिले से वह पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती पाई गई। 
Matthew 1:19 सो उसके पति यूसुफ ने जो धर्मी था और उसे बदनाम करना नहीं चाहता था, उसे चुपके से त्याग देने की मनसा की। 
Matthew 1:20 जब वह इन बातों के सोच ही में था तो प्रभु का स्वर्गदूत उसे स्‍वप्‍न में दिखाई देकर कहने लगा; हे यूसुफ दाऊद की सन्तान, तू अपनी पत्‍नी मरियम को अपने यहां ले आने से मत डर; क्योंकि जो उसके गर्भ में है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है। 
Matthew 1:21 वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना; क्योंकि वह अपने लोगों का उन के पापों से उद्धार करेगा। 
Matthew 1:22 यह सब कुछ इसलिये हुआ कि जो वचन प्रभु ने भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा था; वह पूरा हो। 
Matthew 1:23 कि, देखो एक कुंवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी और उसका नाम इम्मानुएल रखा जाएगा जिस का अर्थ यह है “ परमेश्वर हमारे साथ”। 
Matthew 1:24 सो यूसुफ नींद से जागकर प्रभु के दूत की आज्ञा अनुसार अपनी पत्‍नी को अपने यहां ले आया। 
Matthew 1:25 और जब तक वह पुत्र न जनी तब तक वह उसके पास न गया: और उसने उसका नाम यीशु रखा।

एक साल में बाइबल: 
  • होशे 1-4 
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